हंसिए मत! एक लड़की ने जान गंवाई है...
डॉक्टर रेप-मर्डर केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में भिड़े तुषार मेहता और कपिल सिब्बल
कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर केस की जांच कर रही सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर दी है. सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच कोलकाता के डॉक्टर रेप-मर्डर मामले पर सुनवाई कर रही है. गुरुवार को सीबीआई और कोलकाता पुलिस ने सीलबंद लिफाफे में अपनी स्टेटस रिपोर्ट SC को सौंप दी. यह मामला चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच के सामने है.
कपिल सिब्बल और एसजी तुषार मेहता में बहस
गुरुवार को सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और राज्य सरकार की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल के बीच बार-बार बहस हुई.
- जब एसजी ने कहा कि देखें कि यूडी वास्तव में रात 11:30 बजे था...
- तो सिब्बल बोले कि 'नहीं नहीं.. फिर वीडियो सीडी दिखाएं.'
- इस पर एसजी ने कहा कि 'कृपया सामान्य डायरी प्रविष्टि पढ़ें...
- अगले पृष्ठ पर आएं..
- पीएस पर लौटने के बाद यूडी मामला रात 11:30 बजे दर्ज किया गया है, पहले केवल जीडी प्रविष्टि थी...यही घटनाक्रम है.
- इस पर सिब्बल ने कहा कि 'यह सब सिर्फ पानी को गंदा कर रहा है और आप यही कर रहे हैं.
- सिब्बल: आप क्या कह रहे हैं. यह एक सामान्य डायरी प्रविष्टि है, हम भी यही कह रहे हैं.
- एसजी: कृपया मत हंसिए, एक लड़की ने सबसे अमानवीय तरीके से अपनी जान गंवा दी!
- सिब्बल: हम सभी जानते हैं कि यह बर्बरता है. चलो... चलो... चलो... आप केवल पानी को गंदा कर रहे हैं.
- एसजी: हम केवल पानी से कीचड़ हटा रहे हैं.
राज्य सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि 'मुझे यह कहते हुए खेद है कि वे (केंद्र) एक प्रकार की धारणा बनाने की कोशिश कर रहे हैं. सिब्बल ने कहा, 'जब्ती सूची में यूडी केस (अप्राकृतिक मौत) भी है, जांच में भी है, पीएमआर (पोस्टमार्टम रिपोर्ट), ये सभी दस्तावेज हैं... सब कुछ रात 11 बजे से पहले का है, फिर कोई कैसे दावा कर सकता है, जांच शाम 4:40 बजे की है. सफर ऑर्डर आते ही मूल सीडी (केस डायरी) सीबीआई को हाईकोर्ट में सौंप दी गई थी.'
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, 'जीडी प्रविष्टि सुबह 5:20 बजे की है, अस्पताल से सूचना मिली कि महिला सुबह 10:10 बजे अर्धनग्न हालत में पड़ी थी, मेडिकल बोर्ड ने बोर्ड ने मौखिक रूप से कहा कि मौत गला घोंटने से हुई, यौन उत्पीड़न की संभावना, ये संभावना है... और जीडी प्रविष्टि से पता चलता है कि क्षेत्र की घेराबंदी पोस्टमार्टम के बाद की गई है... शाम 6-7 बजे पीएम होता है उसके बाद जांच होती है...'
'ऐसी प्रक्रिया 30 सालों के करियर में नहीं देखी'
जस्टिस पारदीवाला ने कहा, 'आपके राज्य द्वारा अपनाई गई पूरी प्रक्रिया ऐसी है, जो मुझे अपने 30 वर्षों के कार्यकाल में कभी देखने को नहीं मिली... पहली बात, क्या यह सच है कि यूडी 10:30 बजे दर्ज की गई थी? दूसरी बात, यह सहायक अधीक्षक नॉन-मेडिकल कौन है, उसका आचरण भी बहुत संदिग्ध है, उसने ऐसा व्यवहार क्यों किया?' सिब्बल ने कहा कि UD वाली बात सही नहीं है.
जस्टिस पारदीवाला ने पूछा कि पोस्टमॉर्टम कब किया गया? सिब्बल ने बताया कि शाम 6:10-7:10 बजे. इस पर जज ने कहा कि 'जब आप शव को पीएम के लिए ले गए तो क्या यह अप्राकृतिक मौत का मामला था या नहीं..
- अगर यह अप्राकृतिक मौत नहीं थी तो पीएम की क्या जरूरत थी..
- जब आप पीएम करना शुरू करते हैं तो यह अप्राकृतिक मौत का मामला है...
- यूडी केस 861 ऑफ 2024 23:30 बजे दर्ज किया गया और एफआईआर 23:45 बजे दर्ज की गई.
- क्या यह रिकॉर्ड सही है?' सिब्बल ने बताया कि UD दोपहर 1:45 बजे दर्ज किया गया था.
- इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'हम इन दोनों रिपोर्टों को कैसे जोड़ सकते हैं..
- यूडी पंजीकरण से पहले पोस्टमार्टम किया गया! यह आश्चर्यजनक है.'
- जस्टिस पारदीवाला ने सिब्बल से कहा कि जल्दबाजी में बयान न दें, अधिकारियों से बात कर लें.
- जस्टिस मिज्ञा ने कहा, '9 तारीख की शाम को शव परीक्षण किया गया, अप्राकृतिक मौत की जी.डी. एंट्री रात 11:30 बजे दर्ज की गई...'
- इसपर सिब्बल ने कहा कि 'मुझे मिनट दर मिनट टाइमलाइन बताने की अनुमति दें.'
सीजेआई ने WB सरकार के वकील कपिल सिब्बल से कहा, 'एक पहलू बहुत परेशान करने वाला है. अप्राकृतिक मौत की प्रविष्टि सुबह 10:10 बजे की गई थी. पुलिस को तब सूचित किया गया था कि यह अप्राकृतिक मौत थी और इन सब बातों को नजरअंदाज करते हुए अपराध स्थल का सीमांकन आदि रात में हुआ?' सिब्बल ने कहा कि 'नहीं, नहीं, नहीं... मैंने एक समय सीमा दी है जो वीडियोग्राफी द्वारा समर्थित है.'
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, 'यहां किसी का प्रतिनिधित्व करने वाले एक युवा वकील ने ऐसा लगता है कि शिकायत दर्ज की है.. मैं पहचान उजागर नहीं करूंगा. जिस व्यक्ति ने यह शिकायत दर्ज कराई है, उसने 2023 में शिकायत दर्ज कराई है, इसलिए इसे खारिज नहीं किया जा सकता.'
दाह संस्कार के बाद दर्ज हुई FIR : सॉलिसिटर जनरल
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 'हमें नहीं पता था कि ऐसी कोई रिपोर्ट है, हमने 5वें दिन जांच शुरू की, सब कुछ बदल दिया गया था.' सिब्बल ने कहा कि सब कुछ वीडियोग्राफी किया गया है, बदला नहीं गया. फिर एसजी ने कहा कि मामले में सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि एफआईआर दाह संस्कार के बाद रात 11:45 बजे दर्ज की गई. एसजी मेहता ने कहा, 'पहली एफआईआर रात 11:45 बजे दाह संस्कार के बाद दर्ज की गई. फिर उन्होंने माता-पिता से कहा कि यह आत्महत्या है, फिर मौत और फिर अस्पताल में डॉक्टर के दोस्तों ने वीडियोग्राफी पर जोर दिया और इस तरह उन्हें भी संदेह हुआ कि कुछ गड़बड़ है.'
- सीजेआई ने पूछा कि आरोपी की चोट की मेडिकल रिपोर्ट कहां है? इस पर पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने बताया कि वह केस डायरी का हिस्सा है.
- सुप्रीम कोर्ट में अब सीबीआई और कोलकाता पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट पर चर्चा हो रही है. लाइव टेलीकास्ट का ऑडियो बंद कर दिया गया है.
- सीनियर एडवोकेट करुणा नंदी ने कहा कि कॉलेज के पूर्व प्राचार्य ने 14 लाख रुपये की लागत से सीसीटीवी नहीं लगवाए, अगर सीसीटीवी होते तो घटनाओं पर नजर रखी जा सकती थी.
- वरिष्ठ अधिवक्ता गीता लूथरा ने कहा, 'मैं आरजी कर के जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों की ओर से पेश हो रही हूं... उन्हें प्रशासन के सदस्यों, अस्पताल के लोगों द्वारा धमकाया जा रहा है.' सीनियर एडवोकेट करुणा नंदी ने कहा, 'मैं कोलकाता में डॉक्टरों की ओर से पेश हो रही हूं... वहां गुंडे आदि हैं.' सीजेआई ने कहा कि यह गंभीर बात है है, हमें नाम बताएं, हम इस पर ध्यान देंगे.
'मैं भी अस्पताल में फर्श पर सोया हूं', बोले सीजेआई
गुरुवार को सुनवाई के दौरान, सरकारी अस्पतालों की खराब हालत का मुद्दा उठा. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, 'मैंने डॉक्टरों को चौबीसों घंटे काम करते देखा है, जब मेरे परिवार में कोई बीमार था तो मैं अस्पताल के फर्श पर सोया था और मैंने उन्हें (डॉक्टर्स) को देखा. इन मुद्दों को ध्यान में रखा जाएगा.' सीजेआई ने कहा, 'ऋषिकेश रॉय ने मुझे बताया कि मैं कर कर (अस्पताल का नाम) कहता रहा, लेकिन उच्चारण ध्वनि 'कोर' है.'
'नेशनल टास्क फोर्स में रेजिडेंट डॉक्टर्स भी होंगे'
एक वकील ने एनटीएफ में रेजिडेंट डॉक्टरों को शामिल करने का आग्रह किया. सीजेआई ने कहा कि नेशनल टास्क फोर्स (NTF) में रेजिडेंट डॉक्टर शामिल होंगे. कृपया रेजिडेंट डॉक्टरों को आश्वस्त करें कि (एनटीएफ) द्वारा उनकी बात सुनी जाएगी. सीजेआई ने कहा कि 'अगर हम प्रतिनिधियों से एनटीएफ का हिस्सा बनने के लिए कहें, तो काम करना असंभव हो जाएगा. एनटीएफ में बहुत वरिष्ठ महिला डॉक्टर हैं, उन्होंने स्वास्थ्य सेवा में बहुत लंबे समय तक काम किया है.
'काम पर लौटें डॉक्टर, कोई कार्रवाई नहीं होगी'
फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन ऑफ मेडिकल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FAIMA) और दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने नेशनल टास्क फोर्स में रेजिडेंट डॉक्टरों को शामिल करने की मांग करते हुए हस्तक्षेप किया है. वकील ने कहा, 'नागपुर में एम्स के डॉक्टर आंदोलन कर रहे हैं, उन्हें अनुपस्थित माना जा रहा है, उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जा रही है, कुछ नरम रुख अपनाया जाना चाहिए.' इस पर सीजेआई ने कहा कि 'हम प्रशासन से कैसे कह सकते हैं कि वह कुछ ऐसा चिह्नित करे जो सही नहीं है, उन्हें पहले काम पर लौटने के लिए कहें, फिर कोई कार्रवाई नहीं करेगा.'
सीजेआई ने कहा कि 'सभी को काम पर लौटने दें... हम कुछ सामान्य आदेश पारित करेंगे, कृपया आश्वस्त रहें कि एक बार जब डॉक्टर काम पर लौट आएंगे तो हम अधिकारियों पर प्रतिकूल कार्रवाई न करने का दबाव बनाएंगे, अगर वे काम पर वापस नहीं लौटेंगे तो सार्वजनिक प्रशासनिक ढांचा कैसे चलेगा.वो उनकी समस्याओं और मुद्दों पर साथ हैं. लेकिन अगर डॉक्टर काम पर वापस नहीं लौटे तो सरकारी स्वास्थ्य सुविधा का ढांचा चरमरा जाएगा.
पिछली सुनवाई पर क्या हुआ था?
सुप्रीम कोर्ट में LIVE सुनवाई के दौरान दी जा रही दलीलें...
- AIIMS रेजिडेंट्स डॉक्टर्स नागपुर: विरोध के कारण हमें अब हमलों का सामना करना पड़ रहा है. परीक्षा में शामिल होने की अनुमति भी नहीं दी जा रही है.
- CJI: अगर वे ड्यूटी पर हैं तो उन्हें अनुपस्थित नहीं माना जाएगा, और अगर वे ड्यूटी पर नहीं हैं तो कानून का पालन किया जाएगा. उनसे पहले काम पर लौटने को कहें. किसी भी डॉक्टर के खिलाफ प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी. अगर इसके बाद भी कठिनाई होती है, तो हमारे पास आएं, लेकिन पहले उन्हें काम लौटना होगा.
- सुप्रीम कोर्ट- डॉक्टरों के ऊपर बड़ी जिम्मेदारी है, उनके काम पर न लौटने की वजह से तमाम मरीज परेशान हैं. रेजिडेंट डॉक्टर यंग डक्टर्स हैं, उनको समझना चाहिए.
- CJI: डॉक्टर काम पर लौटे, एक बार डॉक्टर कम पर लौटेंगे तो हम अथॉरिटी से कहेंगे कि कार्रवाई न करें.
- CJI: हम जानते हैं कि डॉक्टर 36 घंटे काम कर रहे हैं. मैं खुद एक सरकारी अस्पताल में फर्श पर सोया हूं, जब मेरे परिवार के एक सदस्य बीमार थे.
- दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन- सीनियर वकील विजय हंसारिया ने कहा कि हम 110 साल पुराने एसोसिएशन हैं.
- CJI-क्या हम कुछ सुझाव दे सकते हैं? अगर आप सभी बॉडी के लिए हस्तक्षेप कर रहे हैं तो नामों और प्रतिनिधित्व करने वाले निकाय की एक पर्ची दीजिए, तो हम इसे क्रम में रखेंगे और ये भी करहेंगे कि टास्क फोर्स सभी के साथ जुड़ने के लिए कदम उठाए.
- कोलकाता के डॉक्टर्स की बॉडी के वकील- अस्पताल में डॉक्टर अभी भी आतंकित महसूस कर रहे हैं.
- सॉलिसिटर जनरल- मुझे नाम बता दीजिए, मैं सुनिश्चित करूंगा कि सीआईएसएफ देखेगी.
- CJI-लेकिन निशाना किसने बनाया?
- वकील- प्रशासन के सदस्यों, अस्पताल के लोगों, गुंडों आदि ने
- CJI- एक बार डॉक्टर काम पर लौट आए तो प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी. हमारा जनरल आदेश तभी लागू होगा.
- दिल्ली मेडिकल संघ- हमने इसी मसले पर दो साल पहले जनहित याचिका दाखिल की थी.
- CJI- जिन संघों की तरफ से वेदन दाखिल किया गया है. मेरा कहना ये है कि टास्क फोर्स इस पर रिपोर्ट तैयार करेगी. वही इस पर गौर करेगी.
- CJI- डॉक्टरों, नर्सों और पैरा मेडिकल स्टाफ के प्रतिनिधियों को टास्क फोर्स सुनेगी और उनकी राय लेगी. सभी पक्षों की राय बहुत जरूरी है.
- पीजीआई चंडीगढ़ के डॉक्टर्स- हमारी सुनवाई नहीं हो रही थी इसीलिए हम प्रदर्शन कर रहे थे.
- CJI- आप लोग काम पर लौटें. हम एक सामान्य आदेश देंगे कि डॉक्टर ड्यूटी पर लौटें तो उनके खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया जाए.
- एम्स डॉक्टर संघ- हमें परेशान किया जा रहा है. हम प्रदर्शन पर थे.
- CJI- आप अगर ड्यूटी पर हैं तो ठीक, अगर नहीं हैं तो कानून अपना काम करेगा. आप पहले काम पर वापस जाइए.
- स्टेटस रिपोर्ट पर बेंच आपस में कर रही चर्चा
- CBI की स्टेटस रिपोर्ट को लगभग 7 मिनट पढ़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच आपस में चर्चा कर रही है. CJI ने स्टेटस रिपोर्ट पढ़ने के बाद आरोपी की इंजरी की मेडिकल रिपोर्ट मांगी. कोर्ट को बताया गया कि यह केस डायरी का हिस्सा है.
- सोलिसिटर जनरल- हमें नहीं पता था कि ऐसी कोई रिपोर्ट है, हमने 5वें दिन जांच शुरू की, सब कुछ बदल दिया गया.
- सरकार के वकील कपिल सिब्बल- हरचीज की वीडियोग्राफी की जाती है, कोई बदलाव नहीं किया जाता है.
- सोलिसिटर जनरल- सबसे चौंकाने वाला तथ्य, अंतिम संस्कार के बाद रात 11:45 बजे एफआईआर दर्ज की गई.
- CJI-आपके पास पीएमआर है?
- कपिल सिब्बल- मेरे पास हर मिनट की टाइमलाइन है कि क्या हुआ.
- सोलिसिटर जनरल- हां, यह स्थानीय पुलिस द्वारा दी गई थी.
- सोलिसिटर जनरल- वरिष्ठ डॉक्टरों, पीड़िता के सहकर्मियों ने वीडियोग्राफी के लिए कहा, इसका मतलब है कि उन्हें भी लगा कि लीपापोती हुई है.
- CBI- पीड़िता की मृत्यु के बाद FIR दर्ज हुई. डॉक्टरों के दबाव में क्राइम सीन की वीडियोग्राफी हुई.
- चीफ जस्टिस- अपराध की GD एंट्री सुबह 10:10 पर हुई जब फ़ोन के ज़रिए यह खबर मिली कि थर्ड फ्लोर पर PG डॉक्टर बेहोशी की हालत में मिली है. पीड़िता के शव को देखकर बोर्ड ने शुरुआती राय दी थी कि मौत का कारण गला घोटना हो सकता है और सेक्सुअल एसॉल्ट से भी इनकार नहीं किया जा सकता. इसके बावजूद पोस्टमार्टम शाम 6-7 के बीच हुआ और उसके बाद जांच शुरू की गई.
- जस्टिस पारदीवाला- पुलिस द्वारा आपराधिक कानून में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया ऐसी नहीं है, जैसा सीआरपीसी मे कहा गया है या मैंने अपने 30 सालों के करियर में देखा है. तो क्या यह सच है कि पोस्टमार्टम के बाद अन नेचुरल डेथ रिपोर्ट दी गई.
- वकील कपिल सिब्बल- नहीं यह बात सही नहीं है.केस डायरी में सब कुछ मौजूद है और केस डायरी हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक सीबीआई को दी जा चुकी है
- जस्टिस पारदीवाला-सहायक पुलिस अधीक्षक का आचरण भी बहुत संदिग्ध है. उन्होंने ऐसा क्यों किया?
- CJI-पुलिस डायरी में एंट्री सुबह 5:20 बजे की है, अस्पताल से पुलिस को सूचना मिली कि महिला सुबह 10:10 बजे अर्धनग्न अवस्था में लेटी हुई थी, मेडिकल बोर्ड ने राय दी कि रेप हुआ और पुलिस डायरी (जीडी) में एंट्री से पता चलता है कि उस घटना की एरिया की घेराबंदी पोस्टमार्टम के बाद की गई है.
- जस्टिस पारदीवाला- पश्चिम बंगाल सरकार को कहा की आप ये बताइए की FIR के पहले आपने ये कब पुलिस डायरी में मेंशन किया की ये अन नैचुरल डेथ थी.
- कोर्ट - सुबह 10:10 बजे इस बात की GD एंट्री है कि एक लड़की बेहोश हालत में मिली है. मेडिकल बोर्ड ने कहा कि गला घोंटने की वजह से हत्या हुई. इसका एक कारण हो सकता है और सेक्सुअल एसॉल्ट से भी इनकार नहीं किया. पुलिस ने 6 और 7 बजे के बीच में पोस्टमार्टम करवा दिया. लड़की का अंतिम संस्कार भी हो गया, लेकिन पुलिस ने रात को 11:45 पर एफआईआर दर्ज की,
- जबकि FIR तो सबसे पहले होनी चाहिए थी? और इसमें ही इस बात का जिक्र होना चाहिए था कि अप्राकृतिक मौत यानी अननेचुरल डेथ है.
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