परिवहन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह की भूमिका पर उठे सवाल...
प्रदेश में परिवहन चौकियों के बंद होने के बाद भी अवैध वसूली जारी है !
बड़वानी। मध्य प्रदेश में हाल ही में परिवहन चौकियों के बंद किये जाने के बाद अवैध वसूली का मामला सामने आया है, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। जब परिवहन चौकियों को बंद किया गया, तो यह उम्मीद की गई थी कि इससे भ्रष्टाचार में कमी आएगी। लेकिन इस बीच खबरें आ रही हैं कि कुछ जगहों पर अवैध वसूली का खेल जारी है।सूत्रों ने बताया कि जहां पहले बैरियर हुआ करता था उसके पास ही में एक कंटेनर में कर्यालय नुमा जगह पर कर्मचारियों द्वारा अनधिकृत रूप से पैसे एकत्र किए जा रहे थे।
इस मामले ने अधिकारियों और आम जनता के बीच गंभीर चर्चाओं का विषय बना दिया है। मामला तब उजागर हुआ जब एक स्थानीय नागरिक ने बालसमंद सेंधवा बैरियर पर कंटेनर कार्यालय में चल रही अवैध वसूली की शिकायत की । सूत्रों के अनुसार यहां के कर्मचारी बिना किसी आधिकारिक अनुमति के फाइलों और दस्तावेजों के लिए पैसे मांग रहे थे। यह स्थिति न केवल सरकारी प्रक्रिया के खिलाफ है, बल्कि इससे लोगों के अधिकारों का भी उल्लंघन हो रहा है।
वाहन चालकों ने इस प्रकार की वसूली की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि अवैध वसूली के कारण उन्हें अतिरिक्त परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कई लोगों ने यह भी कहा कि इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। इस मामले की जानकारी मिलते ही उच्च अधिकारियों ने जांच का आदेश दिया है। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि वे इस मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। इसके साथ ही अवैध वसूली को रोकने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।
यह घटना मध्य प्रदेश में सरकारी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की आवश्यकता को उजागर करती है। नागरिकों का भरोसा बहाल करने और सरकारी सेवाओं को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए, अधिकारियों को तुरंत कदम उठाने की आवश्यकता है। यदि इस तरह की गतिविधियों को समय पर नहीं रोका गया, तो इससे लोगों का सरकार पर से विश्वास उठ सकता है।
इस घटना के कारण परिवहन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह पर आरोप लग रहे हैं कि उनके संरक्षण में यह अवैध वसूली हो रही है। वहीं स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि अधिकारी और कर्मचारी बिना किसी रुकावट के पैसे वसूल रहे हैं, जबकि मंत्री इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे को उठाया है और सरकार पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। उन्होंने सवाल उठाया है कि यदि मंत्री और उच्च अधिकारी इस मामले में गंभीर होते, तो अवैध वसूली नहीं हो रही होती ।
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