1947 से लेकर 70-80 के दशक तक तो कांग्रेसी सरकारें ही थी...
जिसके 4 पूर्वज PM रह चुके हैं वह यदि कहता है की देश पिछड़ा हुआ है तो गलती किसकी !
"इंडिया में कुछ नहीं होता है, सब पूरे दुनिया में चीन ही कर रहा है जो कर रहा है. 60-70 के दशक में भी चीन दुनिया का मैन्युफैक्चरिंग हब था आज भी है." यह कहना है राहुल गांधी का अब उन्हें कोई याद दिलाये की, 1947 से लेकर 70-80 के दशक तक तो कांग्रेसी सरकारें ही थी, क्यों नहीं भारत को दुनिया का मैन्युफैक्चरिंग हब बना दिया...
जिस व्यक्ति के चार पूर्वज देश के प्रधानमंत्री रह चुके हो और वह यदि यह कहे कि - इस देश में बेरोजगारी बहुत है, यहां पर महंगाई बहुत है, यहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है, तो उसे व्यक्ति को यह सब कहने से पहले ही चुल्लू भर पानी में डूब कर मर जाना चाहिए। लेकिन फिर भी यदि वह ऐसा कह रहा है तो समझ लो कि वह अपने पूर्वजों की मिट्टी पट रहा है। और यदि उसकी बात एक परसेंट भी सत्य है तो फिर देश के नागरिक उस पर कैसे विश्वास करें? क्योंकि उसकी पीढ़ी के चार पूर्वज यदि प्रधानमंत्री रहकर उसे देश के लिए कुछ नहीं कर सके तो वह किस मुंह से ये सब बातें लोगों को कह सकता है उसको तो शर्म आनी चाहिए यह बात कहते हुए।
इसका दूसरा पहलू यह भी है कि फिर उसे और उसके परिवार को सिर्फ और सिर्फ सत्ता से मतलब है देश से कोई लेना देना नहीं है। क्योंकि एक ही परिवार के यदि चार प्रधानमंत्री रह चुके हो और वह यदि उस देश का भला नहीं कर सके हो तो इसका मतलब तो यही हुआ कि या तो उनमें क्षमता नहीं थी और या फिर उन्होंने जानबूझकर किया नहीं। क्योंकि यदि कर देते और अगर देश तरक्की कर जाता तो हो सकता है फिर उनको वोट ना मिले यह सोचकर नहीं किया।
और इस बात का तीसरा पक्ष यह भी है कि यदि फिर भी उस देश के नागरिक उस व्यक्ति की बात सुनते हैं उनकी बातों पर भरोसा करते हैं उनके बोलने से उसको वोट देते हैं तो समझ लो फिर कहीं ना कहीं वोट देने वालों में भी बौद्धिक विकास की कमी है। वरना वोट देने वाले हलक में हाथ डालकर यह बात पूछ सकते हैं कि - क्यों भैया जब तुम्हारे चार पूर्वज जिस देश के प्रधानमंत्री रहे हैं फिर भी यदि यह देश तरक्की नहीं कर सका है तो तुम्हारी जरूरत नहीं है अब हमें। या फिर वोट देते देते मन में गुलामी का भाव आ गया है और वह चीज दिमाग के अंदर घर कर गई कि हमें तो सिर्फ और सिर्फ उनकी ही गुलामी करनी है चाहे तरक्की हो या ना हो इसके अलावा कोई और कारण नहीं हो सकते हैं।
सुनिए राहुल गांधी अमेरिका में जाकर क्या कह रहे हैं चीन की तारीफ कर रहे हैं और अपने ही देश की बदनामी कर रहे हैं। पहली बात तो विदेश में जाकर अपने देश की बदनामी किसी भी हालत में नहीं करनी चाहिए चाहे कुछ भी हो जाए। फिर भी यदि किसी को लगता है कि नहीं यह तो मेरा हक है मैं तो कहूंगा तो, फिर वह व्यक्ति कह सकता है जिसके पूर्वज ने देश को न चलाया हो तो वह कह सकता है कि देखो हमारे पास तो आज तक शासन आया नहीं इसलिए यह देश पिछङा रह गया है। राहुल गांधी के चार पूर्वज इस देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं उसके बावजूद यदि वह ताल ठोक-ठोकर कहते हैं कि यह देश पिछड़ा है तो कमी आपकी है किसी दूसरे की नहीं !
- दिव्या सिंह
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