2 दिन में इन 2 नए मामलों से समझिए...
कुर्सी की चाहत में CM योगी और केशव प्रसाद मौर्य के बीच बढ़ी खींचतान !
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से यूपी के भीतर बीजेपी के भीतर खींचतान बढ़ती ही जा रही है. पार्टी के भीतर ही एक 'विपक्ष' बनता नजर आ रहा है. मंत्रियों के बीच भी गुटबाजी भी देखने को मिल रही है. ये अंदरखाने की बातें तब से सामने आ रही हैं जब 14 जुलाई को बीजेपी की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने अलग सुर अपनाते हुए ये कह दिया कि सरकार से बड़ा संगठन है. इसको परोक्ष रूप से सीएम योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली पर सवालिया निशान के रूप में देखा गया. उसके बाद से ही पार्टी के दोनों दिग्गज नेताओं के बीच खटपट की खबरें छनकर सामने आ रही हैं. इधर दो दिनों में दो ऐसी घटनाएं हुई हैं जो कहीं न कहीं इन खबरों पर मुहर लगाती दिखती हैं और ऐसा माना जा रहा है कि ये सब सत्ता में बने रहकर ज्यादा पावर और बड़ी कुर्सी पाने की चाहत में हो रहा है।
सोमवार को सीएम योगी ने अधिकारियों के साथ आजमगढ़ में समीक्षा बैठक की थी. उसमें सुभासपा नेता ओमप्रकाश राजभर को भी आमंत्रित किया गया था लेकिन वो वहां नहीं पहुंचे. लेकिन उसी दिन शाम को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से मिलने पहुंच गए. सिर्फ इतना नहीं राजभर ने बाकायदा इस मुलाकात की फोटो भी एक्स पर शेयर कीं. इस पर कैप्शन भी लिखा गया कि लखनऊ में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के साथ आत्मीय भेंट हुई. एक फोटो में दोनों नेता एक-दूसरे का हाथ पकड़े हुए मुस्कुराते नजर आए. इन तस्वीरों को सियासी हलकों में लामबंदी के रूप में देखा जा रहा है.
इसके बाद मंगलवार को केशव प्रसाद मौर्य ने लखनऊ स्थित अपने कैंप कार्यालय में निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री डॉ संजय निषाद से मुलाकात की. डॉ संजय निषाद भी राजभर की तरह ओबीसी नेता हैं और चुनाव में बीजेपी की हार के लिए बुलडोजरों पॉलिटिक्स को जिम्मेदार ठहरा चुके हैं. यूपी में एनडीए के खराब प्रदर्शन पर निषाद ने कहा था कि बुलडोजरों का बेजा इस्तेमाल हार के प्रमुख कारणों में से एक रहा है.
इसी तरह इसी बीच केशव प्रसाद मौर्य ने सीएम योगी के विभाग से आरक्षण को लेकर सवाल भी दागा था. यहां पर विपक्ष के रोल में दिखते हुए उन्होंने अपनी ही सरकार से सवाल पूछा था. उन्होंने संविदा और ऑउटसोर्सिंग से हुई भर्तियों की रिपोर्ट भी मांगी थी. हालांकि 14 जुलाई के बाद केशव प्रसाद मौर्य दिल्ली में बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से मिले थे तो यही समझा गया कि शायद इन दूरियों को कम करने का प्रयास किया जाएगा लेकिन इस हफ्ते की सियासी घटनाओं को देखने के बाद कहा जा रहा है कि ये दूरियां घटने के बजाय बढ़ ही रही हैं.
बीजेपी के अंदरखाने और सहयोगी दलों की तरफ से उठ रहे सवालों के बीच हैरानी की बात ये है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने कोई टिप्पणी कहीं नहीं की है और वो चुपचाप सरकार के कामकाज में जुटे हैं. जानकार इससे भी ज्यादा इस बात को लेकर आश्चर्य जता रहे हैं कि बीजेपी के अंदरखाने से बढ़ते विरोध के बावजूद संगठन की तरफ से कहीं सख्ती दिखाने वाली बात नजर नहीं आ रही है. इन सबको देखते हुए विश्लेषकों का कहना है कि बहुत संभव है कि बीजेपी 10 सीटों पर होने जा रहे उपचुनावों तक संभवतया चुप्पी साधे रहेगी और पार्टी के भीतर और सहयोगियों की तरफ से उठते सवालों के जवाब उपचुनाव के नतीजे तय करेंगे.
0 Comments