अवैध शराब को लेकर ठेकेदार भी खुलकर जता चुके हैं विरोध ...
खुलेआम बिक रही अवैध शराब,गहरी नींद में है आबकारी अमला !
ग्वालियर। शराब की अवैध सप्लाई को लेकर कई बार शिकायत करने के बाद भी कार्यवाही करने से आबकारी विभाग पीछे रहता है। इसको लेकर कई बार शराब ठेकेदार भी खुलकर विरोध जता चुके हैं, क्योंकि उनका कहना है कि अवैध शराब सप्लाई से उनको नुकसान हो रहा है। इस मामले में पुलिस भी कोई कार्यवाही नहीं करती है। अब इस नुकसान की भरपाई का रास्ता निकाल गांव-गांव शराब की सप्लाई की जा रही है, लेकिन आबकारी का फ्लाइंग स्क्वॉड इस पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रहा है।
वर्तमान में हालात यह है कि हर गांव में देशी से लेकर विदेशी शराब आसानी से उपलब्ध हो जाती है, जिसकी जानकारी संबंधित थाना पुलिस को भी रहती है, लेकिन उनके लिए यह कमाई का जरिया बना हुआ है। साल 2022 में मुरैना जिले में जहरीली शराब कांड के बाद से ही प्रदेश सरकार के निशाने पर आबकारी अधिकारी बने हुए थे, लेकिन इसके बाद भी आबकारी अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं और अपने हिसाब से अवैध शराब सिर्फ कंजरों के डेरों से पकड़ने में लगे हुए हैं। साल 2022 में ही भिंड जिले के रौन क्षेत्र में जहरीली शराब पीने से दो लोगों की मौत हो गई थी और कुछ बीमार हो गए थे।
सरकार के निर्देश के बाद भी अवैध शराब बेचने वालों के खिलाफ आबकारी महकमा कार्यवाही से पीछे क्यों रहता है, यह सवालिया निशान खड़े करता है। इस समय जो उपायुक्त आबकारी हैं, उनका अवैध शराब पर रोक लगाने से अधिक ध्यान अपने चहेतों को बेहतर स्थान पर पोस्टिंग करने पर है। शहर के अंदर शराब दुकानों पर तय रेट से शराब बिक रही है कि नहीं और बिल दिए जा रहे हैं कि नहीं इसकी जांच करने की फुर्सत नहीं है तो फिर गांवों में कौन शराब सप्लाई कर रहा है इसकी जांच करने की जरूरत ही नहीं समझी जाती है। शहर से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में कच्ची शराब बनाई जा रही है। दूसरे राज्यों से आने वाली अवैध शराब को पकड़ने का जिम्मा आबकारी विभाग का रहता है, लेकिन यह काम पुलिस कर रही है।
इस समय ग्वालियर-चंबल में हालात यह है कि जो लाइसेंसी शराब दुकान हैं, उन्ही से गांव-गांव में पेटी कॉन्टेक्ट पर शराब सप्लाई की जा रही है। इसको लेकर पहले लाइसेंसी ही शिकायत करते थे, लेकिन अब यह काम स्वयं लाइसेंसी ही कर रहे हैं। एक तरफ नशे पर अंकुश लगाने की कवायद चल रही है, लेकिन दूसरी तरफ गांव-गांव शराब सप्लाई की जा रही है और उस तरफ किसी का ध्यान भी नहीं है। नियम के हिसाब से लाइसेंसी सिर्फ दुकान के काउंटर से ही शराब बेच सकता है, लेकिन नियम के विरुद्ध काम हो रहा है। वैसे आबकारी विभाग की तरफ से सब इंस्पेक्टर को हर रोज लाइसेंसी दुकान का स्टॉक चेक करना चाहिए, जिससे पता चल सकता है कि कितना स्टॉक हर दिन खपत हो रहा है, लेकिन निरीक्षण न होने से लायसेंसी उसका फायदा उठा रहे हैं।
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