G News 24 :सार्वजनिक स्थानों पर हुए अवैध निर्माण पर बुलडोजर कार्रवाई को रोका नहीं जाएगा: SC

 बुलडोज़र एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश...

सार्वजनिक स्थानों पर हुए अवैध निर्माण पर बुलडोजर कार्रवाई को रोका नहीं जाएगा: SC 

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को डिमोलिशन यानी बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाते हुए आदेश दिया कि यह रोक 1 अक्टूबर तक लागू रहेगी। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर सार्वजनिक स्थानों पर अवैध निर्माण हैं, तो अतिक्रमण पर बुलडोजर कार्रवाई को रोका नहीं जाएगा। कोर्ट ने राज्यों को निर्देश देते हुए कहा कि बुलडोजर न्याय का महिमामंडन बंद होना चाहिए और अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया कानून के अनुसार होनी चाहिए।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि अवैध निर्माणों पर नोटिस देकर ही बुलडोजर की कार्रवाई की जा रही है। इस पर जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि सड़कों, गलियों और फुटपाथ पर अवैध निर्माणों को उचित प्रक्रिया का पालन करके गिराने की छूट होगी। यह फैसला जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में हो रहे बुलडोजर एक्शन के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया। जमीयत इसे मुसलमानों के खिलाफ बता रहा है।

 दरअसल, कई ऐसे मामले देखने में आए हैं कि मुस्लिम कट्टरपंथी झुंड में धार्मिक जुलूसों पर पथराव कर रहे हैं और फिर छिप जाते हैं या फरार हो जाते हैं। 100-150 आरोपियों में से मुश्किल से 10-15 पकड़ में आते हैं, जिसके बाद पुलिस पत्थरबाजों पर कार्रवाई करती है और उनके अवैध निर्माण को ध्वस्त कर देती है। हालाँकि, अब भी सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माण ध्वस्त करने की छूट दी है।    

सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल थे, ने सॉलिसिटर जनरल की दलील सुनी कि डिमोलिशन की कार्रवाई कानून के तहत की गई है और किसी खास समुदाय (मुस्लिम) को टारगेट करने का आरोप गलत है। जस्टिस गवई ने कहा कि वे इस तरह के नैरेटिव से प्रभावित नहीं हो रहे हैं और अदालत अवैध निर्माण को संरक्षण देने के पक्ष में नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि बुलडोजर कार्रवाई की प्रक्रिया को सही ढंग से संचालित किया जाना चाहिए।

जस्टिस केवी विश्वनाथन ने यह भी कहा कि अदालत के बाहर चल रही बहसों का असर उन पर नहीं पड़ता और वे इस मुद्दे पर चर्चा नहीं करेंगे कि कोई विशेष समुदाय टारगेट किया जा रहा है या नहीं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अगर कहीं गैरकानूनी डिमोलिशन की घटना होती है, तो वह संविधान की भावना के खिलाफ है।

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