आज, 19 जून 2024 की तारीख भारत के इतिहास की महत्वपूर्ण तारीखों में शामिल...
सैकड़ों वर्ष पहले खंडहर में बदल डाला गया नालंदा विश्वविद्यालय फिर हुआ जीवंत !
पुराना खण्हर नालंदानया भव्य नालंदा
आज19 जून 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार में स्थित नालंदा यूनिवर्सिटी की नई इमारत का उद्घाटन कर दिया. इसी के साथ देश का यह पहला प्राचीन विश्वविद्यालय एक नया इतिहास लिखने जा रहा है. अब सालों पहले खाक में मिला दी गई नालंदा विश्वविद्यालय की भव्य इमारत 800 सालों बाद फिर बोल उठी है.
'आग की लपटें किताब जला सकती हैं, ज्ञान नहीं'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्धघाटन किया। इससे पहले उन्होंने कैंपस में मौजूद खंडहरों का निरीक्षण किया। नया परिसर नालंदा विश्वविद्यालय के प्राचीन खंडहरों के पास है, जिसे नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2010 के माध्यम से स्थापित किया गया था। यह अधिनियम 2007 में फिलीपींस में दूसरे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में लिए गए निर्णय का पालन करता है।
नालंदा विश्वविद्यालय का प्राचीन इतिहास
मूल रूप से पांचवीं शताब्दी में स्थापित नालंदा विश्वविद्यालय, दुनिया भर के छात्रों को आकर्षित करने वाला एक प्रसिद्ध संस्थान था। यह 12वीं शताब्दी में नष्ट होने तक 800 वर्षों तक फलता-फूलता रहा। आधुनिक विश्वविद्यालय ने 2014 में 14 छात्रों के साथ एक अस्थायी स्थान से परिचालन शुरू किया। नए परिसर का निर्माण 2017 में शुरू हुआ।
नालंदा विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय छात्रों का केंद्र है
नालंदा विश्वविद्यालय को ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, चीन, इंडोनेशिया और थाईलैंड सहित 17 अन्य देशों का समर्थन प्राप्त है, जिन्होंने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। विश्वविद्यालय अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को 137 छात्रवृत्तियां प्रदान करता है। 2022-24 और 2023-25 के लिए स्नातकोत्तर कार्यक्रमों और 2023-27 के पीएचडी कार्यक्रम में नामांकित अंतर्राष्ट्रीय छात्रों में अर्जेंटीना, बांग्लादेश, कंबोडिया, घाना, केन्या, नेपाल, नाइजीरिया, श्रीलंका, अमेरिका और जिम्बाब्वे के छात्र शामिल हैं।
बहुत ही दिलचस्प है इतिहास
भारत का पहला और दुनिया का दूसरा सबसे प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है. इसने सैकड़ों वर्षों में जिस शोहरत की जिन बुलंदियों को छुआ, उसी तरह खुद को राख होते हुए भी देखा.
देश का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय
मोहम्मद बख्तियार खिलजी ने 1199 में नालंदा विश्वविद्यालय को न केवल ध्वस्त कर दिया था, बल्कि उसमें आग भी लगा दी थी. इसकी लाइब्रेरी में रखी लाखों किताबें महीनों तक उस आग में धधकती रहीं.
अब वर्षों बाद किताबों का भंडार और शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीय केंद्र कुछ खो देने का दर्द भूलकर, नालंदा विश्वविद्यालय की कल्पना भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) देशों के बीच सहयोग के रूप में की गई है.
पहला आवासीय विश्वविद्यालय
नालंदा विश्वविद्यालय का समृद्ध भारत के इतिहास से गहरा नाता है. लगभग 1600 साल पहले स्थापित नालंदा विश्वविद्यालय को दुनिया के पहले आवासीय विश्वविद्यालयों में से एक माना जाता है.
ऐसा था प्राचीन नालंदा
प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का परिसर बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ था. अवशेषों को देखकर ही इसकी भव्यता का अंदाजा लगाया जा सकता है. उस समय नालंदा में 300 कमरे, 7 बड़े कमरे और एक 9 मंजिला विशाल पुस्तकालय हुआ करता था.
बनने जा रहा नया इतिहास
नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस में 40 क्लासेस वाले दो शैक्षणिक ब्लॉक हैं, जिनकी कुल बैठने की क्षमता लगभग 1900 है. इसमें दो ऑडोटोरियम हैं, जिनमें से हर एक कैपेसिटी 300 सीटों की है.
ये भी हैं सुविधाएं
नालंदा यूनिवर्सिटी में लगभग 550 स्टूडेंट्स की कैपेसिटी वाला एक हॉस्टल है. इसमें अलाव और भी कई सुविधाएं हैं, जिनमें एक अंतर्राष्ट्रीय केंद्र, 2000 लोगों की कैपेसिटी वाला एम्फीथिएटर, फैकल्टी क्लब और एक खेल परिसर शामिल है.
'नेट ज़ीरो' कार्बन कैंपस
यह दुनिया का सबसे बड़ा नेट जीरो कार्बन कैम्पस है. यह परिसर कॉम्प्लैक्स सोलर प्लांट, घरेलू और पेयजल ट्रीटमेंट प्लांट, बेकार पानी रो दोबारा इस्तेमाल करने के लिए एक वॉटर रिसाइक्लिंग प्लांट, 100 एकड़ वॉटर यूनिट और कई अन्य पर्यावरण-अनुकूल सुविधाओं के साथ आत्मनिर्भर है.
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