G News 24 : एलिवेटेड रोड के लूप रोड पर कम हाइट के पिलर्स के कारण बड़े वाहन रहेंगे प्रतिबंध !

 लगभग 1300 करोड रुपये की लागत से निर्माणाधीन है एलिवेटेड रोड...

एलिवेटेड रोड के लूप रोड पर कम हाइट के पिलर्स के कारण बड़े वाहन रहेंगे प्रतिबंध !

ग्वालियर.  14 किमी लंबी स्वर्ण रेखा नदी पर एलिवेटेड रोड का पहले और दूसरे चरण का काम अब प्रस्तावित लूप के कारण अटक गया है। लगभग 1300 करोड रुपये की लागत से निर्माणाधीन एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट की खराब प्लानिंग के कारण चढने और उतरने के लिए प्रस्तावित किए गए लूप के भूमि अधिग्रहण को लेकर विवाद जैसी स्थिति निर्मित हो रही है। प्रथम चरण में चार से पांच स्थानों पर ही लूप का काम होना है लेकिन दूसरे चरण में कुल 22 लूप तैयार होने हैं। ये सभी घनी बस्तियों के बीच होंगे और इसके लिए कई मकानों की तोड फोड करनी होगी। ऐसे में अधिकार अब मामले को ठंडे बस्ते में डालकर सिर्फ स्वर्ण रेखा में पिलर खडे करने पर ध्यान दे रहे है।

अधिकारियों ने प्लान पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया

दूसरी तरफ पहले चरण के अंतर्गत जो पिलर तैयार किए गए है उनक ऊंचाई कम है। खासकर उन जगहों पर ज्यादा समस्या है जहां पहले से स्वर्ण रेखा नाले के ऊपर पुल बने हुए है। ऐसे में अब इन पुलों से बडे वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित किया जाएगा यानी स्कूल बसें और अन्य वाहन इन पुलों से नहीं गुजर सकेंगे। उदाहरण के तौर पर खेडापति हनुमान मंदि के पीछे स्वर्ण रेखा नाले पर बने पुल के ठीक ऊपर ही पिलर का स्पान आ रहा है। यहां पुल पार कर एक पिलर तैयार किया गया है लेकिन बगल में मकान होने के कारण उस पर स्पान का काम छोड दिया गया है। उसके आगे के पिलर पर फिर स्पान के लिए स्ट्रक्च तैयार कर दिया गया है। कुल मिलाकर फिलहाल एलिवेटेड रोड का काम औपचारिकता जैसा होकर रह गया है। अधिकारियों ने शुरूआती समय में प्लान पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जिसके कारण अब समस्याएं सामने आ रही है।

एलिवेटेड रोड के दूसरे चरण का काम लक्ष्मीबाई समाधि स्थल से गिरवाई के बीच किया जाना है। इस रोड के लिए स्वर्ण रेखा नाले में पिलर तैयार किए जाएंगे और ये लश्कर क्षेत्र की घनी बस्तियों के बीच से होकर गुजरेगा। इसमें ढोली बुआ का पुल, जीवाजीगंज जैसे इलाके आएंगे। इन्हीं इलाकों के बीच लगभग 22 लूप भी तैयार होने हैं। इन्हीं लूप पर वाहनों के प्रवेश और निकास के मार्ग भी बनेंगे। ऐसे में निजी भूमि का अधिग्रहण कर मकानों की तोड़फोड़ करनी होगी। इससे आगे विवाद जैसी स्थिति बनेगी। इसके कारण दोबारा सर्वे कराकर लूप की संख्या कम कराने पर विचार किया जा रहा है।

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