ये तरीका कतई ठीक नहीं है...
MP हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए दिया हड़ताल खत्म करने का आदेश
कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर केस के विरोध में बीते दो दिनों से मध्य प्रदेश के करीब 7000 डॉक्टर हड़ताल पर हैं. देश भर में इस केस के विरोध में डॉक्टरों की हड़ताल और प्रदर्शन जारी हैं. अस्पतालों में OPD बंद हैं, जिस कारण स्वास्थ्य सुविधाएं चरमरा गई हैं. 16 अगस्त से एमपी में जूनियर और रेजिडेंट डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. इस हड़ताल पर MP हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाई है. शनिवार को सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने डॉक्टरों को तुरंत हड़ताल खत्म कर काम पर लौटने के आदेश दिए हैं. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने शनिवार को डॉक्टरों की हड़ताल के मामले में सुनवाई की.
इस दौरान कोर्ट ने डॉक्टर्स को हड़ताल खत्म करने का आदेश दिया. कोर्ट की ओर से 20 अगस्त तक हड़ताल वापस लेने का समय दिया है. वहीं, इस मामले में आई शिकायतों पर 20 अगस्त को सुनवाई करने की बात कही. एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सर्राफ की बेंच ने कहा- 'ये तरीका कतई ठीक नहीं है. कोलकाता में जो घटना घटी है, उस पर पूरा समाज चिंतित है, लेकिन उसका समाधान हड़ताल नहीं है.' सुनवाई के दौरान ये भी कहा गया- ' यदि जूनियर डॉक्टर की हड़ताल की वजह से किसी की जान चली जाती है तो यह ठीक नहीं होगा.' बता दें कि 14 अगस्त की रात कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप कर उसकी हत्या कर दी गई.
इस मामले को लेकर पूरे देश में डॉक्टरों का विरोध और हड़ताल चल रही है. डॉक्टरों ने मृतक डॉक्टर को न्याय दिलाने आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई और प्रदेश में डॉक्टर्स प्रोटेक्शन एक्ट प्रभावी ढंग से लागू करने की मांग की है. एमपी के करीब 7000 जूनियर और रेजिडेंट डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने के कारण बिगड़ी स्वास्थ्य सेवाओं को देखते हुए एक जनहित याचिका दायर की गई है. इस याचिका में डॉक्टरों की हड़ताल को गैरकानूनी घोषित करते हुए इसे खत्म करने की मांग की गई है. शनिवार को जनहित याचिका पर एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा ने सुनवाई की.
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