G News 24 : मनोरंजन की चाहत में ज्यादातर यूथ ने आस्था को भी बना लिया है मनोरंजन का साधन !

 10 मिनट की आरती में 10 लोग नहीं आते.लेकिन 4 घंटे का गरबा डांस में  शहर उमड़ पड़ता है...

मनोरंजन की चाहत में ज्यादातर यूथ ने आस्था को भी बना लिया है मनोरंजन का साधन !

                                                                    ये कैसी आस्था है !!!

ग्वालियर। 10 मिनट की आरती में, प्रवचन में 10 लोग नहीं आते.लेकिन 4 घंटे का गरबा डांस देखने को पूरा शहर उमड़ पड़ता है इससे एक बात तो स्पष्ट होती है कि मनोरंजन की चाहत में ज्यादातर यूथ ने आस्था को भी बना लिया है मनोरंजन का साधन। आज के सनातनी युवा सनातनी श्रद्धा भक्ति और आस्था पर नहीं मनोरंजन में ज्यादा  विश्वास करता है।  यही कारण है कि जहां गणेश/ दुर्गा पंडालों में सुमधुर धुन पर भजन सुनाई देते थे। उनके स्थान पर अब कानफोड़ू डीजे पर बजते बे-सूरे संगीत ने ले लिया है।

इन पंडालों में पहले युवक युवतियां अपने परिजनों के साथ श्रद्धा भाव लिए दर्शन करने पहुंचते थे। अब वे अपने दोस्तों के साथ मनोरंजन कि तलाश में इन पंडालों में पहुंचते हैं। पंडालों ज्यादा भीड़ तो दुसरे अन्य मनोरंजन वाले स्थानों पर देखी जा सकती है। लेकिन वे यह भूल रहे हैं कि यही मनोरंजन एक दिन सनातनियों के पतन का कारण भी शायद बनेगा और यह जो बहन बेटियां है ना आधे अधूरे कपड़े पहनकर अर्धनग्न अवस्था में गरबा पंडालों में अपनी इज्जत का पोस्टमार्टम करवाने पहुंचती हैं तो उनसे मेरा यही कहना है सनातन धर्म में आपको देवी शब्द का नाम दिया है तो आप उस देवी शब्द की मर्यादा का ध्यान रखो क्योंकि गरबा कोई खेल नहीं यह एक सांस्कृतिक परंपरा है।

आपको अगर गरबा -डांडिया खेलना  है तो उसे पारंपरिक तरीके से खेलो।बाज़ार बाद के चलते ये पूरी तरह कमर्शियल हो गया है। आप इससे बचिए ,यह जो रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर अर्धनग्न अवस्था लेकर मंच पर डांडिया चटकाती हो ना तुम्हारी गलतियों के कारण एक दिन तुम्हें काले अंधकार रूपी आभा मंडल में अपने आप शरीर को ढक कर रहने पर भी मजबूर होना पड़ सकता है। हालत और समय की नाजुकता को समझिये। 

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