न्याय की तलाश कर रहा कोई नागरिक सबसे पहले जिला न्यायपालिका से संपर्क करता है...
कानूनी व्यवस्था की रीढ़ को बनाए रखने के लिए जिला न्यायपालिका को अधीनस्थ कहना बंद करे : CJI
नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने जिला न्यायपालिका को ‘‘न्यायपालिका की रीढ़’’ बताकर कहा कि यह कानून का अहम घटक है। यहां ‘जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन’ को संबोधित कर सीजेआई ने कहा कि यह जरूरी है कि जिला न्यायपालिका को अधीनस्थ कहना बंद करे। इस सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘न्याय की तलाश कर रहा कोई नागरिक सबसे पहले जिला न्यायपालिका से संपर्क करता है। जिला न्यायपालिका कानून का अहम घटक है।
सीजेआई ने कहा, ‘‘इसलिए जिला न्यायपालिका से बड़ी जिम्मेदारी निभाने का आह्वान किया जाता है और इस न्यायपालिका की रीढ़’ के रूप में वर्णित किया गया है। रीढ़ तंत्रिका तंत्र का अहम अंग है। उन्होंने कहा, कानूनी व्यवस्था की रीढ़ को बनाए रखने के लिए हमें जिला न्यायपालिका को अधीनस्थ न्यायपालिका कहना बंद करे। आजादी के 75 साल बाद, अब समय आया है कि हम ब्रिटिश काल के एक और अवशेष-अधीनता की औपनिवेशिक मानसिकता को दफना दें।’’
न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि 2023-24 में अदालती रिकॉर्ड के 46.48 करोड़ पृष्ठों को डिजिटल रूप दिया गया। उन्होंने कहा कि ई-कोर्ट परियोजना के तहत 3,500 से अधिक अदालत परिसरों और 22,000 से अधिक अदालत कक्षों का कम्प्यूटरीकरण भी किया गया। देश में जिला अदालतों ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के द्वारा 2.3 करोड़ मुकदमों पर सुनवाई की।’’ सीजेआई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसलों को संविधान में मान्यता प्राप्त प्रत्येक भाषा में अनुवादित किया जा रहा है और 73,000 से अधिक अनुवादित फैसले सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं। न्यायपालिका की बदलती जनसांख्यिकी पर आंकड़ों का हवाला देकर उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जिला न्यायपालिका में शामिल होने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ी है।
उन्होंने कहा, 2023 में राजस्थान में दीवानी न्यायाधीशों की कुल भर्ती में 58 प्रतिशत महिलाएं शामिल थीं। दिल्ली में 2023 में नियुक्त हुए न्यायिक अधिकारियों में 66 प्रतिशत महिलाएं थीं। उत्तर प्रदेश में 2022 में दीवानी न्यायाधीशों (जूनियर डिवीजन) के लिए नियुक्त होने वाली 54 प्रतिशत महिलाएं थीं।’’ सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि केरल में कुल न्यायिक अधिकारियों में से 72 प्रतिशत महिलाएं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ये कुछ उदाहरण हैं जो भविष्य की एक आशाजनक न्यायपालिका की तस्वीर पेश करते हैं।
सीजेआई के अलावा प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमनी, उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने भी सम्मेलन को संबोधित किया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी बयान के अनुसार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एक सितंबर को समापन भाषण देंगी और उच्चतम न्यायालय के झंडे व प्रतीक चिह्न का भी अनावरण करेंगी।
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