एक लाख बच्चे प्रभावित...
एमपी नर्सिंग घोटाले की जांच में भी घोटाला !
मध्य प्रदेश में नर्सिंग के करीब एक लाख छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ हुआ है। बहुर्चित व्यापमं घोटाले के बाद अब नर्सिंग कॉलेज घोटाला भी सरकार के लिए किरकिरी का विषय बन चुका है। नियम-कायदों को दरकिनार करते हुए नर्सिंग कॉलेज संचालित होते रहे। न तो आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत महसूस की गई और न ही पढ़ाने के लिए फैकल्टी की। कई कॉलेज तो बिना फेकल्टी के भी सर्टिफिकेट बांटते रहे। सीबीआई ने जांच की तो उसके अफसर भी भ्रष्टाचार में शामिल हो गए और अब उनकी ही जांच उनकी एजेंसी कर रही है। सीबीआई की नई टीम को जांच दी जा सकती है। इस मामले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की भी एंट्री हो सकती है। वह पीएमएलए के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू कर सकती है।
नर्सिंग कॉलेज घोटाले में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। सीबीआई के अधिकारियों समेत 13 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। सीबीआई की टीम दिल्ली में पूछताछ कर रही है। इनसे पूछताछ में कई अहम खुलासे हो सकते हैं। प्रदेश सरकार नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने संबंधी आयोग गठन करने पर काम कर रही है। साथ ही छात्रों के लिए राज्य स्तर पर प्रवेश परीक्षा लेने पर भी विचार किया जा रहा है। आइए, जानते हैं कि व्यापमं के बाद प्रदेश के अब तक के सबसे चर्चित घोटाले में कब क्या हुआ? प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता संबंधी शिकायत पर यह मामला हाईकोर्ट में पहुंचा। इसके बाद राज्य नर्सिंग काउंसिल ने डेढ़ दर्जन से ज्यादा कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी।
वहीं, हाईकोर्ट ने सीबीआई को अक्टूबर 2022 में मामले की जांच सौंप दी। कॉलेजों की प्राथमिक जांच में अनियमितताएं सामने आई। हाईकोर्ट ने सीबीआई को 364 कॉलेजों की जांच के आदेश दिए। हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने सात जांच दल बनाए। इनमें सीबीआई अधिकारियों के साथ-साथ नर्सिंग कॉलेजों के नामित अधिकारी और पटवारियों को भी रखा गया। सीबीआई ने 169 कॉलेजों की जांच रिपोर्ट सौंपी। अधिकतर कॉलेजों को योग्यता सूची में शामिल किया। 73 कॉलेजों में कमियां और 66 को अयोग्य बताया गया। लिस्ट के सामने आने के बाद उन कॉलेजों को सूटेबल लिस्ट में शामिल कर लिया, जिनमें कमियां बताई गई थी।
सूटेबल लिस्ट में बिना इंफ्रास्ट्रक्चर व फेकल्टी वाले कॉलेजों के नाम जब शामिल हो गए तब अधिकारियों की मिलीभगत की शिकायत सीबीआई को मिली। चार अधिकारियों समेत 23 लोगों के नाम एफआईआर में दर्ज किए गए। सीबीआई के दो इंस्पेक्टर मध्य प्रदेश पुलिस के हैं। वहीं, सीबीआई के एक अधिकारी राहुल राज को बर्खाख्त कर दिया गया है। बाकी आरोपी 29 मई तक पुलिस रिमांड पर है। सीबीआई के अधिकारियों को पकड़ने के बाद भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ। सीबीआई के अधिकारियों ने दलालों के साथ मिलकर पैसों के बदले कॉलेजों को सूटेबल रिपोर्ट दी। सीबीआई के इंस्पेक्टर राहुल राज, सुशील कुमार मोजोका और ऋषिकांत असाठे को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है। डिप्टी एसपी आशीष प्रसाद को आरोपी बनाया है।
सीबीआई के अधिकारियों के लिए दलाल कॉलेज संचालकों से संपर्क करते थे। फिर उन्हें सूटेबल लिस्ट में शामिल कराने के लिए पैसा तय होता था। सीबीआई की एफआईआर में कई दलालों के नाम लिखे हैं। सीबीआई अधिकारी को रिश्वत के रूप में दो से 10 लाख रुपये देना तय किया था। नर्सिंग स्टाफ को 25 से 50 हजार रुपये और पटवारी को 5 से 20 हजार रुपये मिलते थे। सीबीआई का एक अधिकारी रिश्वत की राशि जयपुर में अपने दोस्त को भिजवाता था। रिश्वत की राशि लेने से अधिकारियों तक पहुंचाने के लिए अलग-अलग लोग शामिल थे। इसके बाद नर्सिंग कॉलेज के नियमों में फेरबदल किए गए। क्षेत्रफल 23 हजार वर्ग फुट चाहिए था, लेकिन नए नियमों में इसे घटाकर 8 हजार वर्ग फुट कर दिया।
फेकल्टी में 10 छात्रों पर एक शिक्षक के अनुपात को बदलकर 20 पर एक कर दिया गया। इन नियमों का पालन नहीं करने वाले कॉलेजों को भी सूटेबल लिस्ट में डाल दिया गया। कई जगह कॉलेज में शिक्षक नहीं होने के बावजूद सर्टिफिकेट बांटे जाते रहे। प्रदेश में अभी 2020-21 सत्र के नर्सिंग की छात्रों की परीक्षा चल रही है। 2021-22, 2022-23 की परीक्षा का समय अभी निर्धारित ही नहीं है। 2023-24 के लिए कॉलेजों की मान्यता नहीं हुआ है। वहीं, एनएसयूआई के प्रदेश समन्यक रवि परमार का कहना है कि नर्सिंग घोटाले की वजह से छात्रों का जो भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। जिन छात्र-छात्राओं की अभी परीक्षा रूकी हुई। उस पर सरकार को जल्द निर्णय लेना चाहिए। इससे एक लाख से ज्यादा बच्चे प्रभावित है।
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