G News 24 : 23 जून से 05 जुलाई तक "रौरव काल" दुर्योग काल के चलते प्रकृति का प्रकोप बढ़ने की संभावना है !

 और जब 13  दिन का पक्ष हो,तो संभावना होती है भीषण संहार की... 

23 जून से 05 जुलाई तक "रौरव काल" दुर्योग काल के चलते प्रकृति का प्रकोप बढ़ने की संभावना है !

हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल संवत् 2081 में बहुत समय बाद आषाढ़ कृष्ण पक्ष केवल 13 दिन का पर रहा है। ज्योतिष शास्त्र में इसे दुर्योंग काल माना जा रहा है। ऐसा संयोग महाभारत काल में पड़ा था। इस साल दुर्योग काल के चलते प्रकृति का प्रकोप बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। 

 विक्रम संवत् का प्रत्येक महीना दो पखवाड़ा यानी-15-15 दिनों का होता है। इसे कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष कहा जाता है। जब किसी पक्ष में एक तिथि दो दिन पड़ती है तो यह पक्ष 16 दिनों का हो जाता है और तिथि के घटने पर 14 दिनों का होता है।

इस साल विक्रम संवत 2081 में आषाढ महीने का कृष्ण पक्ष 23 जून से शुरू होकर 5 जुलाई तक चलेगा अर्थात कृष्ण पक्ष 13 दिनों का रहेगा।अब शुक्ल पक्ष 6 जुलाई से शुरू हो रहा है जो 21जुलाई तक चलेगा। इस कृष्ण पक्ष में दो तिथियों द्वतिया और चतुर्थी का क्षय हो रहा है, इसलिए यह कृष्ण पक्ष केवल 13 दिनों का होगा। ऐसा संयोग बहुत सालों में आता है।इसे "विश्व घस्र" पक्ष कहते हैं। यह बहुत बड़ा दुर्योग है,बहुत वर्ष बाद ऐसा दुर्योग आता है। महाभारत युद्ध के पहले 13 दिन के पक्ष का दुर्योग काल आया था। उस समय बड़ी जनधन हानि हुई थी। घनघोर युद्ध था।

पक्षस्य मध्ये द्वितिथि पतेतां यदा भवेद्रौरव काल योगः। 
पक्षे विनष्टं सकलं विनष्ट मित्याहुराचार्यवराः समस्ताः
एकपक्षे_यदा_यान्ति_तिथियश्च_त्रयोदश।
त्रयस्तत्र क्षयं यान्ति वाजिनो मनुजा गज:।।
त्रयोदश दिने पक्षे तदा संहरेत जगत् ।
अपि वर्षे सहस्रेण कालयोग प्रकीर्तित:।।
द्वितियामारभ्य चतुर्दश्यन्तं तिथिद्वये ह्रासे।
त्रयोदश दिनात्मक: पक्षोऽति दोषोवतो भवति।।

अर्थात आषाढ़ कृष्ण पक्ष 13 दोनों का है यह 13 दिन का पक्ष होने से पृथ्वी पर जनहानि युद्ध की संभावना होती है जिस वर्ष 13 दिन का पक्ष होता है उसे वर्ष संपूर्ण विश्व के लिए हानिकारक होता है विशेष कर द्वितीया तिथि से लेकर चतुर्दशी तिथि पर्यंत अगर दो तिथि का क्षय हो तो विशेष रूप से संपूर्ण विश्व के लिए हानिकारक होता है यह पक्ष मंगल कार्य हेतु भी उत्तम नहीं है। यह "रौरव काल" संज्ञक दुर्योग होता है। ज्योतिष शास्त्र में इसे अच्छा नहीं माना गया है। ऐसा दुर्योग होने से अतिवृष्टि, अनावृष्टि, राजसत्ता का परिवर्तन, विप्लव, वर्ग भेद आदि उपद्रव होने की संभावना पूरे साल बनी रहती है। ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है-

                                                     त्रयोदशदिने पक्षे तदा संहरते जगत्। 

                                                      अपिवर्षसहस्रेण कालयोगःप्रकीर्तितः। 

अर्थात समस्त प्रकृति को पीड़ित करने वाला यह दुर्योग संक्रामक रोगों की भी वृद्धि कर सकता है। इस पक्ष में मांगलिक कार्य, व्रतारम्भ,उद्यापन,भूमि भवन का क्रय विक्रय,गृह प्रवेश आदि शुभ कार्यों का त्याग कर देना चाहिए। काल चक्र की गणना भारी,जाने मुरारी या त्रिपुरारी।।

Reactions

Post a Comment

0 Comments