भारत का लाल 400 किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष में लहराएगा तिरंगा ...
चंद्रयान-3 की सफलता के बाद,ISRO एक बार फिर रचने जा रहा इतिहास !
भारतीय अंतरीक्ष एजेंसी (इसरो) अगस्त महीने में इतिहास रचने जा रहा है. इसको लेकर अंतरिक्ष मंत्री जितेंद्र सिंह सिंह ने खुलासा किया है. उन्होंने बताया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का एक गगनयात्री अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा करेगा. यह इसरो, नासा और एक निजी कंपनी, Axiom Space, के बीच एक संयुक्त मिशन होगा. इस मिशन के लिए इसरो ने Axiom Space के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. यह मिशन अगस्त 2024 में फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जा सकता है.
नासा में ट्रेनिंग लेंगे भारतीय गगनयात्री
यह जवाब तृणमूल कांग्रेस के विधायक सौगत रॉय के लोकसभा प्रश्न पर आया, जिसमें उन्होंने 'एक्सिओम-4 मिशन', अंतरिक्ष यात्रियों और गगनयान मिशन के बारे में पूछा था. मंत्री ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी और एक्सिओम स्पेस ने आईएसएस के लिए गगनयान मिशन के लिए एक आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसे फ्लोरिडा में एजेंसी के कैनेडी स्पेस सेंटर से अगस्त 2024 से पहले लॉन्च करने का लक्ष्य रखा गया है.
तीन सदस्यों के चालक दल को तीन दिन के लिए स्पेस में भेजा जाएगा
गगनयान इसरो का बड़ा मिशन है, जिसमें तीन सदस्यों के चालक दल को तीन दिन के लिए स्पेस में भेजा जाएगा. मिशन में 400 कि.मी. की कक्षा में प्रक्षेपित करके और उन्हें भारतीय समुद्री जल में उतारा जाएगा. चंद्रयान और आदित्य एल-1 की सफलता के बाद ये मिशन इसरो को और बुलंदियों पर पहुंचाएगा. गगनयान भारत का पहला मानव मिशन होगा.
गगनयान मिशन के लिए ऐसे हुआ सिलेक्शन !
मिशन का हिस्सा बनने के लिए बड़ी संख्या में पायलट्स ने ऐप्लिकेशन दीं थीं. इनमें से 12 ने बेंगलुरु में सितंबर 2019 में पहले लेवल का सिलेक्शन प्रोसेस पूरा किया. यह चयन वायुसेना के तहत आने वाले इंस्टिट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन (IAM) की ओर से किया गया. इसके बाद कई सिलेक्शन राउंड हुए और आखिर में IAM और इसरो ने अंतिम चार को सिलेक्ट किया.
जून 2019 में ISRO और रूस की स्पेस एजेंसी के बीच पायलट्स की ट्रेनिंग के लिए करार हुआ था. इसके बाद इन चारों पायलट्स को 2020 में शुरुआती ट्रेनिंग के लिए रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर भेजा गया. वहां पर फरवरी 2020 से मार्च 2021 तक इनकी ट्रेनिंग हुई. उसके बाद से चारों को कई एजेंसियों और सशस्त्र बल की ओर से ट्रेनिंग दी जा रही है. इसरो अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (HSFC) को प्रशिक्षण के लिए विभिन्न सिमुलेटरों से लैस करने पर काम कर रहा है. वे फिट रहने के लिए IAF के साथ नियमित रूप से उड़ान भरना जारी रखते हैं.
चार पायलटों को गगनयान मिशन के लिए गया चुना
आईएसएस मिशन के लिए गगनयात्री चार भारतीय वायुसेना पायलटों में से एक होंगे, जिन्हें गगनयान मिशन के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है. सभी चार अंतरिक्ष यात्रियों ने रूस में प्रशिक्षण लिया था. मंत्री ने बताया कि वर्तमान में भारतीय अंतरिक्ष यात्री गगनयान मिशन के लिए बेंगलुरु में इसरो के अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण सुविधा में प्रशिक्षण ले रहे हैं. जानें इन चारों गगनयात्रियों के नाम और उनके बारें में....
ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर
केरल के पलक्कड जिले में नेनमारा के रहने वाले हैं. उन्होंने रूस में स्पेस फ्लाइट मिशन की ट्रेनिंग ली है. वह NDA से ग्रैजुएट हैं और एयरफोर्स अकैडमी में Sword of Honour से सम्मानित हुए. वह 19 दिसंबर 1998 में एयरफोर्स में बतौर कमिशंड अफसर शामिल हुए. वह Cat A कैटिगरी के फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और टेस्ट पायलट हैं. उन्हें 3 हज़ार घंटों से ज्यादा उड़ान का अनुभव है. उन्हें सुखोई, मिग-21, मिग-29, हॉक, डॉर्नियर, एएन-32 समेत तमाम तरह के विमानों को उड़ाने का अनुभव है. वह अमेरिका के ऐलबामा में यूएस एयर कमांड ऐंड स्टाफ कॉलेज से फर्स्ट रैंक के साथ ग्रैजुएट हैं. वह सुखोई स्क्वॉड्रन की अगुआई भी कर चुके हैं.
नायर के पड़ोस में रहने वाली बुजुर्ग महिला ने उनके बचपन को बताया कि प्रशांत बहुत अच्छा बच्चा है...मैं उसे तब से जानती हूं जब वह चार या पांच साल का था. मुझे यकीन था कि वह अच्छे पद पर पहुंचेंगे. लेकिन यह उपलब्धि मेरी उम्मीदों से परे है. नेनमारा के विधायक ने कहा कि लोगों का उत्साह शब्दों से परे है. प्रशांत अब न सिर्फ केरल, बल्कि पूरे देश का गौरव बन गए हैं.
ग्रुप कैप्टन अजित कृष्णन
तमिलनाडु के चेन्नै में 19 अप्रैल 1982 को जन्म हुआ. वह भी एनडीए के छात्र रह चुके हैं और एयरफोर्स अकैडमी में राष्ट्रपति के स्वर्ण पदक और Sword of Honour से सम्मानित हो चुके हैं. वह वायुसेना की फाइटर स्ट्रीम में 21 जून 2003 को शामिल हुए. ग्रुप कैप्टन अजित कृष्णन को 2900 घंटों का उड़ान अनुभव है. वह फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और टेस्ट पायलट हैं. कृष्णन भी सुखोई-30 MKI, मिग-21, मिग-29, जगुआर, डॉर्नियर और एएन-32 जैसे कई विमान उड़ाने का अनुभव है. वह डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज वेलिंगटन के छात्र भी रह चुके हैं.
ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप
ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप का जन्म 17 जुलाई 1982 को प्रयागराज में हुआ था. वह NDA के पूर्व छात्र हैं और 18 दिसंबर 2004 को भारतीय वायुसेना की फाइटर स्ट्रीम में कमिशन हुए थे. अन्य गगनवीरों की तरह ग्रुप कैप्टन अंगद भी फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और टेस्ट पायलट हैं. उन्हें करीब 2000 घंटों का उड़ान अनुभव है. ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप ने कई प्रकार के विमान जैसे- सुखोई-30 MKI, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डॉर्नियर, एएन-32 उड़ाए हैं.
विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला
विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला का जन्म यूपी के लखनऊ में 10 अक्टूबर 1985 को हुआ था. वह भी गगनयान मिशन में शॉर्टलिस्ट हुए अन्य प्रतिभागियों की तरह एनडीए के पूर्व छात्र हैं. विंग कमांडर शुक्ला 17 जून 2006 को वायु सेना की फाइटर स्ट्रीम में कमिशन हुए. वह फाइटर कॉम्बैट लीडर और टेस्ट पायलट हैं. उन्हें करीब 2000 घंटों का उड़ान अनुभव है. विंग कमांडर शुक्ला ने सुखोई-30 MKI, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डॉर्नियर, एएन-32 जैसे कई विमान उड़ाए हैं. इन्होंने रूस की राजधानी मॉस्को के यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग हासिल की है.
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