दबंगई इतनी है कि प्रशासनिक अधिकारी जानकारी होने के बाद भी कार्रवाही करने से बच रहे है...
दबंगों ने पहले एक स्कूल और अब खेल मैदान कब्जाया !
ग्वालियर। शहर में स्कूल भी अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुके हैं। हर रोज किसी न किसी इलाके में शासकीय स्कूलों पर कब्जे की शिकायतें सामने आती ही रहती हैं, लेकिन दिक्कत तब है जब शिकायतों के बावजूद कार्रवाई न हो। कब्जा जमाने वाले दबंगों के बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ते हैं, ऐसे में वे गरीब और निम्न मध्यम वर्ग के बच्चों के हक के स्कूलों को दबंग लील रहे हैं।
बंगई इतनी है कि प्रशासनिक अधिकारियों को मामले की पूरी जानकारी है, लेकिन वे भी स्कूलों को कब्जे से मुक्त कराने के बजाय अतिक्रमणकर्ताओं के आगे गुहार करते नजर आते हैं। शहर के प्रमुख इलाके थाटीपुर में ऐसा ही एक उदाहरण है कि शासकीय प्राथमिक विद्यालय अनिवार्य थाटीपुर का, जहां दबंगों ने स्कूल की छत से लेकर अगल-बगल और खेल मैदान पर कब्जा कर लिया।
मजबूरन इस स्कूल को एक शाला-एक परिसर योजना के अंतर्गत नजदीक ही बने माध्यमिक विद्यालय में शिफ्ट करना पड़ा। एक स्कूल को कब्जाने के बाद अब दबंगों की बुरी नजर दूसरे स्कूल पर पड़ गई है। अब उस पर भी कब्जे के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं और एक हिस्से पर कब्जा हो भी गया है। स्कूल प्रबंधन ने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय तक और वहां से कलेक्ट्रेट तक कई बार मामले की वस्तुस्थिति से अवगत कराया गया है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर स्थिति ढाक के तीन पात वाली रही है।
स्कूल शिफ्ट हुआ तो खत्म हुआ तो खेल मैदान पर भी किया कब्जा
माध्यमिक विद्यालय अब एक शाला-एक परिसर में तब्दील हो चुका है। कुल 400 बच्चे यहां पढ़ते हैं। प्राथमिक विद्यालय जब यहां शिफ्ट किया गया, तो अतिरिक्त कमरों का निर्माण करना पड़ा। नतीजा यह हुआ कि सखेल मैदान पूरी तरह खत्म हो गया। अब यहां मैदान के नाम पर कुछ वर्गफीट जमीन खुली पड़ी है, जहां बच्चे सिर्फ खो-खो या कबड्डी जैसे खेल ही खेल पाते हैं। जिस स्थान पर प्राथमिक विद्यालय के कक्ष बनाए गए, अब वहां भी दबंगों ने दूसरी तरफ से निर्माण शुरू कर दिया है। खाली जमीन पर कबाड़ा डंप हो रहा है। एक हिस्से में मजार बना दी है, जिसका रास्ता प्राचार्य कक्ष से होकर जाता है।
योजनाबद्ध तरीके से हुआ कब्जा
थाटीपुर पर चौहान प्याऊ के ठीक सामने शासकीय बालक माध्यमिक विद्यालय थाटीपुर का संचालन होता है। इसमें लगभग 150 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं। लगभग 20 मीटर की दूरी पर दूसरे स्कूल शासकीय प्राथमिक विद्यालय अनिवार्य थाटीपुर का संचालन हाेता था। दबंगों की नजर सबसे पहले प्राथमिक स्कूल पर पड़ी और धीरे-धीरे स्कूल को आसपास से घेरा जाने लगा।
स्कूल का दायरा सीमित हो गया, तो एक मकान बनाकर इसका दरवाजा स्कूल परिसर में खोल लिया गया। इसके बाद खेल मैदान में वाहन खड़े करने का क्रम शुरू हुआ। इसके बाद स्कूल के बाहर दोनों तरफ दुकानें बना ली गईं, जो आज भी अपनी जगह कायम हैं। प्राथमिक विद्यालय की क्षमता 200 बच्चों की है, लेकिन इतनी जगह ही नहीं बची। ऐसे में मजबूरन स्कूल को माध्यमिक विद्यालय में शिफ्ट करना पड़ा।
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