प्रदेश के नामचीन खबर नबीसों की जो सूची वायरल कराई जा रही है,उसके पीछे कौन और क्यों !
आखिर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर भी पड़ ही गया भ्रष्ट तंत्र की काली स्याही का काला साया !
भोपाल। बड़े ही आश्चर्य की बात है कि सोशल मीडिया पर इन दिनों मध्यप्रदेश के नामचीन खबर नबीसों की एक फेहरिस्त बड़ी धूम-धाम के साथ वायरल हो रही है या कराई जा रही है, परन्तु इस फेहरिस्त के वायरल किए कराए जाने का मकसद अब तक सामने नहीं आ सका है। अलबत्ता सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इस फेहरिस्त को लेकर तरह-तरह की चर्चाओं के दौर चल रहे हैं। लेकिन खास बात यह कि जो फेहरिस्त सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है उसका चौथा पन्ना ग़ायब है। और सिर्फ चौथा ही नहीं पता नहीं कितने पन्ने ऐसे हैं जो इस सूची से गायब हैं।
सीधी और सपाट भाषा में कहें तो फेहरिस्त का वह हिस्सा बड़ी ही कुशलता के साथ गायब कर दिया गया जिसमें देश और प्रदेश के ख्यातिलब्ध ख़बर नवीसों का बखान किया गया है और जिसके सार्वजनिक होने मात्र से सत्ता और संगठन सहित पत्रिकारिता के उन तमाम धुरंधरों के चेहरे बेनकाब होने का अंदेशा था। फेहरिस्त वायरल कराने वाले ने कोई बड़ा भूचाल न आए इसलिए फेहरिस्त से सिर्फ चौथा पन्ने को ही नहीं ,बल्कि और भी कई होंगे और ऐसे कितने पन्ने ऐसे हैं जो इस सूची से गायब गायब हैं और गायब करने वाले ने इन्हें गायब करने में ही भलाई समझी होगी !
खैर चर्चाओं के मुताबिक यह फेहरिस्त परिवहन महकमे द्वारा उपकृत किए जाने वाले मध्यप्रदेश के ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ खबरनबीसों की है, जिसे परिवहन महकमे के मुखिया के साथ पटरी न बैठने के चलते उन्हीं के अधीनस्थ किसी हुक्मरान द्वारा वायरल कराई गई है। हालांकि इस बात के कोई पुख्ता प्रमाण नहीं हैं कि उक्त फेहरिस्त को वायरल करने के पीछे परिवहन महकमे से हालिया तबादला किए अफसर का कोई हाथ है या नहीं और इसके पीछे क्या उद्देश्य था !
हां इस फेहरिस्त को लेकर जो सबसे ज्यादा चर्चित नाम सामने आया वह राष्ट्रवादी विचारधारा के द्योतक एक दैनिक समाचार पत्र के खबर नबीस है, जो ग्वालियर के दैनिक समाचार पत्र के भोपाल संस्करण के संवाददाता हैं। वायरल हो रही कथित फेहरिस्त को लेकर हो रही चर्चाओं पर भरोसा करें, तो इस अखबार के नाम पर हर महीने दो लाख रुपए दिए जा रहे थे। इनमें से एक लाख रूपये उन्हें क्षपरिवहन मंत्री की सिफारिश पर दिए जा रहे थे। कहने वाले लोग राष्ट्रवादी विचारधारा के पोषक इस अखबार को सरकारी अखबार कहते हैं, क्योंकि यह संघ समर्थित अखबार है।
अब बड़ा सवाल यह भी है कि क्या यह राशि अकेले इस अखबार के संवाददाता के हाथ आ रही थी या फिर अखबार के संपादक और संचालकों का भी इसमें हिस्सा मिल रहा था। बहरहाल फेहरिस्त में कई ख़बर नबीस ऐसे भी हैं, जिन्हें आज तक अपने नाम से आने वाली कथित धनराशि के सम्बन्ध में जानकारी तक नहीं है और उक्त फेहरिस्त वायरल होने के बाद इसमें अपना नाम देखकर वे आश्चर्यचकित हैं। इस फेहरिस्त में कुछ नाम ऐसे भी हैं जिन्हें हर महीने एक लाख रुपए दिए जा रहे थे, अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर परिवहन महकमे द्वारा कथित रुप से मध्यप्रदेश के खबर नवीसों को यह राशि कौनसा घोटाला छुपाने के एवज में दी जा रही थी।
क्या परिवहन महकमे के आला हुक्मरान महकमे के किसी बड़े भ्रष्टाचार को उजागर होने से रोकने के लिए यह उपकार कर रहे थे? तो यह जांच का विषय है कि परिवहन महकमे में ऐसा क्या घोटाला हो रहा है, जिसे छुपाने के लिए परिवहन महकमे के हुक्मरान मीडिया के सामने नतमस्तक हो गए थे। यह फेहरिस्त सही है या गलत इसकी पुष्टि भी "भड़ास फॉर मीडिया", जिसने इसे वायरल किया है कोई सबूत पेश नहीं किया। बहरहाल एक चर्चा यह भी है कि यह फेहरिस्त काफी पुरानी है और महकमे की आंतरिक अंतर्कलह की वजह से सोची समझी साज़िश के तहत वायरल कराई गई है।
इधर परिवहन महकमे के सूत्र बताते हैं कि फेहरिस्त का एक पन्ना गायब किया गया है, जिसमे कई नामचीन नाम बताए जाते हैं, कुछ लोगों का यह भी कहना है कि तत्कालीन परिवहन मंत्री के एक ओएसडी ने फेहरिस्त वायरल कराई है। यदि इस सूची को सत्य मान भी लें तो फिर क्या सबसे बड़ी और आश्चर्यजनक बात यह है कि इतना बड़ा भ्रष्टाचार होता रहा और कलेक्टर, एसपी, लोकायुक्त के अफसर, ईओडब्ल्यू जैसी एजेंसियों और आला फनकार नेताओ को इसकी भनक तक नही लगी या ये सब भी इसमें संलिप्त रहे हैं और जानबूझ कर इस गड़बड़झाले को नजरंदाज करते रहे। परिवहन महकमे की इस फेहरिस्त में कितनी सत्यता है? इस बात का खुलासा होना चाहिये।
कांग्रेस के ‘डर्टी ट्रिक डिपार्टमेंट’ की एक गंदी ऊपज है : आशीष अग्रवाल
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने सोशल मीडिया पर वायरल पत्रकारों के नामों वाली एक सूची पर मचे बवाल और उसको लेकर कांग्रेस द्वारा छीटाकशी किये जाने के बाद अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए , इसे कांग्रेस के ‘डर्टी ट्रिक डिपार्टमेंट’ की एक गंदी ऊपज करार दिया है।
अपने x पर आशीष अग्रवाल ने लिखा है कि सोशल मीडिया पर मध्य प्रदेश के सम्मानित पत्रकार बंधुओं से संबंधित वायरल सूची पूर्णतः अप्रमाणिक, असत्य और भ्रामक है यह सूची देशभर में शानदार और धारदार पत्रकारिता के लिए प्रसिद्ध मध्य प्रदेश के *पत्रकारों की छवि को धूमिल करने का एक कुत्सित प्रयास है। यह स्पष्ट रूप से कांग्रेस के ‘डर्टी ट्रिक डिपार्टमेंट’ की एक गंदी ऊपज प्रतीत होती है।
श्री अग्रवाल ने लिखा कि इस अप्रमाणिक सूची पर कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रिया मध्यप्रदेश के पत्रकारों का घोर अपमान हैं। पत्रकार साथियों की कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी सन्देह से परे है। उन्होंने लिखा कि कांग्रेस लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर कीचड़ उछालना बंद करें।
सूची में नाम आने से आहत पत्रकारों ने कराई अज्ञात पर पहली एफआईआर, सूची को फर्जी बताया !
राजधानी के पत्रकारो ने भी क्राइम ब्रांच थाने में लिस्ट वायरल करने वाले अज्ञात आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराते हुए कड़ी कार्यवाही की मांग की है। वहीं इस वायरल लिस्ट को लेकर प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने कॉग्रेस पर निशाना साधा है। जानकारी के अनुसार भोपाल के कोहेफिजा इलाके में स्थित ई-004 रिगालिया हाईट्स में रहने वाले रिजवान अहमद सिद्दीकी सहित मृगेन्द्र सिंह, धनंजय प्रताप सिंह और जितेन्द्र चौरसिया ने थाना क्राइम ब्रांच में लिखित शिकायती आवेदन दिया ।
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