जिम्मेदार लोगों का गणेश प्रतिमा विसर्जन के प्रति उदासीन रवैया, चलता रहा देर रात तक हंगामा...
गणेश जी की विसर्जित बड़ी प्रतिमाओं को तुरंत कुण्ड से निकालकर जेसीबी से तोड़कर किया नष्ट !
ग्वालियर। जिला प्रशासन के लापरवाह और उदासीन रवैये के चलते मंगलवार को समापन विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी के साथ हुआ। हंगामे के कारण सागरताल के सामने प्रतिमा विसर्जन के लिये बनाये गये अस्थाई कुण्ड पर गणेश जी की बड़ी प्रतिमाओं का विसर्जन करने पहुंचे श्रद्धालु उस वक्त भड़क गये जब विर्सजन की जा रही प्रतिमाओं को तोड़ा जा रहा था।
जब श्रद्धालुओं ने विसर्जित प्रतिमाओं को कुण्ड से निकालकर जेसीबी से तोड़ते हुए देखा और इतना ही नहीं प्रतिमाओं का तत्काल ही कुण्ड से निकाल कर पास ही ढेर के रूप में रखा जा रहा था। इसकी शिकायत जब जिला प्रशासन द्वारा तैनात अधिकारियों से की गयी तो वह कोई जवाब नहीं दे पाये। इस वजह से दौलतगंज की 25 फीट ऊंची गणेश जी की प्रतिमा देर रात तक विसर्जित नहीं हो सकी। यही स्थिति मुरार से लायी गयी गणेश प्रतिमा की भी थी। पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण देर रात तक विसर्जन के लिए कतार में लगी रहीं बड़ी प्रतिमाएं।
जानबूझ कर जेसीबी से प्रतिमाओं इस प्रकार तोड़कर मलवे के ढेर में बदला जाने से लोगों का आक्रोशित होना लाजमी है। क्योंकि उनकी आस्था की इस तरह बेकद्री होगी तो फिर हंगामा होना भी तय था। यही वजह रही कि कुंड की गहराई कम होने के कारण अचलेश्वर मंदिर प्रबंधन ने नूराबाद की नदी में प्रतिमा विसर्जित की।
उत्सव के शुरू में खराब रोड के कारण शिन्दे की छावनी में खंडित हो गई थी 25 फीट की प्रतिमा। कुंड छोटा होने के कारण बड़ी प्रतिमाओं को विसर्जन के दौरान तोड़ा जा रहा है। इसकी शिकायत कोई सुनने को तैयार नहीं है-लोकेश शर्मा, जिलाध्यक्ष हिमस
देर रात तक मैं विसर्जन स्थल पर ही मौजूद हूं। यहां किसी भी प्रतिमा काे विसर्जन के दौरान तोड़फोड़ नहीं की गई है-अतुल सिंह, एसडीएम ग्वालियर
इंदौर। गणेश विसर्जन को लेकर नगर निगम की व्यवस्था फेल तो हुई ही लेकिन लापरवाही से भगवान गणेश का अपमान भी हुआ। विसर्जन के लिए शहरवासियों ने श्रद्धा के साथ गजानन की प्रतिमाओं को नगर निगम की व्यवस्था के हवाले किया। निगम ने भी इन्हें पूरे सम्मान से विसर्जित करने का दावा किया, लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल उलट रही। सोमवार को जवाहर टेकरी पर इन प्रतिमाओं को कूड़े के समान पानी में डाल दिया गया। प्रतिमाओं को 35 डंपर के माध्यम से जवाहर टेकरी पहुंचाया गया। इन्हें पूरे विधि विधान से विसर्जित कराने का दावा किया गया था, लेकिन कर्मचारियों ने इस दावे की पोल खोल दी। डंपरों से हजारों मुर्तियां कूड़े के समान जल स्त्रोतों में फेकी गई। गणेश प्रतिमाओं को कचरा वाहनों में भरकर जवाहर टेकरी ले जाया गया, जिसे लेकर कई लोग नाराज भी हुए। किसी ने ध्यान नहीं दिया। कचरे गाडिय़ों में रखकर प्रतिमाएं ले जाई गई जिसके फोटो और वीडियों देशभर में वायरल हुए।
मैंने खुद ने रीति-रिवाज से ही प्रतिमाओं को विसर्जित किया है। मेरे जाने के बाद यदि ऐसा कुछ हुआ है तो मुझे उसकी जानकारी नहीं है -शंकर यादव, एमआइसी सदस्य
भव्य और बड़ा दिखाने के चक्कर में आस्था मजाक बनकर रह गई है। भव्यता दिखाने के लिए बड़े बड़े पंडाल और फिर उनमे अपने आराध्यों की आदमकद मूर्तियां स्थापित करके आरधना करना अच्छी बात है लेकिन उतनी श्रद्धा उनके विसर्जन के दौरान भी आयोजक मंडलों दिखानी चाहिए। जिस प्रकार से इन मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। जिन्हे ईश्वर का प्रतिरूप माना जाता है उसे इस प्रकार धक्का देकर,डंडे बांस आदि के सहारे या क्रेन से लटका कर पानी में डुबना ठीक नहीं है। यदि आयोजक इतनी बड़ी मूर्तियों का ठीक से विसर्जन नहीं कर पाते है तो इससे अच्छा होगा कि छोटी मूर्तियों की स्थापना की जाए। क्योंकि आपकी श्रद्धा भी तभी सही रहेगी जब आप जैसे हाथों और सिर पर रखकर स्थपित करने लाते हो उसकी प्रकार उन्हें ससम्मान विसर्जित भी कर सको तभी आपकी ईश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा होगी-रवि यादव
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