45000 करोड रुपए की ठगी के आरोप थे...
देशभर में 5 लाख से अधिक लोगों को ठगने वाले निर्मल सिंह भंगू का हुआ निधन
पर्ल ग्रुप के अध्यक्ष निर्मल सिंह भंगू की मौत हो गई है। उनके ऊपर 45000 करोड रुपए की ठगी के आरोप थे। जिन्होंने देश भर में 5 लाख से अधिक लोगों को ठगा। हजारों करोड रुपए की धन संपदा इकट्ठी की। वह 2016 से तिहाड़ जेल में ठगी के आरोप में बंद थे। हजारों करोड़ों रुपए की संपत्ति के मालिक होते हुए भी, उन्हें अपनी अंतिम सांसें जेल में लेनी पड़ी। जेल में उनको हार्ट अटैक का दौरा पड़ा। जेल कर्मचारी उन्हें अस्पताल लेकर गए। डीडीयू के अस्पताल ने उन्हें मृत घोषित कर दिया है।
मृतक भंगू भारत और पाकिस्तान की सीमा से लगे अटारी गांव का रहने वाला था। उसका बचपन दूध बेचने मैं बीता। पैसे कमाने के लिए वह कोलकाता पहुंचा। घोटाले का मास्टर माइंड निर्मल सिंह कोलकाता स्थित कंपनी पियरलेस के संपर्क में आया। वहां उसने चिटफंड कंपनी का काम सीखा उसके बाद वह गोल्डन फॉरेस्ट इंडियन कंपनी से जुड़ा। कुछ साल बाद यह कंपनी बंद हो गई। उसके बाद निर्मल सिंह ने अपनी पर्ल गोल्डन फॉरेस्ट कंपनी बनाई। 1996 में इस कंपनी का नाम बदलकर पीसीएल कर दिया। यह अपनी कंपनी में लोगों को 5 साल में पैसा दुगना करने का भरोसा दिलाता था।
देश के कई राज्यों में इसने 5 लाख से अधिक लोगों के पैसे अपनी कंपनी में जमा कराए। पैसा जमा करने के लिए यह अपने एजेंटों को भारी कमीशन देता था। लोग 5 साल में पैसा दुगने होने के लालच में कंपनी में पैसा जमा करते थे। एजेंट ज्यादा कमीशन मिलेगा, इस लालच में लोगों को अपने जाल में फंसाते थे। निर्मल सिंह ने कई कंपनियों का एक समूह तैयार कर लिया था। जिसमें प्रॉपर्टी और एनएफसी बैंकिंग की तरह काम किया जाता था। लोग किस्तों में पैसे जमा करते थे, कंपनी एफडी भी जारी करती थी।
कंपनी पर ठगी और धोखाधड़ी के आरोप लगे। 8 जनवरी 2016 को सीबीआई ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज िदया था। तब से वह तिहाड़ जेल में बंद था। कुल मिलाकर हजारों करोड़ों रुपए का मालिक भंगू के कुछ साल तो ऐशो आराम में गुजारे। लेकिन अपना अंतिम समय जेल में बिताना पड़ा। जो प्रतिष्ठा अर्जित की थी, वह गँवानी पड़ी। जेल में ही उसकी मौत हो गई। कुछ इसी तरह की कहानी सहारा प्रमुख सुब्रतो राय की थी। वह पहले पत्रकारिता से जुड़े, बाद में वह भी पीयरलेस जैसी चिटफंड कंपनियों के संपर्क में आए। उन्होंने भी सहारा इंडिया के नाम से कंपनी बनाई। लोगों को जल्द जमा पैसे पर रिटर्न देने का वादा किया। बैंक में जब 7-8 साल में पैसे डबल होते थे।
उस समय सहारा कंपनी ज्यादा रिटर्न देने का लालच देकर लोगों के पैसे अपनी कंपनी में जमा कराते थे। सुब्रत राय की भी 14 नवंबर 2023 को मौत हो गई। 2.82 लाख करोड़ की संपत्ति के मालिक सुब्रतो राय को 2 साल जेल में रहना पड़ा। आज भी सहारा कंपनी में जिन लोगों ने पैसे निवेश किए थे। वह उन्हें अभी तक वापस नहीं मिले। सहारा समूह के सुब्रत राय का कारोबार बड़ी तेजी के साथ पूरे देश भर में फैला था। लाखों करोड़ रुपए की कंपनी सहारा बन गई थी। जैसे ही पैसा जमा होना शुरू हुआ।
सुब्रतो राय ने जमा पैसे का उपयोग फिल्म निर्माण, मीडिया, विमानन कंपनी, खेलों के प्रायोजित करने और रियल एस्टेट का व्यापार करने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश करना शुरू कर दिया था। जिन-जिन क्षेत्रों में सहारा ने निवेश किया। वहां से उनको प्रतिफल नहीं मिला। विमानन कंपनी घाटे में चली गई। मीडिया कंपनी घाटे में थी। राजनेताओं और नौकरशाही को सहारा समूह द्वारा भारी चंदा और रिश्वत दी गई। सहारा प्रमुख भी अपने निवेशकों की जमा राशि को वापस नहीं कर पाए। 4 जनवरी 2010 को इंदौर के रोशन लाल ने सहारा रियल एस्टेट और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट द्वारा जारी बांड के बारे में एनएचबी में शिकायत की थी। शिकायत सही पाई गई, सीबीआई ने सहारा प्रमुख को जेल भेज दिया।
जेल में रहते हुए इन्हें हजारों करोड़ों रुपए सेबी में जमा करने पड़े। सारी संपत्ति जांच एजेंसियों के कब्जे में है। जैसे खाली हाथ आए थे, वैसे ही खाली हाथ सुब्रतो राय सहारा को भी भगवान के पास जाना पड़ा। लालच की खेती का कुछ इसी तरह का परिणाम देखने को मिलता है। निवेशक ज्यादा लाभ पाने के लालच में निवेश करते हैं। इसका फायदा ठगी करने वाले ठग उठाते हैं। लाखों लोग सहारा में निवेश करके ठन-ठन गोपाल हो गए। सहारा का पैसा सेबी और वित्त मंत्रालय के पास जमा है। एक दशक बाद भी निवेशकों को अपनी जमा राशि वापस नहीं मिल पा रही है।
जिंदगी भर की कमाई सहारा ओर पर्ल जैसी कंपनियां लूटकर निवेशकों को कंगाल बना देती है। ठगो का उनका अंतिम जीवन कितना खराब होता है, यह जानना सबके लिए जरूरी है। जिनके पास कुछ होता है, वही लालच करते हैं। लालच में अपना सब कुछ वह भी खो देते हैं। वर्तमान में जिस तरह की स्थिति बनी हुई है। हर नागरिक पैसे के पीछे पागल है। हजारों-लाखों करोड़ की संपत्ति लाखों लोगों ने वैध और अवैध रूप से इकट्ठी कर ली है। उसके बाद भी उन्हें चैन नहीं है। सभी का हश्र सुब्रत राय सहारा और पर्ल समूह के अध्यक्ष निर्मल सिंह भंगू की तरह ही होना है। यही जीवन का सत्य है।
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