G.NEWS 24 : लोकायुक्त की नियुक्ति का मसला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

सिंघार सियासी लाभ के लिए लगा रहे आरोप...

लोकायुक्त की नियुक्ति का मसला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

मध्य प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति का मसला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। राज्य सरकार ने अपने फैसले का सुप्रीम कोर्ट में बचाव किया। साथ ही विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार को लेकर कहा कि राजनीतिक लाभ के लिए वह झूठे और बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा था कि नियुक्ति में उनकी सलाह नहीं ली गई। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि नेता प्रतिपक्ष से सुझाव मांगा गया था लेकिन उन्होंने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की ओर से सुझाए नाम पर अपनी कोई राय नहीं दी। राज्य सरकार ने कांग्रेस नेता उमंग सिंघार की याचिका पर शपथ पत्र दाखिल किया है और अपना जवाब प्रस्तुत किया है। 

सिंघार ने जस्टिस (रिटायर्ड) सत्येंद्र कुमार सिंह की लोकायुक्त पद पर नियुक्ति को लेकर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि नियुक्ति पर उनकी राय नहीं ली गई। राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि सिंघार की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। लोकायुक्त की नियुक्ति मध्य प्रदेश लोकायुक्त एवं उप-लोकायुक्त अधिनियम 1981 और कई न्यायिक फैसलों में सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्रतिपादित कानूनों का पालन करते हुए की गई है। कानूनन नेता प्रतिपक्ष की राय ली गई थी। हालांकि, उन्होंने न तो कोई राय दी और न ही चीफ जस्टिस की सिफारिश पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई। इसके बाद वह राजनीतिक लाभ उठाने के लिए मीडिया में बेबुनियाद और झूठे आरोप लगाने लगे।

इस वजह से याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकार का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है और इस याचिका को तत्काल प्रभाव से खारिज किया जाए। मध्य प्रदेश सरकार ने शपथ पत्र में दावा किया कि सिंघार न केवल शीर्ष अदालत से तथ्य छिपाने के दोषी हैं बल्कि उन्होंने यह जाहिर करने की कोशिश भी की है कि लोकायुक्त की नियुक्ति से पहले उनसे किसी भी तरह की रायशुमारी नहीं की गई। शपथ पत्र कहता है कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की सिफारिश के आधार पर लोकायुक्त की नियुक्ति की फाइल नेता प्रतिपक्ष को भेजी गई थी। उन्हें संबंधित अधिकारियों ने प्रासंगिक नियमों और प्रक्रियाओं की जानकारी भी दे दी गई थी। मुख्यमंत्री ने भी उनसे फोन पर विस्तृत चर्चा की थी। यह पूरी प्रक्रिया सिंघार से प्रभावी रायशुमारी को स्पष्ट तौर पर दर्शाती है। सिंघार की ओर से एडवोकेट सुमीर सोढी ने याचिका दाखिल की थी। 

इसमें उन्होंने कहा था कि लोकायुक्त की नियुक्ति पर नेता प्रतिपक्ष और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की सहमति आवश्यक होती है। इस वजह से अधिनियम की धारा तीन के तहत राज्य सरकार, चीफ जस्टिस और नेता प्रतिपक्ष से उचित रायशुमारी की जाना आवश्यक है। इसके बाद ही नियुक्ति की जानी चाहिए। लोकायुक्त की नियुक्ति करने में मध्य प्रदेश सरकार ने उनसे रायशुमारी नहीं की। इस आधार पर जस्टिस (रिटायर्ड) सिंह की नियुक्ति अवैध और शून्य है। वैधानिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। सिंघार ने कहा था कि नियुक्ति मनमाने ढंग से की गई है। यह गलत है और अवैध तरीके से की गई है। नियुक्ति को रद्द किया जाना चाहिए।

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