G News 24 : प्रसिद्धि मिलने पर सूरजपाल उर्फ साकार हरि ने ससुराल में आना-जाना कर दिया था बंद !

 शादी के वक्त सूरजपाल छठीं तो पत्नी 5वीं की थीं छात्रा,UP में  है ससुराल...

प्रसिद्धि मिलने पर सूरजपाल उर्फ साकार हरि ने ससुराल में आना-जाना कर दिया था बंद

एटा। उत्तर प्रदेश के एटा में सूरजपाल उर्फ साकार हरि की ससुराल है। वह भोले बाबा बने तो ससुरालीजन उनके भक्त हो गए। रिश्तेदारी नाम की रह गई। शुरुआती दौर में तो ससुराल आए और सत्संग भी किए। बाद में प्रसिद्धि मिलने पर आना-जाना बंद कर दिया। पटियाली के बहादुरनगर गांव में ही ये लोग पहुंचते तो औपचारिक मुलाकात हो जाती थी।

जैथरा क्षेत्र के गुहटिया गांव निवासी हरपाल सिंह की दो पुत्री और एक पुत्र हैं। एक पुत्री प्रेमवती से सूरजपाल की शादी 1968 में हुई थी। उस समय सूरजपाल कक्षा छह और प्रेमवती कक्षा पांच में पढ़ती थीं। शादी के बाद सूरजपाल की पढ़ाई जारी रही, जबकि प्रेमवती गृहणी हो गईं। प्रेमवती के भाई मेवाराम बताते हैं कि शादी के बाद सूरजपाल का आना-जाना था। बाद में उनकी नौकरी लग गई। कई साल नौकरी करने के बाद सेवानिवृत्ति लेकर वह सत्संग करने लगे।

ससुराल के लोग बताते हैं कि 1995 में बाबा यहां आकर 15 दिन रुके थे। कई जगह सत्संग किया। इससे तमाम लोग उनके अनुयायी हो गए थे। 2000 में प्रेमवती की मां कलावती का निधन हो गया। उनके तेरहवीं संस्कार में भोले बाबा का सत्संग रखा गया था। यह आखिरी मौका था जब भोले बाबा और प्रेमवती इस गांव में पहुंचे थे।

मेवाराम की पुत्री की मौत के बाद... आगरा में हुआ था बवाल

कोई संतान न होने के कारण मेवाराम की पुत्री को ही सूरजपाल और प्रेमवती ने गोद ले लिया था। जिसकी मृत्यु हो गई। आगरा में उसे जिंदा करने के प्रयास में काफी बवाल हुआ था और सूरजपाल सहित उनके सात अनुयायियों पर मुकदमा भी दर्ज किया गया।

बहादुरनगर का पानी तक नहीं पीया

भोले बाबा के साले मेवाराम बताते हैं कि हम लोग भी उनका सत्संग सुनने जाते थे। हालांकि हम लोगों ने कभी किसी प्रकार की कामना नहीं की। उन्होंने रिश्तेदारी जैसी बात नहीं रखी थी। हारी-बीमारी, परेशानी-खुशी के मौकों पर भी आना छोड़ दिया था। हम लोग मिलने के लिए बहादुरनगर जाते थे तो वहां का पानी भी नहीं पीते थे। बाबा के रूप में उनसे मुलाकात होती थी।

भोले बाबा तो सबके रिश्तेदार

रिश्ते में भतीजे लगने वाले राजेश ने बताया कि दोनों हमारे बुआ-फूफा हैं। अब तो वह सबके रिश्तेदार हैं। हम लोग उनके आश्रम में मिलने तो जाते हैं, लेकिन भीड़ के चलते मुलाकात नहीं होती है। हादसे वाले दिन मैं भी सत्संग में गया था। सत्संग के बाद निकलकर आ गया। पता भी नहीं लगा था कि हादसा हो गया। बाद में जानकारी हुई थी।

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