प्लांट में मृत पशुओं का किया जाएगा अंतिम संस्कार ...
7 करोड़ की लागत से केदारपुर में बनेंगे सात करोड़ के दो एनिमल इंसीनरेटर प्लांट !
ग्वालियर। स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन द्वारा दिए गए बजट से नगर निगम द्वारा लगभग सात करोड़ रुपये की लागत से दो एनिमल इंसीनरेटर प्लांट लगाए जाएंगे। इन प्लांट में मृत पशुओं का अंतिम संस्कार किया जाएगा। नगर निगम द्वारा वर्षों से एनिमल इंसीनरेटर लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन सफलता हाथ नहीं लग सकी है। पांच वर्ष पूर्व केदारपुर पर ही ईको ग्रीन कंपनी के माध्यम से इंसीनरेटर लगाया गया था, लेकिन कंपनी के जाने के बाद यह ठप पड़ गया। पूर्व में नगर निगम द्वारा लाल टिपारा गोशाला में प्लांट लगाने के टेंडर किए गए थे, लेकिन संतों के विरोध के कारण प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी। अब इसे केदारपुर पर शिफ्ट किया जाएगा।
शहर में रोजाना 30 से अधिक पशुओं के शव उठाए जाते हैं। अभी नगर निगम द्वारा गोशाला और शहर में मरने वाले जानवर को उठाने से लेकर गाढ़ने तक के लिए सालाना डेढ़ से दो करोड़ रुपये का भुगतान किया जाता है। यही कारण है कि अलग-अलग क्षमता के दो इंसीनरेटर लगाए जाएंगे। इनमें एक 500 किलोग्राम और दूसरा एक हजार किलोग्राम क्षमता का होगा यानी एक प्लांट में 500 किलोग्राम तक और दूसरे प्लांट में एक हजार किलोग्राम तक पशुओं के शव जलाए जा सकेंगे। यह प्लांट सीएनजी गैस से संचालित होगा और इसे संचालित करने के लिए प्रतिदिन 900 किलो गैस की आवश्यकता होगी।
पूर्व में प्रयास ये थे कि इस प्लांट को गोशाला में लगाया जाए, क्योंकि वहां 100 टन क्षमता का सीएनजी प्लांट लगाया जा रहा है, जो इस वर्ष शुरू हो जाएगा। ऐसे में इसी से कनेक्शन लेकर इंसीनरेटर का संचालन किया जा सकेगा, लेकिन विरोध के बाद इसे केदारपुर में शिफ्ट किया जाएगा। संतों का कहना था कि इस प्लांट से दुर्गंध आने के साथ ही गोशाला के माहौल पर असर पड़ेगा। पीआइयू के नोडल अधिकारी पवन सिंघल ने बताया कि अब केदारपुर पर ही प्लांट लगाया जाएगा। इसके लिए दोबारा टेंडर प्रक्रिया की जाएगी।
एनिमल इंसीनरेटर प्लांट लगाने से पहले निगम के अधिकारियों ने अलग-अलग शहरों में निरीक्षण किया था। इस बात को भी देखा गया कि इंसीनरेटर लगने से किसी प्रकार की बदबू आती है या नहीं। निरीक्षण में पता चला कि इससे किसी प्रकार की बदबू नहीं आती है। जिस चेंबर में जानवर का अंतिम संस्कार होता है, वह एकदम बंद होता है। दाह संस्कार की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इंसीनरेटर में सिर्फ दो से पांच फीसद राख बचती है। इसका उपयोग खाद बतौर भी किया जा सकता है।
विवाद के कारण स्मार्ट सिटी को वापस सौंप रहे थे प्रोजेक्ट
पूर्व में नगर निगम द्वारा आठ करोड़ रुपये की लागत से सिर्फ एक इंसीनरेटर प्लांट लगाने की रिपोर्ट तैयार की गई थी। बाद में निगमायुक्त ने ये जिम्मेदारी पीआइयू को दे दी। इसी बीच स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन ने सात करोड़ रुपये का बजट इंसीनरेटर के लिए नगर निगम को सौंप दिया। निगम ने सात करोड़ रुपए की लागत से दो प्लांट बनाने का प्लान तैयार किया और टेंडर भी कर दिए गए। इसी बीच मामले की शिकायत निगमायुक्त और ईओडब्ल्यू तक की गई। ऐसे में जांच शुरू कराकर टेंडर प्रक्रिया को रोक दिया गया। निगम अधिकारियों ने स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन को यह प्रोजेक्ट वापस सौंपने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन कार्पोरेशन के इनकार के बाद अब दोबारा टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
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