जनसभा में कुर्सियां फेंककर मारने की कोशिश, बाल-बाल बचीं...
अमरावती में बीजेपी पूर्व सांसद नवनीत राणा की सभा पर हमला, कुर्सियां फेंकी गईं !
महाराष्ट्र में अमरावती की पूर्व सांसद और बीजेपी नेता नवनीत राणा पर हमले की खबर है। जानकारी के मुताबिक एक रैली के दौरान उन पर हमला हुआ। इस दौरान अराजक तत्वों ने जमकर हंगामा किया और कुर्सियां भी तोड़ दीं। घटना के बाद नवनीत राणा अपने समर्थकों के साथ खल्लार पुलिस स्टेशन पहुंची और शिकारयत दर्ज कराई हैं। हंगामे का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें आसामाजिक तत्व जमकर हंगाम कर रहे हैं और कुर्सियां फेंककर तोड़ रहे हैं। मामला शनिवार (16 नवंबर) का है।
दरअसल महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के भाजपा ने नवनीत को महाराष्ट्र चुनान प्रचार के लिए स्टार प्रचारकों में रखा है। शनिवार को बीजेपी नेता नवनीत राणा अमरावती जिले के दर्यापुर विधानसभा क्षेत्र के खल्लार गांव में रैली करने पहुंची थीं। राणा युवा स्वाभिमान पार्टी के उम्मीदवार रमेश बुंदीले के समर्थन में रैली करने पहुंचीं थी।
रमेश बुंदीले प्रचार के लिए एक बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में किसी बात पर बहस छिड़ गई, जिसने हंगामे का रूप ले लिया। इसके बाद कार्यकर्ता एक दूसरे पर कुर्सियां फेंकने लगे।घटना के वक्त नवनीत राणा बाल-बाल बच गईं। उन्हें वहां से हटाकर दूसरी जगह शिफ्ट किया गया। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
नवनीत राणा ने पुलिस में दी शिकायत
इस मामले में नवनीत राणा ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। पूर्व सांसद नवनीत राणा अपनी रैली में हिंसा को देखते हुए अपने समर्थकों के साथ खल्लार पुलिस स्टेशन पहुंची थीं। उनकी शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज किया और कार्रवाई करते हुए वायरल वीडियो के आधार पर आरोपियों की पहचान की जा रही है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है। पुलिस ने घटनास्थल पर कड़ा बंदोबस्त किया है और फिलहाल शांति बनी हुई है।
पिछले महीने अक्टूबर में पूर्व सांसद नवनीत राणा को पत्र भेजकर धमकी दी गई थी और 10 करोड़ रुपए की मांग की गई थी। नवनीत राणा की शिकायत के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। अमरावती की पूर्व सांसद को स्पीड पोस्ट के जरिए आमिर नामक व्यक्ति ने पत्र भेजा और पैसों की मांग की थी। राणा के निजी सचिव विनोद गुहे ने अमरावती के राजापेठ पुलिस थाने में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि यह पत्र 11 अक्टूबर को राणा के आवास पर एक कर्मचारी को मिला था।
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