G.NEWS 24 : इजरायल पर ईरान के हमले से बदला मिडिल ईस्ट का गणित !

नई मुसीबत नहीं चाहते मुस्लिम देश...

इजरायल पर ईरान के हमले से बदला मिडिल ईस्ट का गणित !

इजरायल पर शनिवार रात के अंधेरे में हुए हमले को अब कई घंटे से भी ज्यादा का वक्त बीत गया है. पूरी दुनिया में अब इसकी खुल कर चर्चा हो रही है. इजरायल के पीएम गुस्से की आग में जल रहे हैं तो ईरान अपनी इस हरकत पर जश्न मना रहा है. इजरायल की सेना करीब 7 महीने से गाजा के मैदान में भी युद्ध लड़ रही है. मुस्लिम देशों की आंख की किरकिरी बन चुके इजरायल को शायद ही कोई मुस्लिम देश साथ देने की सोचता हो. लेकिन जिस तरह का हमला ईरान ने इजरायल पर बोला है, उसके बाद अब मुस्लिम देश दो फाड़ दिखाई दे रहे हैं. ईरान के हमले का मुस्लिम देश समर्थन कर रहे हैं तो कुछ मुस्लिम देश ऐसे भी हैं जिन्होंने ईरान के हमले की निंदा भी की. इनमें सबसे बड़ा और पहला नाम जॉर्डन है और दूसरा सऊदी अरब. 

खबरों के मुताबिक, जॉर्डन ने तो इजरायल के हमले के वक्त मिसाइलें ना केवल तैनात की, बल्कि ईरान के हमले को नाकाम करने के लिए अपनी अहम भूमिका निभाई. आसमान में उड़ती हुई मिसाइलें दिख रही हैं. लोग घबराये हुए हैं. जॉर्डन ने कबूल किया है कि उसने ईरान के कई ड्रोन हमलों को नाकाम किया है. जॉर्डन के विदेश मंत्री अयमान अल-सफ़ादी ने कहा, हम जॉर्डन के हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने वाले हर ड्रोन या मिसाइल का मुकाबला करते हैं ताकि जॉर्डन को कोई नुकसान न पहुंचे या जॉर्डनवासियों को खतरा न हो. ऐसा पहले भी हुआ था और जॉर्डन पर मिसाइलें गिरी थीं और जॉर्डन पर ड्रोन गिरे थे, यह एक निश्चित नीति है, वह सब कुछ जो जॉर्डन के लिए खतरा पैदा करता है. हम इसका मुकाबला कर रहे हैं. 

माना जा रहा है कि ईरान के हमलों की जहां सऊदी अरब ने निंदा की, वहीं अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए इजरायल की मदद भी की है. यही वजह है कि इजरायली दावों के मुताबिक, 300 हवाई हमलों में से ज्यादातर को आसमान में ही तबाह कर दिया था. करीब 99 % हमले नाकाम किये गए. 170 ड्रोन को घुसने से पहले ही मार गिराया गया. 120 बैलिस्टिक मिसाइलें में से ज्यादातर को आसमान में ही तबाह कर दी गईं. 30 क्रूज मिसाइलों में से कोई भी इजरायल की जमीन को भेद नहीं पाया. इजरायल की मीडिया के मुताबिक, जॉर्डन के जेट विमानों ने उत्तरी और मध्य जॉर्डन से होकर इजरायल की ओर आने वाले दर्जनों ड्रोन को मार गिराया. 

जबकि इससे पहले गाजा युद्ध के दौरान जॉर्डन इजरायल के खिलाफ खड़ा रहा. जानकार मानते हैं कि अब स्थिति बदली हुई है.  सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने क्षेत्र में 'युद्ध के खतरों' को रोकने के लिए सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है. वैसे साल 2023 में सऊदी अरब और ईरान के बीच संबंध सुधरने की खबर आई थी पर हकीकत में दोनों देश एक-दूसरे के धुर विरोधी रहे हैं. गाजा युद्ध के बाद भी कुछ इसी तरह की स्थिति बनी जब मुस्लिम देशों की दुनिया में दूरी बढ़ रही थी. अरब देश जहां पहले इजरायल के सख्त खिलाफ होकर फिलिस्तीन का समर्थन करते थे, अब उनके रुख में बदलाव आया है. हालत ये है कि हाल ही में इस्लामिक-अरब शिखर सम्मेलन में पेश किए गए एक प्रस्ताव को पास होने से रोक देने की खबर थी.  

सऊदी अरब के साथ-साथ संयुक्त अरब अमीरात समेत 7 मुस्लिम देश इस प्रस्ताव के विरोध में खड़े हो गए. इनमें सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), जॉर्डन, मिस्र, बहरीन, सूडान, मोरक्को, मॉरिटानिया और जिबूती ने प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया था. साफ है मुस्लिम देश भी कोई नई मुसीबत मोल नहीं लेना चाहते. दूसरी ओर कई ऐसी वजह हैं जो ईरान हमले पर मुस्लिम देशों को बांट रही है. इनमें तीसरे विश्व युद्ध का खतरा, दुनिया में एक दूसरे पर बढ़ती निर्भरता, इजरायल की सैन्य क्षमता और आधुनिक हथियार और अमेरिका का दबाव शामिल है. खास बात ये भी है कि मुस्लिम देशों से घिरा इजरायल अकेला नहीं है. उसके पक्ष में अमेरिका समेत कई यूरोपिय देश भी हैं जो समय-समय पर उस पर मंडराते संकट से निपटने के लिए तैयार रहते हैं.

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