1954 में वक्फ एक्ट बना था.1995 में हर राज्य में वक्फ बोर्ड बनाने की अनुमति मिली...
वक्फ में अब बहुत कुछ बदलने वाला है,इसीलिए भड़के हुए हैं कुछ मौलाना !
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1954 में वक्फ एक्ट बनाया था. 1995 में हर राज्य में वक्फ बोर्ड बनाने की अनुमति मिली. अब वर्तमान सरकार इसकी असीमित शक्तियों पर सरकार वक्फ बोर्ड पर लगाम लगाने जा रही है. सूत्रों की माने तो सोमवार को वक्फ बोर्ड एक्ट संशोधन बिल संसद में पेश हो सकता है. बीते कुछ सालों में वक्फ बोर्ड से जुड़ी खबरों की बाढ़ सी आ गई थी. मामला सोशल मीडिया के गलियारों से निकल लोकतंत्र के मंदिर यानी संसद की चौखट पर पहुंच गया. हर सिक्के के दो पहलू होते हैं. एक ओर वक्फ बोर्ड की मनमानियों के चर्चे हैं, दूसरी ओर इसके पैरोकार ने संशोधन होने पर आर-पार की चेतावनी दे रहे हैं. कुछ कट्टरपंथी तो इतना भड़के हैं कि मानो ईंट से ईंट बजा देने की धमकी दे रहे हों. ऐसे में आइए बताते हैं कि वक्फ प्रॉपर्टी क्या होती है? और सरकार अपने बिल में ऐसा क्या संसोधन करने जा रही है कि बवाल मचा है.
टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में वक्फ एक्ट में 40 बदलाव पर चर्चा हो चुकी है. इसके साथ ये भी कहा गया है कि अगर 'वक्फ बोर्ड' किसी भी प्रॉपर्टी पर दावा करता है तो उसका अनिवार्य तौर पर वेरिफिकेशन होगा. वहीं अगर किसी प्रॉपर्टी को लेकर वक्फ बोर्ड और किसी व्यक्ति या संस्था के बीच विवाद चल रहा है तो उसका भी वेरीफिकेशन कराया जाएगा. पूरे देश में वक्फ एक्ट के विरोध की वजह उसकी वो धारा है जिसे लोग संविधान विरोधी बता रहे हैं. दरअसल वक्फ एक्ट का सेक्शन 85 कहता है कि इसके फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती.
संपत्ती के रखरखाव की जिम्मेदारी स्थानीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक वक्फ से जुड़े लोगों की होती हैं
'वक्फ' की बात करें तो ये अरबी भाषा का शब्द है. कोई भी मुसलमान अपनी जमीन, मकान या कोई भी कीमती चीज वक्फ को दान कर सकता है. ऐसी हर संपत्ती के रखरखाव की जिम्मेदारी स्थानीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक वक्फ से जुड़े लोगों की होती हैं. देश के पहले PM नेहरू ने 1954 में वक्फ एक्ट बनाया. 1995 में नए कानून से हर राज्य में वक्फ बोर्ड बनाने की अनुमति मिली थी. आज उत्तर प्रदेश से लेकर तमिलनाडु तक करीब 30 वक्फ बोर्ड हैं.
वक्फ बोर्ड एक्ट की बात करे तो पहले भी 1995 और 2013 में इसमें संशोधन हो चुका है. भारत सरकार और रेलवे के बाद वक्फ बोर्ड देश का तीसरा सबसे बड़ा 'जमींदार' यानी जमीनों का मालिक है.एक अनुमान के मुताबिक देश में मुस्लिम वक्फ बोर्ड के पास 8 लाख से ज्यादा प्रॉपर्टी है. वक्फ संपत्तियों संबंधी दावों को लेकर देश में तकरीबन हर राज्य में ही विवाद की स्थिति है.
संशोधन के बाद बोर्ड किसी भी जमीन पर गलत दावा नहीं कर पाएगा
दरअसल वक्फ बोर्ड को अभी अधिकार दिया गया है कि वह किसी भी संपत्ति की जांच कर सकता है और अगर किसी संपत्ति पर अपना दावा कर दे तो इसे पलटना मुश्किल हो जाता है. वक्फ एक्ट के सेक्शन 85 में कहा गया है कि बोर्ड के फैसले को सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में चुनौती भी नहीं दी जा सकती. इस प्रस्तावित संशोधन का प्रमुख उद्देश्य वक्फ बोर्ड की शक्तियों और उनके द्वारा संपत्तियों के वर्गीकरण को नियंत्रित करना है. सरकार का कहना है कि संशोधन के बाद बोर्ड किसी भी जमीन पर गलत दावा नहीं कर पाएगा इसलिए भविष्य में शायद ही जमीन विवाद से जुड़ा ऐसा कोई मामला सामने आएगा. कुछ मौलाना इसी बात का विरोध कर रहे है कि उनके धार्मिक मसलों में दखल देने का हक किसी को नहीं है. मुस्लिमों की रहनुमाई का दावा करने वाले असदुद्दीन ओवैसी और कुछ मौलानाओं के साथ-साथ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के लोग भी वक्फ बोर्ड एक्ट में संशोधन की खबर सुनकर खफा हैं. उनका कहना है कि ये संशोधन उनके दीनी मामलों में दखल की कोशिश है.
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