AHSDWB के महासचिव के पूर्व प्राचार्य पर आरोप...
आरजीकर मेडिकल कॉलेज में चलता था गुंडा गैंग का राज !
कोलकाता। कोलकाता के आरजी मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के बाद कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष पर तरह-तरह के आरोप लग रहे हैं और नित नए खुलासे हो रहे हैं। आरजी कॉलेज में डॉ. संदीप घोष की शह पर गुंडा गैंग का राज चलता था। यह गैंग पिछले कई वर्षों से अस्पताल में भ्रष्टाचार, गुंडागर्दी औऱ वसूली कर रहा था।
सूत्रों को मिली जानकारी के अनुसार एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स वेस्ट बंगाल (एएचएसडीडब्ल्यूबी) के महासचिव और ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. उत्पल बंधोपाध्याय ने खुलासा किया है कि एक साल पहले आरजी कर अस्पताल के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ने एक हजार पेजों का एक दस्तावेज स्वास्थ्य विभाग को जमा किया था। उसमें यह आरोप था कि आरजी कर मेडिकल में गुंडों का एक गैंग है जो बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार कर रहा है और जबरन वसूली का धंधा चला रहा है।
उक्त सारी जानकारी उन दस्तावेजों में है। आरोप है कि गिरोह पार्किंग वालों से वसूली करता है, आसपास दुकानों से जबरन वसूली करता है। अस्पताल के वेस्ट में भ्रष्टाचार होता है। ड्रग्स के लेन-देन में जबरन वसूली की जाती है। अस्पताल में गुंडा गैंग का राज चलता था। अस्पताल का कोई भी व्यक्ति इनके डर से मुंह नहीं खोल पाता था। अब जाकर डॉ.संदीप घोष के खिलाफ आर्थिक मामलों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है।
पास करने के एवज में लेते थे पैसे
सूत्रों की माने तो डॉ बंध्योपाध्याय ने गुंडा गैंग पर आरोप लगाया है कि वे तय करते थे कि किस विद्यार्थी को पास करना है और किसे फेल करना है। इसके बाद गैंग के सदस्य पैसे लेकर फेल को पास करते थे। अगर इसमें कोई सीनियर डॉक्टर उनकी बात नहीं मानता था तो पहले उसे धमकाया जाता और फिर उसको दूर-दराज के क्षेत्र में ट्रांसफर करने की धमकी दी जाती। इसके बाद फेल विद्यार्थी को पास करने के लिए गिरोह के सदस्य पैसे लेते थे। ऐसा माहौल आरजी कर अस्पताल में पिछले कुछ वर्षों से जारी है। डॉ. संदीप घोष के कार्यकाल में यह तेजी से फला-फूला। उन्होंने कहा कि आरजी कर कॉलेज में जो यह घटना घटी है। यह आरजी कर मेडिकल कॉलेज के लिए कोई अनोखी घटना नहीं है। गुंडों का गैंग जो कुछ आज तक वहां करता आ रहा था, यह उसका नतीजा है।
गैंग पर पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार का आरोप
बंधोपाध्याय ने बताया कि गैंग केवल आरजी कर मेडिकल कॉलेज तक ही सीमित नहीं है। गैंग पर आरोप है कि इसके भ्रष्टाचार और जबरन वसूली का दायरा पूरे प्रदेश में है। गैंग पर पश्चिम बंगाल के सारे मेडिकल कॉलेज, प्राइवेट अस्पताल, मेडिकल काउंसिल, पश्चिम बंगाल मेडिकल रेगुलेटिरी कमीशन समेत सभी प्रतिष्ठानों में भ्रष्टाचार करने, दादागिरी करने और जबरन वसूली का आरोप है। परीक्षा को लेकर भ्रष्टाचार करने का आरोप भी गैंग पर बार-बार लगा है।
ये आरोप हम नहीं लगा रहे, डिप्टी सुपरिंटेंडेंट कह रहे हैं
एक सवाल के जवाब में डॉ. उत्पल बंधोपाध्याय ने कहा कि पिछले साल कौन था आरजी कर मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल, डॉ. संदीप घोष। वे पिछले कई वर्षों से कॉलेज के प्रिंसिपल हैं। इन सबमें संदीप घोष का रोल क्या है, डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ने ही तो करीब एक हजार पेज का दस्तावेज स्वास्थ्य विभाग को सौंप कर बता दिया है। हम नहीं कह रहे हैं, उनके ही डिप्टी सुपरिंटेंडेंट कह रहे हैं।
इस घटना से गुंडा गैंग का क्या संबंध है
एक सवाल के जवाब में उत्पल ने कहा, आखिर इस घटना के साथ गैंग का क्या संबध है। यह बात गौर करने वाली है कि जिस दिन यह घटना घटी, उस दिन क्या-क्या हुआ। यह हम नहीं कह रहे हैं, कलकत्ता हाईकोर्ट कह रहा है। कोर्ट ने कहा, घटना के बाद संदीप घोष ने मामला दर्ज नहीं किया है। उन्होंने पीड़ितों का सहयोग नहीं किया है। पीड़िता के माता-पिता के साथ सही व्यवहार नहीं किया है। यह कोर्ट ने कहा है, हम नहीं कह रहे हैं। इसका मतलब क्या हुआ।
घटना के बाद जो डॉक्टर आए थे, वो कौन थे
उत्पल ने कहा, जिस दिन यह घटना घटी, उसके बाद आरजी कर कॉलेज में बाहर से कुछ डॉक्टर आए थे, जो न आरजी कर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर थे औऱ ना ही उनका हेल्थ सर्विस से कोई लेना देना था। वे कौन थे। उनको अस्पताल में किसने आने दिया। आरोप है इन लोगों ने मिलकर कुछ प्लान किया है। इन लोगों ने सबूतों को मिटाने का काम किया। यह भी बात बाद में साफ हो गई कि जिस जगह पर घटना घटी, रिनोवेशन के नाम पर उसके आस पास के रूम की दीवारों में तोड़-फोड़ की गई।
आखिर तोड़-फोड़ का फैसला किसने लिया
उत्पल कहते हैं, आखिर घटनास्थल के आसपास रिनोवेशन के नाम पर जो तोड़-फोड़ की गई है, उसका फैसला किसने लिया? उन्होंने बताया कि इसे तोड़ने का आदेश स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी और कुछ डॉक्टरों ने लिया था। जो डॉक्टर थे उनका आरजी कर और स्वास्थ्य विभाग का कोई लेना देना नहीं था, ने इसका फैसला लिया और दीवार को तोड़ दिया। उन्होंने बताया कि उनको बाद में पता चला है कि इंजीनियर दीवार को तोड़ने के पक्ष में नहीं थे। लेकिन उनको बोला गया कि हम आदेश ले आएंगे। हमें जहां तक पता चला है कि बाद में इसका आदेश लाया गया।
स्वास्थ्य और पुलिस विभाग बहुत कुछ छिपा रहे
उन्होंने कहा, हम भी सवाल उठा रहे हैं कि आखिर इतनी जल्दबाजी क्यों थी। इतना जरूरी क्या था। अभी-अभी जब वहां पर इतनी बड़ी घटना घटी है। क्राइम सीन के आसपास की चीजों को तो ठीक-ठाक रखना चाहिए। आखिर इसे तोड़ने की इतनी जल्दबाजी क्यों हुई। कितने ही सवाल खड़े करते हैं। क्या कॉलेज के प्रिंसिपल की जानकारी के बिना यह सब कुछ हो सकता है ? इन सभी चीजों को देखकर केवल हमारे मन में ही नहीं बल्कि सारे बंगाल और देश के लोगों के मन में आ रहा है कि इधर कुछ काला है, कुछ छिपाया जा रहा है। स्वास्थ्य और पुलिस विभाग कुछ छिपाना चाहता है। लोगों को लग रहा है कि सबूतों को नष्ट किया जा रहा है।
जांच को दूसरी ओर ले जा रहे हैं
उन्होंने कहा कि जिस तरह का रवैया अब तक हमने देखा है उससे हमारे मन में आ रहा है कि पुलिस विभाग, स्वास्थ्य विभाग और दूसरे विभाग इस जांच को दूसरी दिशा में ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। हम लोग इससे खुश नहीं हैं। लोग भी खुश नहीं हैं। इसलिए यह आंदोलन अब केवल डॉक्टरों का ही आंदोलन नहीं है, यह जन आंदोलन बन चुका है। उत्पल ने कहा, जिस तरह की घटना आरजी कर मेडिकल कॉलेज में घटी है, ऐसी घटना तो दुनिया में कभी नहीं हुई है। ड्यूटी रूम में महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या कर दी गई। इस तरह की घटना दुनिया में कभी नहीं हुई है।
गैंग पर पोर्न फिल्म बनाने का है आरोप
उत्पल ने एक सवाल के जवाब में कहा, यह आरोप तो हमने भी यह सुना है लेकिन यह जांच का विषय है, कि संदीप और उसके गैंग के लोग पोर्न फिल्म बनाते थे। हम यह सुन कर आश्चर्यचकित हैं। हम लोगों को शर्म महसूस हो रही है कि मेडिकल संस्था में यह सब कुछ क्या हो रहा है। यह शर्म की बात है। हम चाहते हैं कि जितने भी आरोप संदीप घोष और उनके गैंग पर लगे हैं और जो लोग उनसे जुड़े हैं, सभी को जांच के दायरे में लाया जाए। पूरी जांच होनी चाहिए। तभी सच्चाई सामने आ पाएगी।
शव को परिजनों की इजाजत के बिना दे दिया जाता
एक सवाल के जवाब में उत्पल ने कहा, मानव अंग तस्करी के बारे में तो जानकारी नहीं है लेकिन पहले शवों को परिजनों के इजाजत के बिना परीक्षण के लिए देने का आरोप लगा था। जहां तक मेरी जानकारी है, उसके मुताबिक कुछ मरीजों के परिजनों ने अस्पताल पर आरोप लगाया था कि उनके परिजनों का शव उनकी इजाजत के बिना दूसरे काम में इस्तेमाल के लिए दे दिया गया। भावना ठीक हो सकती है, अगर शव नहीं मिलेगा तो मेडिकल के छात्र कैसे सीखेंगे। लेकिन परिजनों के इजाजत के बिना यह एथिकली ठीक नहीं है। इसके लिए एक प्रोसेस है, उसे तो मानना चाहिए। प्रोटोकॉल को मानना चाहिए। हमारे यहां यह क्यों तोड़ा गया?
ट्रांसफर होने पर प्रिंसिपल ऑफिस में लगा देते थे ताला
डॉ. संदीप घोष की राजनीतिक पहुंच इतनी थी कि उनका इस कॉलेज से तीन-तीन बार ट्रांसफर हुआ लेकिन वे कभी कहीं नहीं गए। डॉ. उत्पल ने कहा उनका तीन बार ट्रांसफर हुआ है। लेकिन कभी वे कहीं गए नहीं। वे कभी दो दिन बाद ट्रांसफर रिवर्ट वैक करवा लेते थे। कभी सात दिन बाद रिवर्ट करवा लेते। जब भी ट्रांसफर आदेश आता, वे प्रिंसिपल ऑफिस में ताला लगवा देते थे, ताकि जो नया प्रिंसिपल आए, वह ज्वाइन ही नहीं कर सके। इस बीच, वे अपना ट्रांसफर रिवर्ट करवा लेते थे।
आखिर संदीप को आरजी कर में ही रखना क्यों जरूरी है
उन्होंने कहा, जब इस तरह की घटना हम देखते हैं तो हमारे मन में सवाल आते हैं कि इस प्रोफेसर में आखिर क्या है, जो दूसरों में नहीं है। क्या इस प्रिंसिपल के बिना आरजी कर मेडिकल कॉलेज नहीं चल सकता। हमारे राज्य में तो और भी काबिल प्रोफेसर हैं। संदीप घोष को ही आरजी कर में रखना है, आखिर क्यों जरूरी है।
गुंडों के गैंग की भी होनी चाहिए जांच
उत्पल ने कहा, हमारी मांग है कि केवल इस घटना की ही नहीं बल्कि कॉलेज में गुंडों का जो गिरोह या गैंग बनाया गया है, उसकी पूरी जांच होनी चाहिए। इतने सालों से गुंडों का गैंग जो कर रहा था, यह घटना उसी का नतीजा है। जब तक पिछले कुछ वर्षों के घटनाक्रमों की कड़ियों को जोड़ेंगे नहीं, तब तक सच्चाई सामने नहीं आएगी। पिछले कुछ वर्षों में आरजी कर में जो माहौल तैयार हुआ, उसे इस जांच के दायरे में लाना चाहिए। एक सवाल के जवाब में उत्पल ने कहा, माननीय हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई मामले की जांच का हमने स्वागत किया है। हम भी असली फैक्ट जानना चाहते हैं।
पीड़िता के हमदर्दों पर गुंडों ने किया हमला
उन्होंने कहा, अस्पताल के अंदर की गुंडागर्दी का आलम यह है कि वे किसी नहीं डरते। जिस दिन घटना घटी, उस दिन पीड़िता के कुछ चाहने वाले और हमदर्द वहां गए थे। उन पर अस्पताल के गुंडा गैंग ने हमला कर दिया। इसमें कई जिनमें एक सीनियर प्रो. डॉक्टर, एक पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी को चोटें आईं। इस मामले में गुंडों पर एफआईआर भी दर्ज की गई है।
प्रिंसिपल ने अपना काम नहीं किया
यह आरोप है कि हत्या के पीछे डॉ. संदीप घोष थे और हत्या को मैनेज कर रहे थे पर उत्पल ने कहा, यह आरोप तो आ रहा है। हमने पहले ही बोला है कि यह जो घटना हुई है, यह कोई अनोखी घटना नहीं है। पिछले कुछ वर्षों से अस्पताल में गुंडागर्दी और भ्रष्टाचार का जो राज चल रहा है, यह उसका नतीजा है। यह घटना घटने के बाद अस्पताल के प्रिंसिपल को जो-जो उनको करना चाहिए था, उन्होंने वह नहीं किया है। यह बात हम नहीं बल्कि माननीय हाईकोर्ट ने कहा है। तो हमारे मन में शक आ रहा है कि आखिर गुंडों के साथ क्या संबंध है, उनको बचाने की कोशिश की जा रही है। क्यों जांच को दूसरी ओर ले जाने की कोशिश की जा रही है।
राजनीति से परे कुछ भी नहीं
दुनिया में ऐसा कुछ नहीं है, जो राजनीति से परे हो। आप इस बात से अंदाजा लगाएं कि संदीप घोष ने घोषणा की थी कि वे नौकरी छोड़ रहे हैं। शाम को क्या हुआ। शाम को उनको दूसरे मेडिकल कॉलेज में नियुक्ति मिल गई। इसकी घोषणा खुद स्वास्थ्य मंत्री और हमारे राज्य की मुख्यमंत्री ने की। हम यह नहीं कह रहे हैं कि संदीप घोष का मुख्यमंत्री के साथ कोई संबंध है। लेकिन बात यह है कि जो घटना लगातार घट रही है। उससे पता चल रहा है पुलिस विभाग और स्वास्थ्य विभाग इसमें पूरी तरह से नकारा साबित हुआ है। क्या इसकी जिम्मेदारी पुलिस मंत्री या स्वास्थ्य मंत्री को नहीं लेनी चाहिए। हमारी एसोसिएशन ने मांग की है कि स्वास्थ्य मंत्री और पुलिस मंत्री को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए।
ये सवाल भी तो उठता ही है कि क्या एक शराबी ऐसा कर सकता है
पूरे घटनाक्रम को देखकर और जो जानकारियां निकल कर आ रही हैं। उसे देख कर सबके मन सवाल आ रहा है कि जिसे अभी पकड़ा गया है, उसने शराब पी रखी थी। क्या शराबी और एक आदमी ऐसा कर सकता है। क्या यह संभव है। बात यह नहीं है कि एक आदमी है कि कितने आदमी हैं, यह तो जांच का विषय है, कि कौन सीधे घटना से जुड़ा है। उन्होंने कहा, हमारा कंसर्न सीधा अपराध से जुड़ा है और उसके साथ-साथ जो वहां पर अपराध की साजिश का बड़ा क्षेत्र बन गया है, उस पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। नहीं तो किसी की भी सुरक्षा नहीं हो पाएगी। उन्होंने कहा, हमें सीबीआई, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है। उम्मीद है कि जांच में सच्चाई सामने आएगी।
0 Comments