G News 24 : सौ प्रतिशत लिखकर रख लीजिए कि जो दुआ कमाएगा वो धन अपने आप कमाएगा:वीके शिवानी

 'धन, अन्न ,मन और तन सबसे पहले आते'...

सौ प्रतिशत लिखकर रख लीजिए कि जो दुआ कमाएगा वो धन अपने आप कमाएगा:वीके शिवानी 

देश और हरियाणा के बहुआयामी विकास पर महामंथन कार्यक्रम के दौरान बीके शिवानी ने कहा कि जो धन कमाते हैं वो दुआ नहीं कमाते लेकिन सौ प्रतिशत लिखकर रख लीजिए कि जो दुआ कमाएगा वो धन अपने आप कमाएगा। धन जिस तरह से आता है उसी तरह से जाता है।

'धन, अन्न ,मन और तन सबसे पहले आते'

बीके शिवानी ने कहा कि धन, अन्न ,मन और तन सबसे पहले आते हैं। मतलब धन की देवी भी कीचड़ में रहते हुए कमल पर बैठे हुए दिखाया गया है। धन के साथ किसी की दुआ घर आए तो बेहतर होगा। धन कमाना बुरा नहीं है, पर कैसे कमाते है ये सोचने के बात है।

अध्यात्म धन कमाने से मना नहीं करता

उन्होंने कहा कि चार गाड़ियां लीजिए, कोई मना नहीं कर रहा। अध्यात्म धन कमाने से मना नहीं करता। धन, मन, अन्न और तन। मन और तन को शक्तिशाली बनाना है तो धन बनाना होगा। इसलिए धन को लक्ष्मीजी कहा गया है। कमाने का तरीका कमल पुष्प की तरह हो, वह दुआओं के साथ। ऐसा करेंगे तो धन सेहत और सुकून लेकर आएगा। धन बहुत कमाएं, लेकिन दुआओं के साथ कमाएं। 

क्या कभी कोई ऐसा दुकानदार मिलता है, जो कहता हो कि आज मुझसे मत खरीदो, सामान ताज़ा नहीं है। उसने आपके बारे में सोचा, धन नहीं कमाया, लेकिन आपकी दुआएं कमाईं। बीके शिवानी ने कहा कि संस्कारों के साथ रखकर आगे बढ़ेगे तभी सफल हो सकेंगे। आज का समाज हमें नहीं लगता है कि सफल है। चालीस से पचास साल पहले था कि आप कैसे कमाते हैं आज है कितना कमाते हैं।

'विज्ञान हमें बुद्धिमान बनाता है, अध्यात्म हमें विवेकपूर्ण बनाता है'

बीके शिवानी ने कहा कि विज्ञान हमें बुद्धिमान बनाता है, अध्यात्म हमें विवेकपूर्ण बनाता है। तो हमें ज्ञान और विज्ञान, दोनों चाहिए। आप याद कीजिए कि आप लोग जब स्कूल में रहे होंगे तो कितने लोगों को अवसाद, मधुमेह होता था। कितने तलाक होते हैं। ये सब बदलाव हमारे जीवनकाल में हम देख रहे हैं। विज्ञान ने हमें साधन दिए, लेकिन विज्ञान के साथ हम इतना खेलने लगे कि बाकी सब भूल गए। परमात्मा कहते हैं कि साधनों का उपयोग करो, लेकिन साधना मत भूलो। 

विज्ञान कहता है कि साबित करो, अध्यात्म कहता है कि अनुभव करो

बीके शिवानी ने कहा कि स्वाभाविक है कि हमें कुछ अच्छा लगे तो हम सोचते हैं कि परिवार को भी मिले। जब मेरे परिवार ने कहा तो मुझे लगा कि मुझे इसकी ज़रूरत नहीं है, न ही दिलचस्पी है। जितना ज्यादा उन्होंने मुझसे कहा, उतना मैं दूर होती गई। मुझे तार्किकता की तलाश थी। मैंने कहा कि साबित करो। असल में मैं समय बर्बाद कर रही थी। विज्ञान कहता है कि साबित करो, अध्यात्म कहता है कि अनुभव करो। अध्यात्म में भी प्रयोग होते हैं, लेकिन विज्ञान से उलट यह प्रयोग आंतरिक होता है।

Reactions

Post a Comment

0 Comments