गिने-चुने ट्रैफिक पुलिसकर्मी ना-काफी हैं ध्वस्त हुई व्यवस्था को सुधारने में ...
अस्त-व्यस्त यातायात ग्वालियर की पहचान बना,जिम्मेदार अब भी मौन हैं !
लापरवाही में मशगूल यातायात प्रबंधन ने पूरे शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को चारों खाने चित्त कर दिया है। शहर के बड़े चौराहों पर सिग्नल की हालत तो पहले से ही खराब पड़ी थी, अब आलम ये है कि सिग्नल से गुजरने में लोगों को तीन बार रेड लाइट का सामना करना पड़ रहा है।
लेफ्ट टर्न की व्यवस्था भी धराशाही है, कहीं सवारी वाहनों का अतिक्रमण हैं तो कहीं हाथ ठेलों ने कब्जा जमा रखा है। जिन पुलिस और ट्रैफिक के अधिकारियों को इन्हें हटाना चाहिए वह भी हाथ पर हाथ धरकर तमाशा देखते रहते हैं। कई सिग्नलों पर पुलिस अधिकारी दिखते नहीं है और जहां अगर होते हैं तो व्यवस्थाएं सुधारने की जगह खानापूर्ति करते रहते हैं। शहर के गोला का मंदिर, फूलबाग जैसे महत्वपूर्ण और प्रमुख चौराहों पर कोई वाहन बिना जाम में फंसे नहीं गुजर पाता है। चौराहों पर रेंगते यह वाहन लचर ट्रैफिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हैं।
यातायात को सहज बनाने के लिए लेफ्ट टर्न की व्यवस्था की गई थी वहां अब सवारी वाहनों और ठेले वालों का कब्जा है। सुनने में यह भी आता है कि जिम्मेदार अधिकारियों की साठगांठ और उन्हीं के संरक्षण में यह सभी मिलकर ट्रैफिक व्यवस्थाओं को सेंध लगा रहे हैं। लश्कर क्षेत्र में ट्रैफिक के हालात बिगड़ गए हैं , सवारी वाहन और सिग्नल की गफलत में शहर के वाहन चालक फंसे हुए रहते हैं।। कई मीटर लंबा जाम इस शहर में अब आम बात हो गई है। ये जाम अब ग्वालियर की पहचान बनते जा रहे हैं।
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