राष्ट्र की एकता और अखण्डता को कमजोर करना चाहता है PFI...
पीएफआई का असली मकसद भारत में इस्लामिक स्टेट की स्थापना !
प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर प्रवर्तन निदेशायल (ED) ने बड़ा खुलासा किया है। ईडी को जांच में पता चला कि PFI का विदेशों में बड़ा नेटवर्क है। सिंगापुर और खाड़ी देशों में 13 हजार से ज्यादा PFI के सक्रिय सदस्य हैं। साथ ही ये भी खुलासा हुआ कि इन देशों में पैसे इकट्ठे करने के लिए PFI ने एक समिति का गठन किया है, जो पैसे कलेक्ट करके भारत भेजते हैं। यहां आतंकवादी और अवैध गतिविधियों में इन पैसों का इस्तेमाल किया जाता है। पीएफआई का असली मकसद भारत में जिहाद के जरिए इस्लामी स्टेट की स्थापना करना है। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चल रही जांच में ED ने अब तक 94 करोड़ रुपये की अपराध से अर्जित संपत्ति का पता लगाया है। तीन सालों में प्रवर्तन निदेशालय PFI से जुड़े 26 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।
इसी बीच, प्रतिबंधित संगठन PFI पर ईडी ने बड़ा खुलासा किया है। ईडी की जांच में पता चला कि विदेशों में अभी भी PFI के 13000 सक्रिय सदस्य मौजूद हैं। सूत्रो की माने तो देश में PFI को फिर से मजबूत करने की साजिश रची जा रही है। प्रवर्तन निदेशालय ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की चल और अचल 35 संपत्तियां जब्त की हैं। इन संपत्तियों की कीमत करीब 57 करोड़ रुपये है। इन संपत्तियों में कई ट्रस्ट, कम्पनियां और निजी संपत्तियां भी शामिल हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली पुलिस और NIA द्वारा दर्ज मामलों को आधार बनाकर मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया था। जांच में पता चला कि PFI के 29 खातों में देश और विदेश से फंड आया था। डमी फर्मों से फंड हवाला के जरिए और दूसरे तरीकों से भेजा गया था। ED इस मामले में फरवरी 2021 से मई 2024 तक PFI से जुड़े 26 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। ED ने अब तक 94 करोड़ रुपए की अपराध से अर्जित आय का पता लगाया है।
ED को अपनी जांच में पता चला की PFI का विदेशों में भी बड़ा नेटवर्क है। इसके सिंगापुर और खाड़ी देशों में 13000 से अधिक सक्रिय सदस्य हैं। इन देशों में रहने वाले गैर निवासी मुस्लिम से पैसे इकट्ठा करने के लिए PFI ने डिस्ट्रिक्ट एग्जेक्यूटिव समिति (DEC) का गठन किया। जिन्हें करोड़ों रुपए की फंडिंग करने का टारगेट दिया गया था। यह पैसा भारत में पीएफआई की आतंकवादी और अवैध गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जांच में पता चला कि पीएफआई का असल मकसद उसके दूसरे मकसदों से अलग है। पीएफआई का असली मकसद भारत में जिहाद के जरिए इस्लामी स्टेट की स्थापना करना है, जबकि वह खुद को सामाजिक आंदोलन के रूप में पेश करता है। पीएफआई अपने कृत्यों को गैर-हिंसक बताती थी लेकिन हासिल सबूतों से पता चलता है कि उनके विरोध के तरीके हिंसक हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपनी जांच में पाया कि PFI भारत में गृह युद्ध करने के लिए हवाई हमले, गोरिल्ला वार करने के लिए एक अलग से टेली कम्युनिकेशन सिस्टम तैयार करने की प्लानिंग कर रहा था। PFI ने अपने सदस्यों को अधिकारियों को परेशान करने, उनको ठगने, सामाजिक संबंध बनाने के साथ दुनिया को मरा हुआ दिखाने के लिए नकली अंतिम संस्कार करने का भी निर्देश दिया था। भारत के खिलाफ साजिश के तहत PFI राष्ट्र की एकता और अखण्डता को कमजोर करना चाहता है। जिसके लिए वो कानूनों को तोड़ना, दोहरी पहचान और भारत के अंदर समानांतर सरकार चलाना समेत भारत के सीक्रेट एजेंटों की पहचान उजागर करना भी शामिल था। इसके साथ ही पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
- दिल्ली में फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों में हिंसा भड़काने और परेशानी पैदा करने की साजिश।
- हाथरस में साम्प्रदायिक माहौल को बिगाड़ने और आतंक फैलाने के लिए PFI और CFI के सदस्यों का दौरा।
- आतंकवादी ग्रुप बनाने की प्लानिंग के तहत, घातक हथियार और विस्फोटक सामग्री जमा करना और महत्वपूर्ण और संवेदनशील जगहों समेत बड़ी हस्तियों पर हमला करने की योजना बनाना।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पटना यात्रा के दौरान अशांति फैलाने के लिए ट्रेनिंग केम्प बनाना।
- देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा पैदा करने वाले साहित्य को तैयार करना, प्रिंट करना और रखना।
- जांच के बाद, पीएफआई से जुड़े 35 अचल संपत्तियों जिनकी कीमत 56.56 करोड़ रुपये है, उन्हें जब्त किया गया है। ये संपत्तियां विभिन्न ट्रस्ट, पीएफआई से जुड़े व्यक्तियों और कंपनियों के नाम पर थीं।
- NIA ने इन आरोपों के संबंध में पीएफआई के नेताओं और कैडर्स के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर ऐसी 17 संपत्तियों को 'आतंकवाद से कमाई गई आय' के रूप में पहचान कर जब्त किया है।
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