यह विषय ग्वालियर की जनता के जनहित से जुड़ा हुआ है...
बांधो पर अतिक्रमण मामले में प्रमुख सचिव सहित निगमायुक्त और कलेक्टर को हाईकोर्ट का नोटिस !
ग्वालियर। ग्वालियर शहर के आसपास स्थित बांधो पर हुए अतिक्रमण से हाई कोर्ट चिंतित, हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी अतिक्रमण न हटाए जाने पर हाईकोर्ट द्वारा जल संसाधन मंत्रालय के प्रमुख सचिव राजेश राजौरा कलेक्टर ग्वालियर रुचिका चौहान तथा कमिश्नर नगर निगम अमन वैष्णव को न्यायालय अवमानना के मामले में कारण बताओं नोटिस जारी किया गया है। हाई कोर्ट ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह विषय ग्वालियर की जनता के जनहित से जुड़ा हुआ है यदि पानी के स्रोत और बांध सुरक्षित नहीं रखे जाएंगे तो भविष्य में लोगों के सामने जल संकट खड़ा हो जाएगा, इस मामले में अंतिम पायदान तक करवाई किया जाना आवश्यक है।
अभिभाषक अवधेश भदौरिया के अनुसार बैजल कोठी मुरार निवासी महेश बनबारिया द्वारा उक्त अधिकारियों के विरुद्ध हाई कोर्ट में एक अवमानना याचिका इस आशय की प्रस्तुत की गई कि हाई कोर्ट द्वारा एक जनहित याचिका में दिनांक 25 2 2019 को ग्वालियर शहर के आसपास बारिश का पानी संचय करने के लिए पुराने समय से स्थित प्रमुख सात बांधो रायपुर ताल, मामा का ताल, वीरपुर डैम, हनुमान बांध, रमौआ डैम तथा जदेरूआ बांध से अतिक्रमण हटाने के आदेश पारित किए गए थे किंतु उक्त आदेश हुए करीब 5 वर्ष व्यतीत होने के बाद भी आज दिनांक तक उपरोक्त अधिकारियों द्वारा उक्त डेमो से अतिक्रमण नहीं हटाए गए विपरीत इसके लगातार बांधों की जमीन पर अतिक्रमण बढ़ते जा रहे हैं जिससे बारिश का पानी बांधो में इकट्ठा नहीं हो पा रहा है।
याचिका में कहा गया कि ग्वालियर शहर जल संकट के मुहाने पर हैं ज्यादातर वर्षों में एक दिन छोड़कर एक दिन पीने का पानी शहर वासियों को सप्लाई हो पता है अधिकतर बोरिंग सूख चुके हैं अगर कहीं पानी मिलता भी है तो ढाई सौ से 300 फीट के नीचे स्तर पर मिलता है जल संकट की सबसे बड़ी वजह ग्वालियर के आसपास उक्त बांधों के स्टोरेज और कैंचमेंट एरिया में 400 से 500 स्थाई एवं अस्थाई अतिक्रमण हो चुके हैं बांधों के क्षेत्र में किसानों ने अवैध कब्जा करके बड़े पैमाने पर खेती कर रहे हैं अवैध कब्जा करने वाले लोगों ने बांधों के गेट भी तोड़ दिए हैं जिससे बारिश का सारा पानी बह जाता है, ज्यादातर बानो की जमीन पर भू माफियाओं द्वारा अतिक्रमण कर कालोनियां काट दी गई है जिसकी वजह से बारिश का पानी बांधो तक नहीं पहुंच पाता है जिसके चलते ग्वालियर शहर का जलस्तर दिनों दिन नीचे गिरता जा रहा है।
मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता श्री भदोरिया द्वारा तर्क दिया गया कि अलापुर बांध में पानी भरने के लिए डूब क्षेत्र की लगभग 245 बीघा जमीन के अधिग्रहण के लिए शासन द्वारा किसानों को 1987 में मुआवजा दिया जा चुका था लेकिन जल संसाधन विभाग के अफसरो की मिली भगत के चलते उस जमीन पर आज भी किसानों का कब्जा है जो की खेती कर रहे हैं। हाई कोर्ट ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह विषय ग्वालियर की जनता के जनहित से जुड़ा हुआ है यदि पानी के स्रोत और बांध सुरक्षित नहीं रखे जाएंगे तो भविष्य में लोगों के सामने जल संकट खड़ा हो जाएगा, इस मामले में अंतिम पायदान तक करवाई किया जाना आवश्यक है।
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