जहां सेलुलर या वाई-फाई नेटवर्क नहीं हैं वहां कॉल-संदेश भेज सकते हैं ...
BSNL का संचार के क्षेत्र में धमाका, शुरू की भारत की पहली सैटेलाइट-टू-डिवाइस सेवा !
BSNL ने भारत की पहली सैटेलाइट-टू-डिवाइस सेवा कर दी है, जिसे देश के सबसे अलग-थलग हिस्सों तक निर्बाध कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए बनाया गया है. भारतीय दूरसंचार विभाग (DoT) ने बताया कि इस सेवा को प्रदान लॉकरने के लिए बीएसएनएल ने अमेरिका स्थित संचार कंपनी वियासैट के साथ समझौता किया है. इस सेवा का प्राथमिक उद्देश्य सीमित या बिना सेलुलर कवरेज वाले क्षेत्रों में निर्बाध नेटवर्क पहुंच प्रदान करना है. आज के दौर में यह कहने या सोचने की बात नहीं है कि संचार यानी कम्युनिकेशन सबसे जरूरी है.
20 साल पहले कोई आज के हालात की सोच भी नहीं सकता था. आज हरेक हाथ में मोबाइल है, स्मार्टफोन है और अगर एक बड़ी आबादी को उनकी मौलिक आवश्यकताओं की सूची बनाने को कहा जाए, तो नेट कनेक्शन शायद सबकी सूची में दूसरे या तीसरे नंबर पर होगा. भारत में जिस तेजी से डिजिटलीकरण हुआ है, वह दुनिया के बड़े विकसित देशों को भी चमत्कृत करता है. भारत का यूपीआई तो दुनिया की सबसे पसंदीदा सेवाओं में एक होता जा रहा है. कई देशों ने इसको अपनाने पर सहमति जताई है, तो कुछ देशों में इसकी सेवा शुरू भी हो गयी है.
पहले भी हो चुका है परीक्षण
इस तकनीक का प्रदर्शन पिछले दिनों हुई इंडिया मोबाइल कांग्रेस (आईएमसी) 2024 में किया गया था. बीएसएनएल के अनुसार, डायरेक्ट-टू-डिवाइस सैटेलाइट कनेक्टिविटी सेवा का पहले से ही व्यापक परीक्षण किया जा चुका है, जिसमें दूरस्थ और चुनौतीपूर्ण स्थानों में कनेक्शन बनाए रखने की क्षमता के बेहद आशाजनक परिणाम मिले हैं. यह सेवा शुरू हो जाने का मतलब है कि सेना को दूरस्थ और दुरूह जगहों पर भी संपर्क और संचार में कमी नहीं आने देगी. इसके जरिए सूचनाओं का आदान-प्रदान बेहद तेजी से होगा और दुश्मनों पर निगरानी रखने में भी सहूलियत मिलेगी.
बीएसएनएल की क्रांतिकारी सैटेलाइट-आधारित कनेक्टिविटी, एलोन मस्क के स्टारलिंक की संभावित प्रतिस्पर्धी है, जो जल्दी ही भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने जा रही है. यहाँ हम बताना चाहते हैं कि यह उपग्रह संचार तकनीक नई नहीं है - Apple ने कुछ समय पहले iPhone 14 में उपग्रह-आधारित SOS पेश किया था. हालांकि भारत के परिप्रेक्ष्य में यह पहली ऐसी सेवा है, जहाँ रोजमर्रा के उपयोगकर्ताओं के लिए उपग्रह कनेक्टिविटी का उपयोग किया जाएगा. पहले, उपग्रह संचार का प्रयोग मुख्य रूप से आपातकालीन और सैन्य सेवाओं के लिए ही किया जाता था. अब ऐसी सेवा को सिविलियन्स के लिए भी जारी करने का मतलब है कि जिन पहाड़ी जगहों या दूरस्थ गांवों-कस्बों में नेट या फोन की पहुंच नहीं हो पा रही थी, वहां भी अब बीएसएनएल के जरिए लोगों को संचार की सुविधा मिलेगी.
बीएसएनएल की डायरेक्ट-टू-डिवाइस सैटेलाइट सेवा क्या है?
बीएसएनएल की डायरेक्ट-टू-डिवाइस सैटेलाइट सेवा एक सैटेलाइट-संचालित कनेक्टिविटी समाधान है, जो उपयोगकर्ताओं को उन क्षेत्रों में नेटवर्क सेवाओं तक पहुंचने की अनुमति देती है जहां सेलुलर या वाई-फाई नेटवर्क अनुपलब्ध हैं. सेलुलर टावरों पर निर्भर पारंपरिक मोबाइल कनेक्टिविटी के विपरीत, यह सेवा जमीन पर मौजूद उपकरणों तक सिग्नल सीधे संचारित करने के लिए कक्षा में उपग्रहों का उपयोग करती है.
अमेरिकी कंपनी वियासैट के जियोस्टेशनरी एल-बैंड उपग्रहों के साथ विकसित, बीएसएनएल की सेवा पृथ्वी-आधारित उपकरणों और 36,000 किलोमीटर ऊपर स्थित उपग्रहों के बीच दो-तरफा संचार को सक्षम करने के लिए गैर-स्थलीय नेटवर्क (एनटीएन) तकनीक का उपयोग करती है, जिसके परिणामस्वरूप विश्वसनीय कनेक्टिविटी प्राप्त होती है, जो जमीन पर स्थित विभिन्न अवरोधों को पूरी तरह से बायपास करती है. आधारित सेल टावर, इसे दूरस्थ कवरेज के लिए आदर्श बनाता है. एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक भी इस सेवा की प्रदाता है और उनके भी भारत आने की संभावनाएं अब बढ़ गयी हैं. स्टारलिंक की सेवा हालांकि थोड़ी महंगी है, लेकिन भारत के संदर्भ में अगर बीएसएनएल उन सेवाओं को प्रदान करता है, तो जाहिर है कि भारतीय उपभोक्ताओं के दोने हाथों में लड्डू होने की यह स्थिति है.
आपातकालीन संचार है मुख्य आकर्षण
इस सेवा का एक मुख्य आकर्षण इसकी आपातकालीन संचार सुविधा है. उन स्थितियों में जहां सेलुलर या वाई-फाई नेटवर्क अनुपलब्ध हैं, उपयोगकर्ता आपातकालीन कॉल कर सकते हैं या उपग्रह के माध्यम से सीधे एसओएस संदेश भेज सकते हैं. यह सुविधा यात्रियों, ट्रैकिंग करने वाले लोगों, और दूरदराज के क्षेत्रों के निवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा समाधान प्रदान करती है. किसी भी अनहोनी स्थिति या प्राकृतिक दुर्घटना के समय लोग इस सेवा का उपयोग करके जान माल बचा सकते हैं.
इस सेवा में यूपीआई भुगतान का समर्थन करने की भी क्षमता है. यह ग्रामीण या वंचित क्षेत्रों में लोगों को इंटरनेट एक्सेस के बिना भी डिजिटल लेनदेन करने के लिए सशक्त बना सकता है. इसके अतिरिक्त यह सेवा दो-तरफ़ा संदेश को सक्षम करके बुनियादी उपग्रह संचार से आगे निकल जाती है. इसका मतलब है कि उपयोगकर्ता उपग्रह नेटवर्क पर संदेश भेज और प्राप्त कर सकते हैं, जो अन्यत्र उपलब्ध मानक एकतरफ़ा उपग्रह सेवाओं से एक कदम ऊपर है.बीएसएनएल ने अभी तक यह खुलासा नहीं किया है कि क्या यह सैटेलाइट कनेक्टिविटी सुविधा मौजूदा योजनाओं के साथ बंडल की जाएगी या उपयोगकर्ताओं को अलग सदस्यता की आवश्यकता होगी. मूल्य निर्धारण और योजना संरचनाओं पर आगे की घोषणाओं की प्रतीक्षा है.
इस डायरेक्ट-टू-डिवाइस उपग्रह सेवा ने बीएसएनएल को भारत में दूरसंचार नवाचार एक नयी शुरुआत करने में सहायता की है, जो केंद्र सरकार द्वारा संचालित दूरसंचार ऑपरेटर की बड़ी पुनरुद्धार योजनाओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है. कुछ ही समय पहले आईएमसी 2024 में, बीएसएनएल एक नया लोगो और भारत की पहली फाइबर-आधारित इंट्रानेट टीवी सेवा, जिसे आईएफटीवी के नाम से जाना जाता है, सहित सात नई सेवाएं लॉन्च कीं थी, विशेष रूप से अपने फाइबर-टू-द-होम (एफटीटीएच) ग्राहकों के लिए. हमे यह आशा है कि इस सेवाओं के माध्यम से बीएसएनएल दूरसंचार के क्षेत्र में एक बार पुनः अपना वर्चस्व बना सकेगा.
वैसे भी, बीएसएनएल ने जिस तरह अपनी सेवाओं को अपग्रेड किया है, ग्राहकों तक पहुंचने की कोशिश की है और अपना प्रचार-प्रसार कर दुरूह इलाकों में भी पैठ बना रहा है, वह तारीफ के काबिल है. जहां तक ग्राहकों की बात है, तो उनके लिए तो जितनी अधिक प्रतियोगिता होगी, फायदा उनका ही होगा. एकाधिकार यानी मोनोपॉली की जगह स्वस्थ प्रतियोगिता बाजार के लिए भी ठीक है और कोई भी उपभोक्ता या ग्राहक जितने अधिक विकल्प पाएगा, वह तो उतना ही अधिक प्रसन्न होगा या होगी.
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