'सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को लेकर नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद का आपत्तिजनक दावा !
किसी जगह की हकीकत का पता लगाना है तो 1991 का कानून आड़े नहीं आता : पूर्व CJI
उत्तर प्रदेश स्थित नगीना से लोकसभा सांसद और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के नेता चंद्रशेखर आजाद ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को लेकर आपत्तिजनक दावा किया है. भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली डिवीजन बेंच के एक फैसले का हवाला देते हुए चंद्रशेखर आजाद ने बड़ी टिप्पणी की.
एबीपी न्यूज़ से एक्सक्लूसिव बातचीत में संभल और अजमेर के मामलों के संदर्भ में चंद्रशेखर ने कहा कि क्या ये अधिकार सिर्फ एक धर्म के लोगों को है या सभी धर्मों को है. अगर जो लोग दूसरे धर्मों में आस्था रखते हैं. जैन या बौद्ध धर्म में.. आग तो सुप्रीम कोर्ट के हमारे जजों ने ही लगाई और किसने लगाई. यह आग लगाकर वह हाथ सेंक रहे हैं, क्या देश नहीं देख रहा है इसको.
दरअसल, सांसद आजाद, वर्शिप एक्ट 1991 को लेकर सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन जज डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ के फैसले के संदर्भ में प्रतिक्रिया दे रहे थे. साल 2022 में पूर्व जस्टिस चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा था कि अगर किसी जगह की हकीकत का पता लगाना है तो 1991 का कानून आड़े नहीं आता.संभल के संदर्भ में चंद्रशेखर ने कहा कि मामले की जांच होनी चाहिए. यह पता लगे कि आखिर दोष किसका है. अधिकारियों के व्हाट्सऐप चैट और फोन कॉल देखें जाएं हकीकत सामने आ जाएगी.
1991 के कानून के संदर्भ में क्या कहा था कोर्ट ने...
मई 2022 में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था 'हालांकि 1991 के कानून के तहत धार्मिक स्थल की प्रकृति को बदलने पर रोक है, लेकिन 'प्रक्रियात्मक साधन के रूप में किसी स्थान के धार्मिक चरित्र का पता लगाना, कानून की धारा 3 और 4 का उल्लंघन नहीं हो सकता है.' जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने 20 मई 2022 को ज्ञानवापी मस्जिद विवाद की एक घंटे की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की थी.
सुप्रीम कोर्ट मई 2022 में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद प्रबंधन समिति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. यह समिति वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का मैनेजमेंट देखती है. इस याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें उसने मस्जिद क्षेत्र का सर्वेक्षण करने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने के सिविल कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था.
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