रोज - रोज अटेंडर और डॉक्टरों के बीच होने वाली मारपीट की घटनाओं के कारण लिया निर्णय...
जेएएच में अब अटेंडर का प्रवेश हुआ मुश्किल,गेट पास से होगी एंट्री !
ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित संभाग के सबसे बड़े सरकारी जयारोग्य अस्पताल में मरीज के अटेंडर और जूनियर डॉक्टरों के बीच आए दिन होने वाले झगड़े- मारपीट से निपटने के लिए डीन ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि अटेंडर की अब गेटपास से एंट्री होगी और गंभीर मरीज के साथ रुकने की अनुमति लेनी होगी, साथ ही जूनियर डॉक्टरों की काउंसलिंग भी कराई जाएगी..बताया जाएगा कि विपरीत परिस्थिति में कैसे काम किया जाए।
गजराज मेडिकल कॉलेज (GRMC) समूह और ग्वालियर चंबल संभाग के सबसे बड़े सरकारी जयरोग्य अस्पताल में आए दिन होने वाले जूनियर डॉक्टरों और मरीज के अटेंडरों के बीच होने वाले विवादों को कैसे रोका जाए.. इसके लिए कॉलेज के डीन और प्रोफेसर और सीनियर डॉक्टरों ने बैठक कर निर्णय लिया है कि सबसे पहले UG-PG चिकित्सा छात्रों के साथ संवाद चलेंगे संवाद के दौरान काउंसलिंग की जाएगी कि विपरीत परिस्थितियों में कैसे काम करना है यह हमारी प्राथमिकता है और जिम्मेदारी भी।
वहीं GRMC के डीन की अध्यक्षता में हुई बैठक में ये भी दिशा निर्देश दिए गए हैं कि अस्पताल में जूनियर- सीनियर डॉक्टरों के लिए एक लिफ्ट आरक्षित रहेगी,अस्पताल में दिशा सूचक और सूचना बोर्ड लगाए जाएंगे..OPD के बाद दोपहर 2 बजे से अब अटेंडरों की एंट्री गेटपास से ही होगी, एक मरीज के साथ एक ही अटेंडर जा सकेगा, गंभीर मरीज के साथ दो अटेंडरों रुकने के लिए अनुमति लेना होगी।
अक्सर जूनियर डॉक्टर और मरीज के अटेंडर के बीच हो जाती है मारपीट की घटना
तीन घटनाएं हो चुकी है मामला पुलिस तक भी पहुंचा है ऐसे में जयरोग्य अस्पताल की छबि लगातार खराब होती जा रही है.. इसलिए डीन ने जूनियर डाक्टरों की काउंसलिंग की बात कही है उनके व्यवहार में परिवर्तन लाने पर जोर दिया..साथ ही फैकल्टी से कहा कि वह जूनियर डाक्टरों का मार्गदर्शन करें, जिससे विवादों पर अंकुश लग सके।
इसके साथ ही इस बात पर भी गौर करना होगा की इसके लिए सिर्फ अटेंडर को ही जिम्मेदार नहीं माना जा सकता है इस प्रकार की घटनाओं के एवज में जूनियर डॉक्टर्स की भी जबाबदेहि तय होना चाहिए उन्हें चाहिए कि मरीज को लेकर आने वाले अटेंडर्स के साथ शालीनता से पेश आएं क्योंकि ये अटेंडर पहले ही अपने मरीज (परिजन) की हालत को लेकर परेशान होते हैं ऊपर से जूनियर डॉक्टर्स का रुखा व्यवहार और गलत बोल-चाल उनकी परेशानी और बड़ा देता है उनकी यही परेशानी खीज में बदल जाती और झगड़े जैसी घटनाएं होने लगती हैं।
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