G News 24 : आदेश तो था नाम बताने का,धूर्त नेता इसे जाति व्यवस्था से जोड़कर लोगों के बीच प्रचारित कर रहे हैं !

 लोगों को गुमराह करने और झूठ बोलने वाले नेताओं से सावधान रहने की जरूरत है !

आदेश तो था नाम बताने का,धूर्त नेता इसे जाति व्यवस्था से जोड़कर लोगों के बीच प्रचारित कर रहे हैं !

समाज के बीच सामंजस्य बना रहे खान-पान की चीजों को लेकर आपस में किसी भी तरह का टकराव न हो जैसा कि अक्सर होता है। अभी कुछ दिन पहले ही एक ढाबे  पर इस बात को लेकर बवाल हो गया, क्योंकि उस ढाबे पर कुछ व्यक्तियों में खाने के ऑर्डर में बगैर लहसुन प्याज की सब्जी खाने का आर्डर दिया था लेकिन ढाबे के कारीगरों द्वारा उन्हें लहसुन -प्याज वाली सब्जी परोसे जाने पर विवाद और हंगामा खड़ा हो गया था। इसी से सबक लेते हुए यूपी और उत्तराखंड सरकार के द्वारा होटल ढाबा आदि सहित खान पान की दुकान चलाने वालों के लिए दुकान के बाहर, दुकान के मालिक  का नाम लिखे होने का आदेश निकाला  गया है। इस आदेश के परिपालन में  शायद किसी भी दुकानदारों को कोई आपत्ति नहीं होगी! क्योंकि दुकान के बाहर दुकानदार को अपनी पहचान यानी कि अपना नाम लिखने में भला क्या आपत्ति हो सकती है? नाम किसी व्यक्ति की आइडेंटिटी होता है और उसे अपनी आइडेंटिटी छुपाने में किसी प्रकार की भला क्या आपत्ति होगी? 

लेकिन जिन जिन लोगों को अपनी राजनीति चमकाने और लिए राजनीतिक रोटियां सेखने के लिए मुद्दा रूपी जो  आग चाहिए, वे इस आदेश में उसे आग को देखते हैं। सही कारण है कि आदेश तो  निकाला गया की सभी दुकानदार, सभी से मतलब वह किसी भी धर्म के हो, दुकान के आगे अपने साइन बोर्ड पर अपना नाम भी लिखेंगे। इसमें किसी भी तरीके से कहीं भी जाति-वरण का उल्लेख नहीं है फिर भी सत्ता और कुर्सी के भूखे कुछ धूर्त  नेताओं के द्वारा अपनी मर्जी से,अपनी सुविधा के अनुसार, जो उनके एजेंडे को सूट करता है वे इसे जाति व्यवस्था से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे नेता बार-बार दलित, पिछड़ा, ओबीसी और हिन्दू मुस्लिम का एंगल इस आदेश में घुसाने का प्रयास कर रहे हैं। केंद्र एवं राज्य सरकारों को क्यों ना ऐसे लोगों पर मुकदमा दर्ज किया जाए ? जो सरकारी आदेशों का अपनी मर्जी के हिसाब से जनता के बीच वर्णन करके लोगों के बीच शासन प्रशासन और व्यवस्था के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न करते हैं। 

ये धूर्त नेता जिन लोगों के हिमायती बनने का दिखावा कर रहे हैं उन लोगों ने सरकार के इस आदेश की अभिहेलना या विरोध नहीं किया। क्योंकि वे जानते हैं की जिसे जहां से जो भी सामान लेना है या जो भी खाना पीना है वह वहां से खाएगा पिएगा हर व्यक्ति अपनी मर्जी का मालिक है तो फिर सरकार के आदेश से फर्क भी क्या पढ़ने वाला और उन्हें पहचान वाला बताने में भी कोई आपत्ति नहीं है और होनी भी नहीं चाहिए। लेकिन ये धूर्त नेता यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार का यह आदेश केवल धर्म विशेष के लोगों के खिलाफ है तो, मुझे तो ऐसा नहीं लगता, क्योंकि जिन लोगों के यह नेता हिमायती बनने का दिखावा कर रहे हैं वे लोग तो स्वयं अपनी पहचान बताने में फक्र महसूस करते हैं। उन्हें उनके पहनावे के कारण दूर से ही पहचान या जाना जा सकता है। तो भला दुकान पर नाम लिखने में क्या और क्यों आपत्ति है। नाम छुपा कर वह व्यक्ति काम करता है जिसके मन में चोर होता है या जो कुछ इन-लीगल करने का इरादा रखता है। 

मैं एक बार फिर कहूंगा कि ऐसे धूर्त नेताओं से समाज के लोगों को बचकर रहना चाहिए इनके बहकावे में आकर आपसी संबंधों को कतई खराब ना करें। क्योंकि ऐसे लोग कभी किसी के हिमायती या सगे नहीं हो सकते !!!

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