G News 24 : विकसित भारत के निर्माण में पुस्तकालय की महत्वपूर्ण भूमिका है: प्रो. नीरजा वर्मा

  जेयू  में लाइब्रेरियन दिवस पर एक दिवसीय सेमीनार आयोजित...

विकसित भारत के निर्माण में पुस्तकालय की महत्वपूर्ण भूमिका है: प्रो. नीरजा वर्मा

ग्वालियर। किताबें कोई रखने की चीज नहीं बल्कि पढ़ने की चीज है। इसके लिए एक आदर्श माहौल की जरूरत होती है। इसलिए लाइब्रेरी का महत्व बढ़ता जा रहा है।लाइब्रेरी मतलब ऐसा वातावरण जहां व्यक्ति पढ़ सकें, अध्ययन कर सकें और नई जानकारी प्राप्त कर सकें। जहां लोग नई रुचियों की खोज कर सकते हैं और उन विषयों के बारे में जान सकते हैं जिनके बारे में उन्होंने पहले नहीं सोचा होगा। ऐसी सामग्री, जो छात्रों को उनकी पढ़ाई में सफल होने में मदद कर सकती है। विकसित भारत के लिए भारतीयों को सशक्त बनाना होगा, कौशल विकास पर जोर देना होगा।यह बात प्रो.एसके शुक्ला ने लाइब्रेरियन दिवस पर ग्रंथालय एवं सूचना विज्ञान अध्ययनशाला जेयू के तत्वावधान में सोमवार को भारत के पुस्तकालय विज्ञान के जनक डॉ.एसआर रंगनाथन के 132 वें जन्म दिवस के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि कही।

उन्होंने रंगनाथन जी के पांच सिद्धांत किताबें उपयोग के लिए हैं,प्रत्येक व्यक्ति की अपनी पुस्तक होती है, प्रत्येक पुस्तक का अपना पाठक होता है,पाठक का समय बचाएं,पुस्तकालय का बढ़ता स्वरूप के बारे में जानकारी दी।मुख्य वक्ता के रूप में एमएलबी की प्रो. नीरजा वर्मा उपस्थित रहीं। वहीं अध्यक्षता प्रभारी कुलगुरु प्रो. डीएन गोस्वामी ने की। प्रो. जेएन गौतम के स्वागत भाषण के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम के दौरान सभी अतिथियों को शॉल श्रीफल देकर सम्मानित किया गया। इसी क्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित प्रो. नीरजा वर्मा ने कहा कि विकसित भारत के निर्माण में पुस्तकालय की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।

उन्होंने कहा कि जन जन को शिक्षित करने में पब्लिक लाइब्रेरी की महत्वपूर्ण भूमिका है।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जेयू के प्रभारी कुलगुरु प्रो. डीएन गोस्वामी ने कहा कि छात्रों को पुस्तकों से ज्ञान अर्जित करना चाहिए। विकसित भारत के लिए शिक्षा स्वास्थ्य व रोजगार पर जोर देना होगा। प्रो. हेमंत शर्मा ने कहा कि एसआर रंगनाथन जब इंग्लैंड गए तो वहां उन्होंने लाइब्रेरी को देखा और उनका अध्ययन किया। वहां से आकर उन्होंने भारत में लाइब्रेरी पर जोर दिया।प्रो.आईके पात्रो ने कहा कि ज्ञान ग्रहण करना चाहिए, कौशल विकास पर ध्यान देना चाहिए। 

उन्होंने डिजिटल लाइब्रेरी के बारे में जानकारी दी। प्रो. एके सिंह ने कहा कि प्रिंट पुस्तकों की आवश्यकता हमेशा रहेगी। लाइब्रेरी में कैटलॉग की आवश्यकता है।सेमीनार में विकसित भारत @2047 में लाईब्रेरी योगदान के सम्बन्ध में शिक्षक एवं विषय विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे कि विकसित भारत को बनाने में अकादमिक एवं शोथ की दृष्टि से किस प्रकार की सेवाएं उनके लिये महत्वपूर्ण हो सकती है।कार्यक्रम का संचालन साक्षी राठौर व आभार व्यक्त प्रो. जेएन गौतम ने किया। इस अवसर पर प्रो. एमके गुप्ता,प्रो. डीसी गुप्ता,डॉ. विमलेन्द्र सिंह राठौर,प्रो. सरिता वर्मा, प्रो. जितेन्द्र श्रीवास्तव, खुशबू राहत, अपेक्षा श्रीवास्तव, विकास गुर्जर, शकील, संजय जादौन सहित ग्वालियर एवं चंबल संभाग के लाईब्रेरियन,शिक्षक, शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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