आने वाले समय में यह मुलाकात काफी काम आ सकती है...
PM मोदी ने लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से की मुलाकात
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव-2024 का परिणाम आ चुका है. जनता जनार्दन ने NDA को लगातार तीसरी बार स्पष्ट बहुमत दिया है. बीजेपी 240 सीटों के साथ एक बार फिर से देश की सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर सामने आई है. NDA का नेता चुने जाने के बाद नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के शिल्पकार रहे भारत रत्न लालकृष्ण आडवाणी से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की है. इस महत्वपूर्ण मुलाकात के दौरान भाजप के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी की हाथ थामे नजर आए. मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने से पहले गुजरे जमाने के बीजेपी के एक और दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी से भी मुलाकात की है. मोदी की इन मुलाकातों का अपना ही सिंबोलिक राजनीतिक महत्व है.
आने वाले समय में यह मुलाकात काफी काम आ सकती है. अटल बिहारी वाजपेयी के साथ लालकृष्ण आडवाणी NDA के शिल्पकारों में थे. 90 के अंतिम दशक में जब बीजेपी सिंगल लार्जेस्ट पार्टी बनकर उभरी थी, तब गठबंधन की सरकार चलाने की जिम्मेदारी पार्टी पर आन पड़ी थी. अटल बिहारी वाजपेयी एक सर्वमान्य चेहरा थे, लेकिन एक बड़ा तबका आडवाणी के साथ दिखने से बचने की कोशिश करते थे. ऐसे में वाजपेयी ने गठबंधन को फ्रंट से लीड किया, जबकि लालकृष्ण आडवाणी ने पर्दे के पीछे और आगे रहकर NDA को मूर्त रूप देने का काम किया था. आडवाणी ने भाजपा को शून्य से लेकर सत्ता के शिखर तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई.
NDA का तानाबाना बुनने में आडवाणी की भूमिका काफी अहम रही थी. नरेंद्र मोदी को जब 2013 के गोवा अधिवेशन में बीजेपी ने अपना चेहरा बनाने की घोषणा की थी तो पार्टी के साथ ही NDA में भी खेमेबंदी हो गई थी. एक तबका आडवाणी को चेहरा बनाने के पक्ष में था. उस दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और TDP सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू का आडवाणी के प्रति ज्यादा झुकाव माना जाता था. नीतीश कुमार ने तो तत्काल एनडीए से अलग होने की घोषणा कर दी थी, जबकि चंद्रबाबू नायडू ने साल 2018 में एनडीए से अलग होने का ऐलान किया था.
हालांकि, इससे दोनों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था. चंद्रबाबू नायडू एक बार फिर से एनडीए में आए और लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनावों में भी कमाल का प्रदर्शन किया. इन चुनावों में वह किंगमेकर बनकर उभरे हैं. लोकसभा चुनाव-2024 का परिणाम सामने आ चुका है, लेकिन इस बार भाजपा अपने दम पर स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं कर सकी है. बीजेपी को 240 सीटें मिली हैं, जबकि सामान्य बहुमत के लिए 272 सांसदों की जरूरत होती है. दूसरी तरफ, एनडीए को 293 सीटें मिली हैं, ऐसे में बीजेपी इस गठबंधन को पूरी तरह से मजबूत बनाए रखना चाहती है, ताकि नई सरकार सफलतापूर्वक पांच साल का कार्यकाल पूरा कर सके. एनडीए नेता चुने जाने के बाद नरेंद्र मोदी ने लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से मुलाकात कर अपने पार्टनर्स को स्पष्ट संकेत दे दिया है कि वह अपने सहयोगियों को साथ लेकर चलेंगे.
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