राष्ट्रपति शासन लगने की संभावना कितनी !
इस्तीफा तो देंगे,लेकिन मुख्यमंत्री आवास नहीं छोड़ेंगे केजरीवाल !
नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अब जेल से जमानत मिल जाने के बाद अगले दो दिन बाद यानि मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा देने का एलान तो कर दिया लेकिन इसके बाद भी वे कार्यवाहक मुख्यमंत्री के तौर पर अपने पद पर बने रह सकते हैं। इस्तीफा देने के बाद भी वे दिल्ली विधानसभा चुनाव तक मुख्यमंत्री आवास भी नहीं छोड़ेंगे।
आम आदमी पार्टी अभी इस बात पर मंथन कर रही है कि यदि मुख्यमंत्री अपने पद से इस्तीफा देते हैं तो इसके बाद उपराज्यपाल वीके सक्सेना के पास क्या संवैधानिक विकल्प होंगे जिसका वे उपयोग कर सकते हैं। केजरीवाल कह चुके हैं कि वे अपने पद से इस्तीफा देकर सीधे नवंबर में चुनाव में जाने की मांग करेंगे।
भाजपा लगातार इस बात की मांग कर रही थी कि अरविंद केजरीवाल के जेल में रहने के कारण दिल्ली की जनता के कामकाज प्रभावित हो रहे हैं और इसलिए दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए। लेकिन अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की घोषणा के बाद अचानक ही परिस्थितियां बदल गई हैं। अब पूरा मामला अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे और उसके बाद चुनाव होने के आसपास सिमट गया है।
लेकिन इसमें सबसे बड़ा पेंच यह है कि अगला चुनाव किसके नेतृत्व में होगा? यदि उपराज्यपाल अरविंद केजरीवाल को कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने के लिए कहते हैं तो अगला चुनाव भी उन्हीं के नेतृत्व में होगा। लेकिन यदि उपराज्यपाल दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर देते हैं तो दिल्ली का अगला विधानसभा चुनाव केंद्र के नेतृत्व में हो सकता है। आम आदमी पार्टी सूत्रों के अनुसार पार्टी इस बात पर लगातार मंथन कर एक निष्कर्ष पर पहुंचने की कोशिश कर रही है।
एक नेता के अनुसार, मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद उसे कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने के लिए कहे जाने की परंपरा अब तक चली आ रही है। लेकिन यदि उपराज्यपाल परंपरा से हटते हुए राष्ट्रपति को दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने की बात कहते हैं तो इससे नई परिस्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। ऐसा होने पर परंपरा तोड़ने के नाम पर एक बार फिर यह मामला सर्वोच्च न्यायालय की चौखट पर भी पहुंच सकता है। इन सभी बिंदुओं पर आप कानून विशेषज्ञों की राय ले रही है। आप सूत्रों के अनुसार, विधि विशेषज्ञों से राय-मशविरा करने के बाद इस पर अंतिम निर्णय लिया जायेगा।
लेकिन केजरीवाल के इस्तीफा की घोषणा के साथ ही यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या वे मुख्यमंत्री आवास भी छोड़ेंगे? यह सवाल इसलिए बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि कथित तौर पर मुख्यमंत्री आवास में नियमों की हेराफेरी कर बड़ा अवैध निर्माण कराया गया है। मीडिया में इस बात की भी खबरें आई थीं कि अरविंद केजरीवाल के आवास में पर्दे, टॉयलेट, टाइल और गद्दों की खरीद में भारी भरकम राशि खर्च की गई है।
यदि उनके इस्तीफा देने के बाद मुख्यमंत्री आवास सीधे उपराज्यपाल के प्रशासनिक नियंत्रण में आ जाता है तो मुख्यमंत्री आवास में मीडिया का प्रवेश हो सकता है। इसके बाद अरविंद केजरीवाल के लिए चुनाव के पहले ही एक नई मुसीबत सामने आ सकती है। आम आदमी पार्टी सूत्रों के अनुसार, यही कारण है कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली विधानसभा चुनाव तक अपना आवास नहीं छोड़ेंगे।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा है कि यदि अरविंद केजरीवाल में थोड़ी भी नैतिकता बची है तो उन्हें मुख्यमंत्री आवास में पत्रकारों को बुलाकर वे निर्माण दिखाने चाहिए जो उन्होंने अपने सुख-चैन के लिए बनवाए हैं। इससे साफ हो जाएगा कि वे भ्रष्टाचारी हैं या नहीं। यदि वे अपने कामों पर जनता के फैसले की मुहर चाहते हैं तो उन्हें जनता को बुलाकर भी अपना आवास दिखाना चाहिए। भाजपा नेता का यह हमला इस बात का इशारा कर रहा है कि यदि मुख्यमंत्री ने अपना आवास छोड़ा तो उनके लिए एक नया पिटारा खुल सकता है।
इसके पहले भाजपा लगातार अरविंद केजरीवाल पर इस बात के लिए दबाव बना रही थी कि केजरीवाल अपने पद से इस्तीफा दें। इसके लिए वह केजरीवाल के जेल में रहने के कारण जनता के कामकाज न हो पाने को आधार बना रही थी। लेकिन अचानक ही अरविंद केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर भाजपा के हाथों से एक बड़ा मुद्दा छीन लिया है।
शराब घोटाले में 156 दिन की जेल काटने के बाद भी अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा नहीं दिया था। इससे उनकी छवि प्रभावित हो रही थी और कहीं न कहीं भाजपा को इसका लाभ मिल रहा था। भाजपा इसी मुद्दे पर चुनाव लड़कर बढ़त लेने की योजना बना रही थी, लेकिन अचानक ही केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर पूरी बाजी पलट दी।
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