G News 24 : चंद लोगों के 3 घंटे के मनोरंजन पर 200 करोड़ खर्च, नेताजी मिला श्रेय, लेकिन जनता को क्या मिला ?

 लोगों के साथ जो हो रहा है होता रहे, इससे इन कथित समाज सेवकों को मतलब नहीं...

चंद लोगों के 3 घंटे के मनोरंजन पर 200 करोड़ खर्च, नेताजी मिला श्रेय, लेकिन जनता को क्या मिला ?

ग्वालियर। राजनीति का स्तर दिनों दिन इतना गिरता जा रहा है कि इसकी कभी आजादी के लिए संघर्ष करते हुए देश के लिए सब कुछ न्योछावर करने वाले क्रांति वीरों ने कल्पना भी नहीं की होगी। इस समय के तथाकथित समाजसेवी,समाज चिंतक और अपने आप को समाज का हितैषी बताने वाले राजनेता स्वयं को या स्वयं के उत्तराधिकारी को लॉन्च करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। इसका जीता जागता उदाहरण है भारत और बांग्लादेश के बीच ग्वालियर में खेला गया T-20 का पहला क्रिकेट मैच।

बांग्लादेश में जिस दिन से शेख हसीना की सरकार का तख्ता पलट हुआ है उसी दिन से वहां के अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ क्या कुछ नहीं हो रहा है, उनको मारा जा रहा है, उनके व्यवसाय नष्ट किया जा रहे हैं, लूट जा रहे हैं, उनकी बहन बेटियों की आबरू को तार तार किया जा रहा है, इतना सब कुछ होने बावजूद हमारे देश की सरकार और भारतीय क्रिकेट बोर्ड बांग्लादेश के खिलाड़ियों के साथ T-20 खेल रहा है। पाकिस्तान में भी यही सब कुछ हिंदुओं के साथ होता है ! जो इस समय बांग्लादेश में हो रहा है तो भारतीय सरकार और क्रिकेट बोर्ड कहता है कि हम पाकिस्तान नहीं जाएंगे उनके साथ मैच नहीं खेलेंगे और जब बांग्लादेश में होता है तो उनके साथ मैच भी खेलेंगे और उनको भारत भी बुलाएंगे आखिरकार यह दौहरा रवैया अपना कर सरकार द्वारा देश के बहुसंख्यक लोगों को गुमराह क्यों किया जाता है।

क्या सरकार का फर्ज नहीं बनता है कि बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं पर होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए बांग्लादेश सरकार पर सशर्त  दवाब बनाया जाना चाहिए था। सरकार को चाहिए था कि जब तक वहां के हिंदुओं पर हिंसा और अत्याचार पर रोक नहीं लगाई जाती तब तक बांग्लादेश सरकार के साथ या उनके खिलाड़ियों के साथ किसी भी प्रकार की कोई डील नहीं होगी। जैसा कि पाकिस्तान के साथ किया गया। पाकिस्तान के साथ इस प्रकार का लिया गया निर्णय एक अच्छा निर्णय है। तो फिर बांग्लादेश के खिलाड़ी देश में कैसे खेल रहे हैं। क्या हमारे क्रिकेट बोर्ड और भारतीय खिलाड़ियों के लिए और इससे जुड़े राजनेताओं के लिए पैसा ही सब कुछ है इसके लिए चाहे फिर कितने ही लोगों की जान माल और आबरू पर क्यों ना संकट खड़ा हो जाए। 

बांग्लादेश के खिलाड़ियों के साथ ग्वालियर में खेले गए मैच के बारे में सूत्रों से निकालकर जो खबरें सामने आ रही है यदि उन पर यकीन किया जाए तो इस मैच के आयोजन के पीछे एक नेता के भविष्य के उत्तराधिकारी की लॉ लान्चिंग बताई जा रही है। इस मैच के बहाने इस नेता पुत्र की धूमधाम से पूरी दुनिया के सामने लांचिंग भी हो गई। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि इस आधे अधूरे नवनिर्मित स्टेडियम के अंदर जल्दबाजी में हुए इस आयोजन पर 200 करोड़ खर्च करने के बाद ग्वालियर वासियों को महज 3 घंटे के मनोरंजन के अलावा और क्या मिला ?

ऐसा भी नहीं है कि देश-दुनिया में ग्वालियर की कोई पहचान ना हो, और इस मैच की वजह से ग्वालियर को एक नई पहचान मिल गई हो! तो, ऐसा तो बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि ग्वालियर का अपना एक इतिहास है एक अपनी पहचान पहचान है । ऐसे छोटे-मोटे आयोजन से ग्वालियर की पहचान में कोई चार चांद नहीं लग गए। बल्कि आधे अधूरे बने इस स्टेडियम पर जिसके पास अभी अभी ना तो पार्किंग की व्यवस्था है ना ही जो जरूरी सुविधाएं हैं, फिर भी यहां पर मैच के आयोजन होने से ग्वालियर की छवी को धक्का लगा है। 

यूं तो ग्वालियर हमेशा से ही अतिथियों के स्वागत सम्मान में पलक-पावडे बिछाकर तैयार रहता है लेकिन इस बार ग्वालियर में अतिथि खिलाड़ियों को विरोध का सामना करना पड़ा। उन्हें मस्जिद में नमाज नहीं पढ़ने दी गई। शहर में भ्रमण नहीं करने दिया गया। उनके विरोध में शहर के अंदर धरना प्रदर्शन और लश्कर का बंध होना, बहुत कुछ दर्शाता है। यह सब यह दर्शाता है कि, जो मैसेज बांग्लादेश को सरकार नहीं दे सकी,वह मैसेज ग्वालियर के लोगों ने बांग्लादेश को देश पूरी दुनिया के सामने दे दिया है।

इस मैसेज के साथ-साथ दूसरा मैसेज यह भी है कि जिन नेताओं की एक आवाज पर पूरा ग्वालियर उनके पीछे चल देता था देता था,अब ऐसा नहीं है । लोग सोचने,समझने लगे हैं। नेताओं को अपनी राजनीति और अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी के हितों की चिंता सर्वोपरि है देश और आवाम के हित उसके बाद। इसलिए आप जनता ऐसे लोगों का विरोध करने से भी पीछे नहीं हटती है। हालांकि टीम इण्डिया 7 विकेट से मैच जीत गई इसलिए लोगों का नेताजी के प्रति जो रोष था वह अब कम हो गया है। 

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