G News 24 : भारतीय संस्कृति पर्यावरण के साथ बहुत नज़दीकी से जुड़ी हुई है : आदर्श दीदी

 ब्रह्माकुमारीज संस्थान द्वारा पर्यावरण सरंक्षण जागरूकता कार्यक्रम आयोजित... 

 भारतीय संस्कृति पर्यावरण के साथ बहुत नज़दीकी से जुड़ी हुई है : आदर्श दीदी 

ग्वालियर । प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की सहयोगी संस्था राजयोग एज्युकेशन एण्ड रिसर्च फाउंडेशन के ग्राम विकास प्रभाग द्वारा 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कंपू स्थित नेहरु उद्यान में प्रकृति की सुरक्षा एवं प्राकृतिक स्त्रोतों के संरक्षण का संकल्प लेकर जन जाग्रति के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के आरम्भ में वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षक बीके डॉ गुरचरण सिंह ने संस्थान से जुड़े 300 से अधिक श्रद्धालु को पर्यावरण संरक्षण, संवर्धन, विकास एवं प्रकृति के सकारात्मक संतुलन के लिए सभी  को ध्यान का अभ्यास कराया।

पर्यावरण की गुणवत्ता बढ़ाने, पर्यावरण संरक्षण हेतु आवश्यक कदम उठाने, पर्यावरण प्रदूषण के निवारण व नियन्त्रण हेतु जागृति के लिये राष्ट्रव्यापी प्रयास के रूप में विश्व पर्यावरण दिवस पर अनेकों कार्यक्रमों का आयोजन, कार्यशालायें, सेमीनार, प्रदर्शनियाँ, सिंगल यूज़ प्लास्टिक प्रयोग कम करना, वीडियो प्रस्तुतिकरण, पर्यावरण दिवस पर 5 जून को "विश्व पर्यावरण दिवस" आयोजित किया जाता है।

आदर्श दीदी ने इस अवसर पर कहा कि पर्यावरण और आध्यात्म का बहुत गहरा सम्बन्ध है। भारतीय संस्कृति पर्यावरण के साथ बहुत नज़दीकी से जुड़ी हुई है। हमारी जीवनशैली सदा ही पर्यावरण-मित्र शैली रही है, जो कि पर्यावरण संरक्षण का कार्य स्वतः करती है। परन्तु वर्तमान समय में हम प्रकृति से बहुत दूर चले गये है और प्रकृति तथा आध्यात्म का समन्वय भी बिगड़ गया है। जिसके फलस्वरूप प्रकृति के पांचों तत्वों का विध्वंसक रूप भी देखने को मिल रहा है। प्रकृति यह सन्देश दे रही है कि अब यह जागने का समय है। प्रकृति के साथ सम्बन्ध जोड़कर उसे देवतुल्य मानने की परम्परा आधुनिक युग में भी जीवित रखने की अति आवश्यकता है। 

दीदी ने आगे कहा कि वर्त्तमान समय में हम सभी प्रकृति द्वारा दिए गए जीवन रक्षक उपहार वायु, जल, अन्न, वृक्ष, आदि का निरंतर दुरूउपयोग करने से बचें। उन्होंने जल कि एक एक बूँद के महत्व को समझाते हुए कहा कि जो भी प्राकृतिक संसाधन हमें मुफ्त में और सहज ही प्राप्त होते है शायद हम उसके मूल्य को नहीं समझ पते है उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल के समय हमें एक एक वृक्ष का महत्व तब समझ आया जब सब विज्ञान के साधन उपलब्ध होते भी हम सभी को ऑक्सीजन के अभाव का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि कई लोगो ने अपने घर के पास बगीचे में उपलब्ध हरे भरे वृक्षों के समीप रहकर ऑक्सीजन कि कमी को पूरा करते हुए अपने जीवन की रक्षा की। इसी के साथ उन्होंने बताया कि हमारी सारी प्रथ्वी का लगभग 71 % हिस्सा जल से भरा हुआ होने के बाद भी हमें जल खरीद कर पूर्ती करनी पड़ती है। अत: अभी भी समय है हम सभी को प्रकृति कि पुकार सुनकर सजक और जिम्मेवार रहकर प्रकृति संरक्षण के लिए सजग होने की आवश्यकता है। यदि हम सभी मिलकर अपनी अपनी जिम्मेवारियों को समझे तो एक बड़ा परिवर्तन ला सकते है। इसके लिए कहने और सुनाने से ज्यादा महत्वपूर्ण होगा स्वयं आगे बढकर दूसरों को प्रेरणा देना होगा। इसके बाद दीदी जी द्वारा सभी को प्रकृति संरक्षण के लिए प्रतिज्ञायें कराई ।  

कार्यक्रम के अंत में सभी को वृक्षारोपण के लिए प्रेरित करते हुए आदर्श दीदी जी द्वारा तुलसी का पौधा उपहार स्वरुप दिया गया। कार्यक्रम में बीके  महिमा, बीके  पवन, बीके  जीतू , शिवांश, शुभम, पंकज सहित अनेकानेक भाई एवं बहने उपस्थित थे।

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