सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर एक्शन लगवाने की मांग करने वाले याचिकाकर्ता गरीब हैं तो ...
मैं हैरान हूं कि गरीब याचिकाकर्ता सिंघवी जी की फीस कैसे दे पा रहा है :सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता
सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर एक्शन के खिलाफ लगी याचिकाओं पर मंगलवार (1 अक्टूबर) को सुनवाई हुई. इस दौरान जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि हम एक धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था में हैं. अवैध निर्माण हिंदू का हो या मुस्लिम का कार्रवाई होनी चाहिए. वहीं जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा कि अगर 2 अवैध ढांचे हैं और आप किसी अपराध के आरोप को आधार बना कर उनमें से सिर्फ एक को गिराते हैं तो सवाल उठेंगे ही. इस दौरान एक ऐसा मौका आया, जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने वकील अभिषेक मनु सिंघवी की चुटकी ले ली.
'गरीब याचिकाकर्ता सिंघवी जी की फीस कैसे दे पा रहा है?
बुलडोजर एक्शन के खिलाफ याचिकाओं की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी एक याचिकाकर्ता की ओर से बोलने के लए खड़े हुए. इस दौरान तुषार मेहता ने मजाकिया लहजे में कहा कि मैं हैरान हूं कि गरीब याचिकाकर्ता सिंघवी जी की फीस कैसे दे पा रहा है?
इस पर अभिषेक मनु सिंघवी ने जवाब देते हुए कहा कि आप भूल रहे हैं, हम वकील कभी-कभी निशुल्क भी पेश होते हैं. इसके बाद जस्टिस गवई ने कहा कि हम आगे की बात करते हैं, यह देखते हैं कि हमारे आदेश का क्या नतीजा निकलेगा.
'छवि बना रहे कि एक समुदाय निशाने पर है'
सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर एक्शन केस पर सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मेरा सुझाव है कि रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजने की व्यवस्था होनी चाहिए. 10 दिन का समय देना चाहिए, उन्होंने कहा कि मैं कुछ तथ्य रखना चाहता हूं. यहां ऐसी छवि बनाई जा रही है, जैसे एक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है.
एसजी मेहता ने कहा कि नोटिस दीवार पर चिपकाया जाता है. यह लोग मांग कर रहे हैं कि ऐसा गवाहों की मौजूदगी में हो. इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि अगर नोटिस बनावटी हो सकता है तो गवाह भी गढ़े जा सकते हैं. यह कोई समाधान नहीं लगता. जस्टिस गवई ने कहा कि अगर 10 दिन का समय मिलेगा तो लोग कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकेंगे.
'कोर्ट दे ऐसा समाधान, जो कानून में नहीं'
इस पर एसजी तुषार मेहता ने कहा कि मैं विनम्रता से कहना चाहूंगा कि यह स्थानीय म्युनिसिपल नियमों से छेड़छाड़ होगी. इस तरह से अवैध निर्माण को हटाना मुश्किल हो जाएगा. जिसके बाद जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि किसी जगह रहते परिवार को वैकल्पिक इंतजाम के लिए भी 15 दिन का समय मिलना चाहिए. घर और बुजुर्ग भी रहते हैं. लोग अचानक कहां जाएंगे. इस पर तुषार मेहता ने कहा कि मैं सिर्फ यही कह रहा हूं कि कोर्ट को ऐसा समाधान नहीं देना चाहिए, जो कानून में नहीं है.
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