G News 24 : बुलडोजर जस्टिस पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया ब्रेक !

 'आरोप के आधार पर घर नहीं गिरा सकते' ... 

बुलडोजर जस्टिस पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया ब्रेक !

नई दिल्ली। देश में बुलडोजर एक्शन काफी विवादों में रहा है. अब इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि महज आरोप के आधार पर घर नहीं गिरा सकते. जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच अपना फैसला सुना रही है. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी का घर उसकी उम्मीद होती है. जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि हर किसी का सपना होता है कि उसका आश्रय कभी न छिने और हर घर का सपना होता है कि उसके पास आश्रय हो. हमारे सामने सवाल यह है कि क्या कार्यपालिका किसी ऐसे व्यक्ति का आश्रय छीन सकती है जिस पर अपराध का आरोप है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून का शासन लोकतांत्रिक शासन का मूल आधार है, यह मुद्दा आपराधिक न्याय प्रणाली में निष्पक्षता से संबंधित है. जो यह अनिवार्य करता है कि कानूनी प्रक्रिया को अभियुक्त के अपराध के बारे में पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं होना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि ये राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वो राज्य में कानून व्यस्था बनाए रखे. कोर्ट ने साथ ही ये भी कहा कि सभी पक्षों सुनने के बाद हम आदेश जारी कर रहे हैं. फैसले को जारी करते समय सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले पर भी विचार किया है. ये राज्य की जिम्मेदारी है कि वह नागरिकों को मनमाने कार्यों से बचाए. हमने संविधान के तहत गारंटीकृत अधिकारों पर विचार किया है. जो व्यक्तियों को राज्य की मनमानी कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान करते हैं.

कानून का नियम यह सुनिश्चित करने के लिए ढांचा प्रदान करता है कि लोगों को पता हो कि उनकी संपत्ति मनमाने ढंग से नहीं छीनी जाएगी. सत्ता के मनमाने प्रयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती. जब नागरिक कानून तोड़ता है, तो न्यायालय राज्य पर कानून और व्यवस्था बनाए रखने तथा उन्हें गैरकानूनी कार्रवाई से बचाने का दायित्व डालता है. इसका पालन न करने से जनता का विश्वास खत्म हो सकता है. अराजकता को बढ़ावा मिल सकता है. हालांकि संवैधानिक लोकतंत्र को कायम रखने के लिए व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करना महत्वपूर्ण है. राज्य की शक्ति के मनमाने प्रयोग पर लगाम लगाई जानी चाहिए, ताकि लोगों को पता हो कि उनकी संपत्ति उनसे मनमाने ढंग से नहीं छीनी जाएगी.

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