G News 24 : अब बहुत हुआ 'सबका साथ, सबका विकास'मैं इसे अब और नहीं कहूंगा :सुवेंदु

 जो हमारे साथ हम उनके साथ,अल्पसंख्यक मोर्चे की जरूरत नहीं : सुवेंदु अधिकारी...

अब बहुत हुआ 'सबका साथ, सबका विकास'मैं इसे अब और नहीं कहूंगा :सुवेंदु 

बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि जो हमारे साथ हम उनके साथ, अल्पसंख्यक मोर्चे की जरूरत नहीं । देश में हुए आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बंगाल में करारी हार का सामना करना पड़ा था।  पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा मैंने राष्ट्रवादी मुसलमानों के बारे में बात की थी और आप सभी ने भी कहा था कि 'सबका साथ, सबका विकास', लेकिन मैं इसे अब और नहीं कहूंगा, बल्कि अब हम कहेंगे 'जो हमारे साथ हम उनके साथ', सबका साथ, सबका विकास बंद करो', अल्पसंख्यक मोर्चे की जरूरत नहीं है।

वैसे उनकी इस झल्लाहट की वजह तो माहौल के हिसाब से अपनी जगह उचित ही लगती है। क्योंकि जब देश की सरकार सबका विकास के एजेंडे पर काम कर रही है तो उसे सबका साथ और विश्वास भी तो मिलना चाहिए,लेकिन क्या ऐसा हो रहा है ? परीस्थितियां और देश का माहौल स्पष्ट बता रहा है कि बिल्कुल नहीं हो रहा है।

सुवेंदु अधिकारी तृणमूल कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए थे, उन्होंने 2021 के विधानसभा चुनावों में सीएम ममता बनर्जी के खिलाफ नंदीग्राम सीट से जीत दर्ज की थी. अधिकारी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पश्चिम बंगाल की सियासत में तनाव बढ़ रहा है और बीजेपी हार के बाद राज्य में अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही है।

यहां खास बात तो ये है कि ये बात तो संविधान की करते है मानते और चलते सरिया से हैं। सुविधाएं संविधान के हिसाब से लेंगे और कानून सरिया का मानेंगे। झंडा फिलिस्तीन-पाकिस्तान का उठाएंगे,सर तन से जुदा के नारे लगाएंगे,CAA-NRC,तीन तलाक़,जनसंख्या नियंत्रण का विरोध करेंगे। बुर्के  के समर्थन में और दुर्गा पूजा,शोभा यात्रा, राम नवमी शोभायात्रा,कावड़ यात्रा पर पत्थरबाजी करेंगे,पहचान (नाम ) बताने की बात पर कहते हैं सरकार हमारे साथ भेदभाव कर रही है ! भला नाम पूछने में कैसा भेदभाव ? हिन्दू अपने धार्मिक आयोजन करते हैं तो इनसे इनकी भावनाएं आहत होती हैं, ये कैसी भावनाएं हैं जो धार्मिक आयोजनों से आहत हो जाती हैं ? भावनाएं सिर्फ इनकी आहत होती हैं सामने वालों की नहीं होती इसके बाबजूद हिन्दू तो कभी पत्थरबाजी नहीं करता तोड़फोड़ नहीं करता।  और जब कोई इनकी इन घटिया हरकतों का मुखर होकर विरोध करता है तो उसे अल्पसंख्यक विरोधी बता दिया जाता है। 

देश का शायद ही कोई ऐसा थाना हो जिसमे हनुमान जी की मूर्ति न हो ,और किसी थाने में उस मूर्ति के आगे हनुमान चालीसा पाठ कर लेने मात्र से इनके धर्म पर संकट आ जाता है ! इसके विरोध में कांग्रेस के बहुत बड़े नेता भी बहुसंख्यकों के विरोध में खड़े होने से बाज नहीं आते है। विरोधियों के लिए क्या सत्ता,पावर और कुर्सी ही सब कुछ है देश-जनता कुछ भी मायने नहीं रखती है ? क्योंकि सरकार के हर काम में रोड़े अटकना ठीक नहीं है ! 

आपको जनता ने देश चलाने चुनकर भेजा है किसी को संतुष्ट करने नहीं, जो  देश हित है उसका समर्थन करो और जिसमें कहीं कोई कमी है तो उसे दूर करने में सरकार का सहयोग करो। फालतू की नेतागिरी और नौटंकी नहीं ये सोशल मिडिया का जमाना है पब्लिक को बेबकूफ मत समझो ! क्योंकि आप जैसे कुछ लोगों के कारण ही इतने सारे जब फासले आपस में हों जाते हैं तो कहां रह जाता है सबका विश्वास और सबका साथ !!! रही सबका विकास की तो सरकार तो सभी के लिए समानभाव से काम कर रही है लेकिन क्या ये समान रूप से सरकार का सहयोग करते हैं ! ये स्वयं विचार करें !


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