निगमायुक्त ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों को थमाए नोटिस...
करीब 50 करोड़ की सरकारी जमीन कब्जाने के विवादों में घिरे शहर के चर्चित भाजपा नेता !
ग्वालियर। करीब 50 करोड़ की नगर निगम की जमीन कब्जाने के विवादों में घिरे शहर के चर्चित भाजपा नेता पारस जैन के मामले में निगम प्रशासन ने हाई कोर्ट में फर्स्ट अपील दायर कर दी। निगम की जमीन को निजी बताने पर आयुक्त हर्ष सिंह ने निगम के उपायुक्त (राजस्व) और पूर्व विधानसभा के पटवारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। बारादरी चौराहा मुरार पर सर्वे क्रमांक 2916 की 7312 वर्गफीट यह जमीन मोहनलाल सर्राफ चेरिटेबल ट्रस्ट के नाम हैं जिसके ट्रस्टी पारस जैन हैं। मुरार के बारादरी चौराहा पर यह जमीन 35 नहीं बल्कि करीब 50 करोड़ कीमत की है।
आयुक्त ने पटवारी और उपायुक्त को थमाए नोटिस में उल्लेख किया है कि जिला न्यायालय द्वारा प्रकरण क्रमांक 41ए/2008 के मामले में सर्वे क्रमांक 2916 की 7312 वर्गफ फीट जमीन को सरकारी/नगर निगम की न मानते हुए मोहनलाल चेरिटेबल ट्रस्ट की बताया है जबकि विधि अधिकारी द्वारा वैधानिक परीक्षण कर पुराने खसरों की जांच की तो पता चला कि 1979 से 2010 तक यह जमीन खसरो में म्यूनिसिपालटी आबादी के रूप में दर्ज थी। इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि आपके द्वारा तथ्यों व दस्तावेज की जांच किये बिना ही जमीन को निजी बता दिया। आपका यह कृत्य अपने कार्य में लापरवाही एवं उदासीनता का द्योतक होकर मप्र सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के प्रावधानों का उल्लंघन है।
बारादरी चौराहा मुरार पर सर्वे क्रमांक 2916 की 7312 वर्गफीट करीब 35 करोड़ की नगर निगम की जमीन रसूखदार भाजपा नेता पारस जैन के हाथों में पहुंच गई हैं। मोहनलाल सर्राफ चैरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी पारस जैन सहित अन्य के नाम यह वही जमीन है जहां पिछले दिनों रात में आग लगी थी। आग की खबर पर मप्र विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर, कलेक्टर रूचिका चौहान व निगमायुक्त हर्ष सिंह भी पहुंचे थे।
नगर निगम की जमीन में ऐसे हुआ खेल -
- वार्ड क्रमांक 27 में माल रोड ठंडी सड़क मुरार बारादरी चौराहा स्थित यह जमीन मिसिल प्रारंभ से ही राजस्व खसरे में म्यूनिसिपाल्टी आबादी दर्ज होकर निगम की भूमि है। वर्ष 1979 से 2010 तक के राजस्व खसरों में भी यह निगम भूमि के रूप में दर्ज थी।
- नगर निगम परिषद में तत्कालीन पार्षद मुन्नालाल गोयल द्वारा प्रस्तावित और जयनारायण सगर द्वारा समर्थित प्रस्ताव 11 अक्टूबर 1999 में पारित हुआ था जिसमें इस भूमि पर बाउण्ड्रीवॉल का निर्णय लिया था। उस समय रामनिवास सिंह गुर्जर निगम सभापति (अध्यक्ष) थे।
- ठहराव पास होने के बाद भी निगम ने बाउण्ड्रीवॉल तो की नहीं बल्कि कुछ नेताओं-अधिकारियों के गठजोड़ के चलते एक नया खेल शुरू हुआ और मोहनलाल सर्राफ चेरिटेबल ट्रस्ट, जिसके ट्रस्टी भाजपा नेता पारस जैन भी है, की ओर से अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ग्वालियर के न्यायालय में केस दायर कर बताया कि उन्होंने यह जमीन रजिस्टर्ड लीज डीड के जरिये मध्य भारतीय आर्य प्रतिनिधि सभा भोपाल से क्रय की है।
- अदालत में नगर निगम के वकीलों और अधिकारियों ने अधिक गंभीरता नही दिखाई जिससे 2009 में मोहनलाल सर्राफ चेरिटेबल ट्रस्ट के पक्ष में फैसला हो गया और निगम के हाथ से जमीन खिसक गई। इसी आधार पर ट्रस्ट ने जमीन पर अपना नामांतरण कराने का आवेदन निगम में लगाया।
- मामला पकड़ में आने के बाद निगम ने नामांतरण पर कार्रवाई नहीं की। इस पर ट्रस्ट की ओर से 2013 में हाई कोर्ट में याचिका दायर की। अदालत ने विधिवत रूप से नामांतरण का आदेश नगर निगम को दिया। यहां यह बात विशेष रही कि हाई कोर्ट में भी निगम की ओर से गंभीरता नहीं दिखाई गई।
- दस साल पुराना यह मामला विधि अधिकारी अनूप लिटोरिया ने खंगाला। जैसे ही निगमायुक्त हर्ष सिंह के संज्ञान में आया तो उन्होंने साहसिक निर्णय लेते हुए नामांतरण का आवेदन निरस्त कर दिया और जिला न्यायालय के 2009 के आदेश के विरुद्ध हाई कोर्ट में अपील के लिए निगम के विधि सलाहकार कमल जैन से राय ली।
- एडवोकेट कमल जैन ने भी पटवारी रिपोर्ट और पुराने खसरों व अन्य दस्तावेज देख इसे निगम की भूमि माना और हाई कोर्ट में अपील की अनुशंसा की।
- जब निगमायुक्त हर्ष सिंह के संज्ञान में यह मामला आया तब उन्होंने विधि अधिकारी अनूप लिटोरिया को इस मामले में जल्द अपील फाइल करने के निर्देश दिए। अब इस मामले में हाई कोर्ट में रिव्यू पिटीशन बाहर की गई है। देखना है कि निगम प्रशासन इस करोड़ों रुपए की जमीन को बचा पता है या हाथ से निकलती है।
मुरार में मोहनलाल सर्राफ चेरिटेबल ट्रस्ट की जमीन के मामले में हाई कोर्ट में फर्स्ट अपील दायर की है। इस जमीन को निजी बताने पर पटवारी और उपायुक्त को भी नोटिस दिया है - हर्ष सिंह, आयुक्त नगर निगम
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