जन्माष्टमी के अवसर घर में पूजा पर किसी भी प्रकार के नियम एवं शर्तें नहीं है...
किसी विशेष पूजा विधि से नहीं बल्कि भक्तों के भाव से प्रसन्न होते हैं वासुदेव कृष्ण !
सोमवार का दिन और ऊपर से इस दिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी भी है ऐसा संयोग वर्षों बाद आया है। ये आनंद का अवसर है, अपने आराध्य प्रभु के चरणों में स्वयं को समर्पित कर देने का अवसर है। स्वयं वासुदेव कृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता में कहा है कि वह किसी विशेष पूजा विधि से नहीं बल्कि भक्तों के भाव से प्रसन्न होते हैं। यानी स्पष्ट है कि जन्माष्टमी के अवसर पर किसी भी प्रकार के नियम एवं शर्तें नहीं है। यदि आपके हृदय में भक्ति का भाव है तो फिर आपके पास जो कुछ भी है, समर्पित कर दीजिए। भगवान कृष्ण तो चावल के 1 दाने से भी प्रसन्न हो जाते हैं।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत का पारण
जिन लोगों को जानकारी नहीं होती, भगवान उन्हें दंडित नहीं करते लेकिन विधि के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत करने वाले भक्तों को रोहिणी नक्षत्र के समापन के बाद ही व्रत का पारण करना चाहिए। कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत में रात्रि को लड्डू गोपाल की पूजा- अर्चना करने के बाद ही प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण किया जाता है। हालांकि कई लोग व्रत का पारण अगले दिन भी करते हैं।
गृहस्थ घरों में गोपाल की पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
- घर के मंदिर में साफ- सफाई करें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- सभी देवी- देवताओं का जलाभिषेक करें।
- इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है।
- लड्डू गोपाल का जलाभिषेक करें।
- इस दिन लड्डू गोपाल को झूले में बैठाएं।
- लड्डू गोपाल को झूला झूलाएं।
- अपनी इच्छानुसार सिर्फ सात्विक चीजों का लड्डू गोपाल को भोग लगाएं।
- लड्डू गोपाल की सेवा पुत्र की तरह करें।
- इस दिन रात्रि पूजा का महत्व होता है, क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात में हुआ था।
- रात्रि में भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा- अर्चना करें।
- लड्डू गोपाल को मिश्री, मेवा का भोग भी लगाएं।
- लड्डू गोपाल की आरती करें।
- भगवान श्रीकृष्ण की आरती में देसी गाय के घी का उपयोग किया जाता है।
- इस दिन अधिक से अधिक लड्डू गोपाल का ध्यान रखें।
- इस दिन लड्डू गोपाल की अधिक से अधिक सेवा करें।
- श्री कृष्ण की पूजा के साथ ही गाय की भी पूजा करें।
- पूजा स्थल पर भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति के साथ गाय की मूर्ति भी रखें।
- पूजा सुंदर और साफ आसन में बैठकर की जानी चाहिए।
- भगवान श्री कृष्ण का गंगा जल से अभिषेक जरूर करें।
- गाय के दूध से बने घी का इस्तेमाल करें।
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