गोल्डन टावर में रहने वाले 24 परिवारों के सामने अब आशियाने का संकट...
35 के लोन पर लिया फ्लैट,लोन चुकता हुआ नहीं और रहवासी हो गए बेघर !
ग्वालियर। जीवनभर की मेहनत की गाढ़ी कमाई के 32 से 35 लाख रुपए बिल्डर को चुकाने के बावजूद इन परिवारों से सिर पर छत नहीं है। नेहरू कालोनी स्थित गोल्डन टावर में रहने वाले 24 परिवारों के सामने अब आशियाने का संकट खड़ा हो गया है।कई लोगों ने फ्लैट खरीदने के लिए बैंक से 16 से 20 साल की अवधि का लोन लिया और हर महीने किश्तें चुका रहे हैं। अभी लोन पूरा चुकता नहीं हो पाया और बिल्डिंग खतरनाक अवस्था में आ गई है।
बुधवार को लोग खतरनाक हो चुकी बिल्डिंग के बाहर खड़े होकर हसरत भरी निगाहों से अपने फ्लैटों को निहार रहे थे। उनकी घर-गृहस्थी का पूरा सामान अभी फ्लैटों में ही मौजूद है। वहीं पिलर टूटने की घटना के बाद से बिल्डर मोहन बांदिल ने नगर निगम के अधिकारियों सहित बिल्डिंग के रहवासियों के फोन तक उठाने बंद कर दिए हैं। नगर निगम के सिटी प्लानर प्रदीप जादौन ने इस बिल्डिंग को तैयार करने वाली कंपनी मैसर्स यूनिक कंस्ट्रक्शन के संचालक मोहन बांदिल पुत्र राधेश्याम बांदिल और मंजू माहौर पत्नी शैलेंद्र माहौर निवासी मधुवन कालोनी थाटीपुर के नाम पर नोटिस जारी कर दिए।
इस नोटिस को भयप्रद बिल्डिंग के साथ ही बिल्डर के घर पर भी चस्पा किया गया है। नोटिस में उल्लेख किया गया है कि जब तक बिल्डिंग की मरम्मत नहीं हो पाती, तब तक रहवासियों के लिए आवास की व्यवस्था की जाए। यदि भवन से किसी प्रकार की जनहानि होती है, तो इसकी जिम्मेदारी बिल्डर की होगी। नोटिस मिलने के बाद शाम के समय बिल्डर ने अपने कुछ कर्मचारियों को भेजकर बिल्डिंग के पिलर को सहारा देने के लिए लोहे के जैक व पाइप लगवाए। हालांकि इसके बाद भी बिल्डिंग भयप्रद अवस्था में बनी हुई है और लोग इसमें रहने के लिए तैयार नहीं हैं।
बिल्डिंग के रहवासियों का कहना है कि यदि बिल्डिंग की मरम्मत हुई, तब भी दहशत तो बनी ही रहेगी क्योंकि घटिया निर्माण का मामला सामने आ चुका है। लोगों का यह भी कहना है कि बिल्डर ने रेत से मल्टी तैयार कर दी। जिस पिलर में 16 से 20 मिमी के सरिए लगाने चाहिए थे, वे 12 मिमी के लगे हैं। तभी पिलर टूट गया है। यदि मरम्मत हो भी जाती है, तो भी यहां रहने में डर लगा ही रहेगा।
अपनी फरियाद लेकर इस टावर के रहवासी अब बिल्डर पर कार्रवाई के लिए निगमायुक्त हर्ष सिंह से गुहार लगा रहे है । इस बिल्डिंग की परमिशन वर्ष 2014 में जारी हुई थी। इसे दो प्लाटों पर मिलाकर बनाया गया है। वर्ष 2016 में इसमें लोगों ने रहना शुरू कर दिया था। कुछ लोगों की रजिस्ट्री वर्ष 2015 में हो चुकी है। अब नगर निगम द्वारा रिकार्ड खंगालकर भवन निर्माण की अनुमति के दस्तावेज तलाशे जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस बिल्डिंग की परमिशन जी प्लस थ्री की थी, लेकिन इस पर एक मंजिल अतिरिक्त बना ली गई।
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