G News 24 : डेंगू व चिकुनगुनियां फ़ैलाने वाला एडीज नामक मच्छर रुके हुए पानी में ही पनपता है !

 डेंगू/चिकुनगुनिया से बचाव हेतु एडवाइजरी...

डेंगू व चिकुनगुनियां फ़ैलाने वाला एडीज नामक मच्छर रुके हुए पानी में ही पनपता है !

ग्वालियर। डेंगू व चिकुनगुनियां एडीज नामक मच्छरों के काटने से फेलने वाली बीमारी है। यह मच्छर हमारे घर व आसपास साफ एवं रुके पानी में ही पनपता है। डेंगू का मच्छर सामन्यतः दिन में काटता है व उत्पत्ति स्थल के 400 मीटर के दायरे में सक्रिय रहता है तथा घरों में नमी व अंधेरे वाले स्थानों में छुपकर विश्राम करता है।

हमारे घर, छत एवं आसपास विभिन्न प्रकार के खुले पडे जलपात्रों जैसे - पानी की टंकी, टायर, गमले, कूलर, मिटटी के दिये, छत, मटके, पाइप, गढढें, मनी प्लांट के पॉट, प्लास्टिक की बोटल, कप, गिलास, टूटा फुटा सामान/खिलौने, कनस्तर व अन्य सामान में भरा साफ पानी मच्छरों के पनपने के प्रमुख स्थान स्थान है। इनमेें मच्छर अण्डे देते हैं,े इनसे 2-3 दिवस में लार्वा निकलता है 3-4 दिन बाद प्यूपा में बदलकर 3 दिन बाद मच्छर बनकर उड जाता है इस प्रकार 7 से 12 दिवस के भीतर मच्छर अपना उत्पत्ति चक्र साफ व रुके पानी में पूर्ण करते हैं। अतः इनकी रोकथाम हेतु एैसे समस्त जलपात्रों में भरा पानी षीध्र खाली करें व नियमित रुप से 7 दिवस के भीतर जलपात्रों में भरा पानी खाली करें। 

एडीज मच्छर डेंगू मरीज को काटने पर संक्रमित होकर अन्य स्वस्थ्य व्यक्तियों को काटकर डेंगू बीमारी का प्रसार करते है और स्वस्थ्य व्यक्ति डेंगू से बीमार हो जाते है। डेंगू संक्रमित व्यक्ति को प्रारम्भिक लक्षण जैसे कमजोरी, तेज बुखार, सिर व हाथ पैर में दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं इसके पष्चात मरीज के षरीर/आंखों में रक्त के चकत्ते दिखना या नाक, मसूडे, या अन्य स्थान से रक्तस्राव होने व उल्टी के लक्षण दिखायी देते है। उपचार में विलम्ब से बीमारी की गंभीरता में मरीज को चक्कर आना, मूर्छित होना, या सॉक में चले जाने की स्थिति बन सकती है। अतः उक्त लक्षण होने पर तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र या चिकित्सक से परामर्ष लेकर उचित उपचार लेना चाहिये।

डेंगू के लक्षण पाये जाने पर बिना चिकित्सकीय परामर्ष के कोई भी दवा विषेषकर दर्द निवारक दवा का सेवन नहीं करना चाहिये। इससे मरीज गंभीर भी हो सकता है अतः चिकित्सक से परामर्ष उपरान्त ही उचित उपचार लेवें। बुखार होने पर पैरासीटामोल की दवा (उम्रानुसार उचित मात्रा में¬) ली जा सकती है। संभावित डेंगू के लक्षण होने पर झोलाछाप व अप्रषिक्षित/अवैध उपचार करने वालेां से उपचार नहीं करावें इससे स्वास्थ्य स्थिति बिगड सकती है। 

डेंगू होने पर अनावष्यक दवाओं व भ्रांतियों से बचें व चिकित्सक अथवा अस्पताल में उचित उपचार लेवें।

  • जिले में डेंगू व चिकुनगुनिया की जांच जिला चिकित्सालय/मेडीकल कॉलेज ग्वालियर में निःषुल्क की जाती है। संभावित रोगी तत्काल अपनी जांच करावें। ताकि समय पर डेंगू संक्रमण की पहचान कर उपचार किया जा सके व प्रभावित क्षैत्र में नियंत्रण कार्यवाई की जा सके।
  • जांच में डेंगू या चिकुनगुनियां की पुष्टि होने पर मरीज को पूर्ण उपचार के साथ फलों का रस, नारियल पानी, दाल का पानी, ओ,आर,एस, का घोल व पानी पर्याप्त मात्रा में पीने से षीघ्र लाभ मिलता है।
  • डेंगू/चिकुनगुनियां के प्रसार को रोकने व बचाव के लिये अपने घर व आसपास अनावष्यक पानी जमा नही होने दें। व खुली टंकियों को ढंककर रखें, अनावष्यक कबाड का सामान नष्ट करें या उनमें पानी इकटठा न होने दें। 
  • सप्ताह में एक बार आवष्यक रुप से टंकी, मटके, कूलर व अन्य उपयोगी जलपात्रों में भरा पानी बदलें। व जिन अनुपयोगी जलपात्रों को का पानी नहीं बदल सकते उनमें मिटटी का तेल/खाने का तेल/गांडियों से निकला ऑयल डालने से मच्छर के लार्वा व प्यूपा नष्ट हो जाते है। 
  • मच्छरों से बचाव के लिये हमें पूरे बांह के कपडे पहनना चाहिये।, दिन में मास्क्यूटो रिपेलेंट व मच्छररोधी  क्रीम/अगरबत्ती का उपयोग कराना चाहिये। तथा सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिये।
  • डेंगू व चिकुनगुनियां से बचाव की जानकारी आपस में अपनीे परिवार/मित्रों/रिष्तेदारों व सोसाइटी को भी बतावे जिससे सभी जन स्वयं अपने घर व आसपास डेंगू फेलाने वाले एडीज मच्छर की उत्पत्ति को राकने में अपना सहयोग दे सकें। डेंगू की जानकारी व जन सहयोग से डेंगू के प्रसार को रोका जा सकता है।

Reactions

Post a Comment

0 Comments