G News 24 : विवादित प्रभारी कार्यपालन यंत्री ने आवंटन में कर दिया खेल !

 प्रमुख अभियंता का एक ही संदेश समय कम काम ज़्यादा ...

विवादित प्रभारी कार्यपालन यंत्री ने आवंटन में कर दिया खेल !

ग्वालियर/भोपाल।आदिकाल से विवादित मुहावरा हमेशा से अधिकांश मामलों में सटीक बैठता ही है।लूट सके तो लूट अंतकाल पछताएगा प्राण जाएँगे छूट।प्रदेश सरकार के साथ जल संसाधन विभाग के मुखिया शिरीष मिश्रा व उनके पद चिन्हों पर चल रहे विवादित प्रभारी कार्यपालन यंत्री भास्कर प्रकाश सक्सैना भी समय कम और काम ज़्यादा के फ़ार्मूले  की पद्धति अपनाए हुए है।

विभागीय सूत्रों की माने तो जल संसाधन विभाग मध्यप्रदेश के प्रभारी प्रमुख अभियंता ने अपनी पदस्थापना के चंद दिन बाद ही जल संसाधन विभाग मंत्रालय के आरोप पत्र को दर किनारा कर आरोपित अधिकारी को पदस्थापना दे दी और बात तो यहाँ ख़त्म होनी थी। लेकिन महाराज यहाँ तो समय कम काम ज़्यादा करना है ना, इसलिए जहाँ विवादित अधिकारी को प्रभारी कार्यपालन यंत्री पदस्थ किया उसी वि./यां. ग्वालियर संभाग को मई और जून महीने में एक करोड़ राशि का आवंटन भी दे दिया। बस फिर क्या था हो गया खेल ! बाकी तो सब राम रच राखा….

जल संसाधन विभाग मध्यप्रदेश के नर्मदा भवन के गलियारों की चर्चाओं पर भरोसा किया जाए तो पिछले दो साल में जो भी बतौर विभागीय मुखिया पदस्थ हुआ। वे काम के मामले में तो अनुभवी थे पर उनके पास समय कम और काम ज़्यादा का बोझ उनके ऊपर दिखाई देता है। उन्हीं में से एक है हमारे प्रमुख अभियंता शिरीष मिश्रा। जितनी लगन और मेहनत से वह सेवानिवृत्त होने से पहले काम करते थे, उतनी ही मेहनत से वे आज संविदा नियुक्ति के बाद कर रहे है। 

लेकिन आज अगर सूत्रों की माने तो हमारे प्रमुख अभियंता अनुभव का फायदा तो विभाग को दे रहे है,पर उनकी दूरगामी दृष्टि से वह देख नहीं पा रहे है।इसलिए तो उन्होंने ने अपनी नवागत पदस्थापना के बाद जिस विवादित अधिकारी को ग्वालियर वि./या. संभाग का प्रभारी कार्यपालन यंत्री पदस्थ किया उससे पहले उन्होंने ने विभाग के अनुभवी सलाहकार अधिकारियों से चर्चा करना भी उचित नहीं समझा। बावजूद उसके की उनके आदेश दिनांक 11/03/2024 से एक सप्ताह पहले ही जल संसाधन विभाग मंत्रालय भोपाल ने उक्त विवादित अधिकारी भास्कर प्रकाश सक्सैना को एक लम्बी जांच के बाद अपने पद का दुरुपयोग कर नियम विरूद्ध कार्य करने के मामले में दोषी माना था और विभागीय मुखिया को दिनाकं 05/03/2024 को अधिकृत पत्र से सूचित भी किया था।उसके बाद भी प्रमुख अभियंता जी ने अपनी दूरगामी दृष्टि का उपयोग ही नहीं किया और उक्त विवादित अधिकारी की पदस्थापना कर दी। 

सूत्रों के अनुसार बात यहीं तक होती तो ठीक था पर हमारे प्रमुख अभियंता इतने निर्मल और सरल थे कि विवादित अधिकारी की पदस्थापना को अभी दो महीने ही हुए थे कि मई और जून महीने के पहले ही सप्ताह में ग्वालियर डिविज़न को एक करोड़ रुपये राशि का आवंटन भी स्वीकृति कर दिया। जो किस ओर इशारा कर रहा है कि हो गया आवंटन का बंदर बांट !

सूत्रों के अनुसार एक और पुरानी कहावत ग्वालियर भारी मशीनरी वि./यां. संभाग के विवादित प्रभारी कार्यपालन यंत्री पर सटीक बैठती है।बंदर को मिली पीतल बाहर रखूँ के भीतर… इस कहावत की कलमकार ने अपनी खबर में चर्चा इसलिए की है कि जैसे ही मई और जून के पहले सप्ताह को मिलकार ग्वालियर डिविज़न को जो एक करोड़ रुपये राशि का आवंटन प्रमुख अभियंता जी ने दिया। उसका बंदर बांट कैसे करना है यह पहले तय था।

-आधा दर्जन से अधिक फर्मो के हुए पुराने भुगतान 

भारी मशीनरी वि./सा.जल संसाधन विभाग संभाग ग्वालियर को जैसे ही आवंटन की स्वीकृति मिली तो डिविज़न के विवादित प्रभारी कार्यपालन यंत्री व उनके तकनीकी सहयोगी संजय श्रीवास्तव व बड़े बाबू राजेन्द्र पाल सिंह जादौन ने अपने चहेते ठेकेदारों की फर्मो के पुराने भुगतान कर दिया गए है।। संभागीय कार्यालय के सूत्र बताते है कि आवंटन राशि का 80 प्रतिशत भुगतान कौन से देयक किस हेड से किए हैं। यहाँ कलमकार बताना चाहते है कि जैसा तात्कालिक कार्य पालन यंत्री संतोष कुमार चौबे ने किया था, किसी हेड का देयक किसी भी हेड से कर दिए।उन्हीं नक्से कदम पर चलकर हमारे विवादित प्रभारी कार्यपालन यंत्री ने भी खेल कर दिया।

डिविज़न को आवंटित राशि का सदुपयोग सा दुरुपयोग

ग्वालियर वि./यां. संभागीय कार्यालय को मई और जून महीने के पहले सप्ताह में आवंटित हुई एक करोड़ की राशि मेंनटेंस के लिए मुख्यालय से मिली थी या पुराने देयकों के भुगतान के लिए मिली थी।यहाँ कलमकार जल संसाधन विभाग के वरिष्ठों से जानना चाहता है कि जो राशि ग्वालियर संभागीय कार्यालय को आवंटित हुई उसका सदुपयोग हुआ या दुरूपयोग यह समझ से परे है। 

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