G.NEWS 24 : चंद पैसौं से लालच के में होने दे रहे हैं पानी की बर्बादी और कर रहे हैं डीजल की चोरी !

नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारियों की लापरवाही और अनदेखी के कारण...

चंद पैसौं से लालच के में होने दे रहे हैं पानी की बर्बादी और कर रहे हैं डीजल की चोरी !

ग्वालियर। शहर में पानी का क्राइसिस बना हुआ है नगर निगम ग्वालियर के द्वारा शहर वासियों को अभी एक दिन छोड़कर  पानी सप्लाई किया जा रहा है और आने वाले दिनों में दो दिन छोड़कर के सप्लाई दिए जाने के लिए अधिकारियों द्वारा विचार किया जा रहा है। 

जिला कलेक्टर ग्वालियर और नगर निगम आयुक्त के द्वारा भी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि शहर में कहीं भी पानी की बर्बादी ना हो जितने भी धुलाई सेंटर शहर में चल रहे हैं वे पानी की समस्या को देखते हुए इस समय बंद रहेंगे। स्पष्ट आदेश के बावजूद शहर के तमाम स्थानों पर निगम के कर्मचारियों को चंद पैसे की रिश्वत देकर धुलाई सेंटर बदस्तूर चल हैं। 

जिन कर्मचारियों पर इन सेंटर्स के खिलाफ कार्रवाई करने की जिम्मेदारी है वे ही कुछ पैसे लेकर इन धुलाई सेंटर वालों को खुली छूट दे रहे हैं। दिखावे के लिए कार्रवाई की जाती है उसके घंटे 2 घंटे बाद ही फिर से ये सेंटर खुल जाते हैं।

यह स्थिति तो है शहर के बीचो-बीच नौगज,रोड डीडी मॉल के चल धड़ल्ले से रहे हैं। या तो मुख्य सड़क की स्थिति है इसी प्रकार गली मोहल्ले और बाजारों में न जाने कितने धुलाई सेंटर पानी की बर्बादी कर रहे। यहां जो गाड़ियां धो रहे हैं और जो गाड़ियां खुलवा रहे हैं जिनकी गाड़ियां ढोई जा रही हैं उन्हें इस बात की कतई परवाह नहीं है कि लोग पानी के लिए परेशान है चारों तरफ पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। इन्हें तो सिर्फ पैसे से मतलब है लोग चाहे फिर परेशान हो या आपस में पानी के लिए झगड़ा या मरे कोई परवाह नहीं। जिम्मेदार कर्मचारी इन सेंटर्स के खिलाफ कार्रवाई इसलिए नहीं कर रहे हैं क्योंकि उन्हें भी उनका हिस्सा मिल रहा है।

यही स्थिति शहर में कचरा उठाने वाले वाहनों की है इन वहानों के चालक, वाहनों से डीजल निकाल कर के प्राइवेट गाड़ी वालों को बेच रहे हैं। कई ड्राइवर तो ऐसे हैं जिन्होंने उसी क्षेत्र में सेटिंग कर ली है जिस क्षेत्र में ये कचरा उठाने जाते हैं और वहां के वाहन चालकों को डीजल बेच देते हैं।जब यह खबर मीडिया वालों को पता है तो क्या नगर निगम के अधिकारियों के संज्ञान में यह बात क्यों नहीं है। इन वाहन चालकों पर नजर क्यों नहीं रखी जा रही है। अधिकारी क्यों नहीं इनके बहन की तलाशी लेते हैं। यह वाहन चालक वाहन के अंदर ही छिपा करके कट्टे या बोरी के अंदर  में डीजल की खाली या भरी केन रखे रहते हैं और जैसे ही मौका मिलता है डीजल निकाल करके प्राइवेट वाहन चालकों को बेच देते हैं।

मार्केट रेट से मात्र चार या ₹ 5 के अंतर से ये लोग डीजल निकाल करके प्राइवेट लोगों को बेच रहे हैं। यदि मान जाए कि एक गाड़ी वाला 2 दिन में 10 लीटर डीजल भी बेचता है तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि शहर में कचरा उठाने के कार्य में कितने वाहन लगे हुए हैं। इनकी संख्या के आधे लोग भी यदि डीजल बेच रहे हैं तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कितने राजस्व का नुकसान इनके द्वारा किया जा रहा है।

- रवि यादव

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