G News 24 : माधापार गांव के लोगों के पास इतना पैसा को खोलने पड़े 17 बैंक !

 भारत के इस गांव में है 'कुबेर का खजाना', ₹7000 करोड़ की है FD...

माधापार गांव के लोगों के  पास इतना पैसा को खोलने पड़े 17 बैंक !

जब भी गांव की या गांववालों की होती है तो अधिकांश लोगों के दिमाग में टूटी सड़कें, कच्चे मकान,  गरीबी, अभावों वाली जिंदगी की छवि बनने लगती है. अक्सर होता भी ऐसा ही है, गांव में कम संसाधनों में लोग अपनी जरूरतों को पूरा कर लेते हैं, लेकिन आज जिस गांव के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं उसे सामने दिल्ली-मुंबई जैसे शहर भी फेल हैं. छोटे से इस गांव के बारे में जब आप पढ़ेंगे या वहां जाएंगे तो गांव को लेकर आपकी पूरी सोच बदल जाएगी. एक के बढ़कर एक आलीशान बंगले, गाड़ियां, करोड़ों का बैंक बैलेंस...इस गांव में रहने वाला हर शख्स करोड़पति है.  गुजरात के कच्छ जिले के माधापार गांव को न केवल भारत बल्कि एशिया का सबसे अमीर गांव माना जाता है. इस गांव की अमीरी का का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि यहां के अधिकांश लोग करोड़पति है. 

गुजरात के कच्छ जिले में है सबसे अमीर गांव  

गुजरात के कच्छ जिले के माधापार गांव को न केवल भारत बल्कि एशिया का सबसे अमीर गांव माना जाता है. इस गांव की अमीरी का का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि यहां के अधिकांश लोग करोड़पति है.  32,000 अबादी वाले इस गांव में लोगों को पैसे की कोई कमी नहीं है. गांव में रहने वाले अधिकांश लोग पटेल समुदाय से हैं, जिन्होंने इस गांव की तरक्की में बड़ा रोल निभाया है. 

 गांव वालों के पास 7000 करोड़ रुपये की एफडी  

माधापार गांव ने गांव को लेकर लोगों की पूरी तस्वीर बदल दी. अच्छी सड़कें, बढ़िया वाटर सप्लाई, बेहतर सैनिटेशन सिस्टम, स्कूल, हेल्थकेयर जैसी वो तमाम सुविधाएं इस गांव में मौजूद है, जो बड़े-बड़े शहरों में होती है. गांव वालों के पास इतना पैसा है कि यहां एक-दो नहीं बल्कि 17 बैंकों की शाखाएं हैं. एचडीएफसी बैंक, यूनियन बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और एक्सिस बैंक समेत तमाम बैंक इस गांव में है. इन बैंकों के पास गांव वालों का 7000 करोड़ रुपये जमा है.  

क्या है गांव वालों की रईसी का राज !

पैसा है इसका मतलब ये नहीं कि गांव वाले काम नहीं करते. खेती-बाड़ी से लेकर दुकान, काम-धंधा सब करते हैं. ऐसे में मन में सवाल उठ रहा होगा कि उनके पास इतनी मोटी रकम कहां से आई. बता दें कि गांव के अधिक लोगों के रिश्तेदार विदेशों में रहते हैं. गांव के करीब 1200 लोगों के परिवार के लोग विदेशों में रहते हैं. भले ही वो विदेशों में बस गए हो, लेकिन उन्होंने गांव से रिश्ता नहीं तोड़ा. विदेशों में रहने वाले लोग अपने रिश्तेदारों, परिवारवालों के लिए पैसा भेजते हैं. इतना ही नहीं वो अपनी कमाई का एक हिस्सा माधापार के लोकल बैंकों और पोस्ट ऑफिस में जमा कराते हैं. एनआरआई के इन पैसों की वजह से बैंकों में बैंकों में बड़ी रकम जमा होती जा रही है. 

बैंकों में जमा हैं 7000  करोड़ रुपये 

NRIs से आने वाला पैसा यहां की कमाई का सबसे बड़ा सोर्स है. उनके पैसों की बदौलत यहां के बैंकों और पोस्ट ऑफिसों में 7000 करोड़ रुपये से अधिक की रकम जमा हो चुकी है.  इसके अलावा गांव के लोग खेती-बाड़ी करते हैं और एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स को बेचकर कमाई करते हैं. विदेशों में बचे गांववालों को देश और गांव से जोड़ रखने के लिए  माधापार विलेज एसोसिएशन (Madhapar Village Association) बनाया. इसके जरिए विदेशों में रहने वाले गांव के लोगों से संपर्क बनाए रखने में मदद ली जाती है.  

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