G News 24 : पंजाब सरकार ने राम रहीम पर बेअदबी मामलों में मुकदमा चलाने की दी मंजूरी

 गुरमीत राम रहीम की मुश्किलें बढ़ीं ! 

पंजाब सरकार ने राम रहीम पर बेअदबी मामलों में मुकदमा चलाने की दी मंजूरी 

चंडीगढ़। रेप और हत्या के मामले में सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. पंजाब की भगवंत मान सरकार ने राम रहीम के खिलाफ 2015 के तीन बेअदबी के मामलों में मुकदमा चलाने की इजाजत दे दी है.

ईशनिंदा (बेअदबी) के मामले में करीब चार दिन पहले पंजाब सरकार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ईशनिंदा से जुड़े मामलों पर हाईकोर्ट की ओर से लगाई गई रोक को हटा दिया है. साथ ही इस मामले में डेरा प्रमुख को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब मांगा है. डेरामुखी गुरमीत सिंह राम रहीम की मुश्किलें बढ़ गई हैं. दरअसल, पंजाब सरकार ने ईशनिंदा से जुड़े तीन मामलों में राम-रहीम के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत दे दी है. अब उनकी सुनवाई फरीदकोट कोर्ट में होगी. भविष्य में जरूरत पड़ने पर राम रहीम से पूछताछ भी की जा सकती है.

जानें क्या है पूरा मामला

बता दें कि ईशनिंदा का यह पूरा मामला जून 2015 में शुरू हुआ था, जब फरीदकोट के बुर्ज जवाहर सिंह वाला गांव में एक गुरुद्वारे से गुरु ग्रंथ साहिब की प्रतिमा चोरी हो गई थी. इसके बाद सितंबर में फरीदकोट के जवाहर सिंह वाला और बरगारी गांवों में पवित्र ग्रंथ के खिलाफ हाथ से बनाए गए अपमानजनक पोस्टर लगाए गए थे. उसी साल अक्टूबर में बरगारी में एक गुरुद्वारे के पास पवित्र ग्रंथ के कई फटे हुए हिस्से बिखरे मिले थे. बाद में हालात ऐसे हो गए कि पंजाब में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए. राज्य पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं, जिसमें दो आंदोलनकारी मारे गए. इस दौरान पंजाब में सामाजिक और राजनीतिक अशांति बढ़ गई.

12 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज

गुरु ग्रंथ साहिब की छवि की चोरी और अपवित्रता से जुड़े तीन मामलों में कुल 12 लोगों को नामजद किया गया था. शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी की पिछली गठबंधन सरकार ने नवंबर में मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी.

पंजाब विधानसभा में भी उठा था यह मुद्दा

पंजाब विधानसभा में भी ईशनिंदा का मुद्दा उठा था. कांग्रेस विधायकों ने इस मुद्दे को उठाया था. उन्होंने कहा था कि डेरामुखी की फाइल करीब ढाई साल से मुख्यमंत्री कार्यालय में पड़ी है. मुख्यमंत्री के पास सिर्फ गृह विभाग है. लेकिन सरकार की ओर से इसे मंजूरी नहीं दी जा रही है. इसके साथ ही आम आदमी पार्टी के विधायक कुंवर विजय प्रताप सिंह ने भी विधानसभा में यह मुद्दा उठाया था. हालांकि सीएम भगवंत मान ने साफ कहा था कि इस मामले में नए तथ्य सामने आए हैं. साथ ही इस मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी.

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