G News 24 : अपनों की नाराजगी से बीजेपी-कांग्रेस दोनों के प्रत्याशी हैं परेशान !

 ग्वालियर सीट पर 'अपने' ही बने बड़ी चुनौती...

अपनों की नाराजगी से बीजेपी-कांग्रेस दोनों के प्रत्याशी हैं परेशान !

ग्वालियर। ग्वालियर लोकसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही अपने उम्मीदवारों मैदान में उतार दिए हैं. लेकिन, दोनों का चुनाव प्रचार अभियान वैसी गति नहीं पकड़ पा रहा है जो आम तौर पर दिखाई देता है. और इसकी वजह एक ही है, अपनों की नाराजगी ! भारतीय जनता पार्टी द्वारा मैदान में उतारे अपने प्रत्याशी भारत सिंह कुशवाहा, अपने ही नेताओं को एकजुट करने में सफल नहीं हो पा रहे हैं वही कांग्रेस ने अपने पूर्व विधायक प्रवीण पाठक को उम्मीदवार बनाया है तो उनके खिलाफ भी विरोध के स्वर खत्म नहीं हो रहे हैं.  दोनों ही प्रत्याशी फिलहाल अपनी पार्टी के रूठे और नाराज नेताओं को मनाने में जुटे हैं जिसके चलते प्रचार अभियान वैसी गति नहीं पकड़ पा रहा है जो आम तौर पर दिखाई देता है. यहां सात मई को मतदान होना है यानी एक महीने से कम वक्त बचा है. 

प्रत्याशी के नाम की घोषणा करने में भारतीय जनता पार्टी ने सबसे पहले बाजी मार ली थी ,उसने अपने मौजूदा सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का टिकट काटकर 2022 में विधानसभा का चुनाव हारे पूर्व मंत्री भारत सिंह कुशवाहा को अपना प्रत्याशी घोषित किया है.पहली बार हुआ है जब भाजपा ने शहर की जगह ग्रामीण क्षेत्र के नेता को अपना प्रत्याशी बनाया है . यही नहीं अब तक सवर्ण प्रत्याशी पर दांव खेल कर लगातार जीत का रिकॉर्ड बनाती रही भाजपा ने पहली बार पिछड़ा वर्ग के कुशवाहा समाज से आने वाले भारत सिंह को मैदान में उतारा है.  इसकी वजह कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा ओबीसी को लेकर उठाई जा रही बातें मानी जा रही हैं.  

पिछले  दिनों राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के तहत ग्वालियर आए थे और उन्होंने पिछड़ी युवाओं से संवाद करके पूछा था कि उन्हें क्या मिला ?  माना जाता है कि इसी से घबराकर भाजपा ने ग्वालियर सीट पर पहली बार श्रवण की जगह पिछड़ा प्रत्याशी देने का निर्णय लिया हालांकि इसकी एक वजह यह भी है कि ग्वालियर क्षेत्र में कुशवाहा समाज के काफी वोटर हैं इसीलिए भाजपा ने कुशवाहा को ही टिकट देकर ओबीसी लोगों को रिझाने के लिए यह दांव खेला है.

ग्वालियर संसदीय क्षेत्र में आने वाली आठ विधानसभा क्षेत्र में से साढ़े शहरी क्षेत्र में आते हैं . ग्वलियर पूर्व , ग्वलियर दक्षिण और ग्वालियर के अलावा ग्वलियर ग्रामीण का भी आधा हिस्सा शहर से जुड़ा है.  इन क्षेत्रों में शुरू से ही भारतीय जनता पार्टी की पकड़ मजबूत रही है अगर हम पिछले चार चुनाव देखें तो भाजपा की जीत की वजह शहरी क्षेत्र में मिलने वाली वोटो की बड़ी लीड ही रही है।  इसकी  इसकी एक वजह  यह भी है कि भाजपा अब तक इस सीट पर किसी शहरी सवर्ण को ही मैदान में उतरती रही है .  भाजपा ने अब तक यहां से जयभान सिंह पवैया, यशोधरा राजे सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर और विवेक नारायण शेजवलकर को मैदान में उतारा.यह सभी शहरी पृष्ठभूमि के नेता हैं और सभी ने यहां जीत दर्ज की लेकिन पहली बार भाजपा ने ग्वालियर ग्रामीण से विधायक रह चुके पूर्व मंत्री भारत सिंह कुशवाहा को प्रत्याशी बनाकर नया प्रयोग किया है.  

एक माह बीत जाने के बावजूद उनके प्रचार में वह जोश और उत्साह नजर नहीं आ रहा जैसा सदैव आता रहता था.  उन्हें शहरी नेताओं और कार्यकर्ताओं का कोई खास समर्थन नहीं मिल पा रहा है, इसकी वजह यही है कि एक तो शहरी नेता को टिकट न मिलने से पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह की जगह निराशा का भाव है ,वही भारत सिंह का शहरी कार्यकर्ता और नेताओं से कोई पुराना खास समन्वय भी नहीं है. फिलहाल वे अपने नेताओं के घर-घर जाकर उन्हें मनाने और पटाने में ही व्यस्त हैं हालांकि पार्टी का संगठन जिला और मंडल की बैठके कर चुका है लेकिन उसमें भी कार्यकर्ता कम संख्या में तो पहुंचे ही उनमें कोई जोश और जुनून नजर नहीं आया   इस बात को लेकर भाजपा में ग्वालियर से लेकर भोपाल तक चिंता है.

भोपाल में पार्टी में एकजुटता दिखाने के लिए फटाफट रणनीति बनाई गई और ग्वालियर में चुनाव कार्यालय के बहाने उद्घाटन के बहाने एकजुटता दिखाने का निर्णय लिया गया इसीलिए  विगत दिनों ग्वालियर में भारत सिंह का चुनाव कार्यालय का उद्घाटन बड़े भव्य समारोह के रूप में आयोजती हुआ इसमें केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ,वर्तमान सांसद विवेक नारायण शेजवलकर पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा कैबिनेट मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा से लेकर हर छोटे बड़े नेता को मंच पर स्थान दिया गया. इसका  मकसद शहर में चल रही गुटबाजी की खबरों से परेशान और हतोत्साहित पार्टी कार्यकर्ताओं को उत्साहित करना था हालांकि इस आयोजन के बाद भी स्थिति में कोई खास अंतर नजर नहीं आ रहा है.

ग्वालियर संसदीय क्षेत्र में पिछड़ा वर्ग बड़ी संख्या में है और उनमें से कुशवाहा को छोड़कर अधिकांश जातियां कांग्रेस के समर्थन में रहती हैं.यही वजह है कि अगर इक्का - दुक्का अपवादों को छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस यहां से सिर्फ पिछड़ा वर्ग के ही कैंडिडेट उतारती रही है. लेकिन इस बार भाजपा ने पिछड़ा प्रत्याशी उतारा तो कांग्रेस ने भी अपनी लीक बदलते हुए सवर्ण प्रत्याशी मैदान में उतार दिया. कांग्रेस ने ब्राह्मण वर्ग से आने वाले प्रवीण पाठक को प्रत्याशी बनाया है. ग्वालियर सीट में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या भी अच्छी खासी है. 

कांग्रेस  कांग्रेस नेताओं से पटरी न बैठ पाने के कारण  पाठक के लिए चुनाव प्रचार को गति देना आसान नजर नहीं आ रहा है..ग्वालियर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे पाठक के टिकट की चर्चा चली तो शहर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ देवेंद्र शर्मा ने तो हाई कमान को चिट्ठी लिखकर ही चेतावनी दे दी थी कि अगर पाठक को प्रत्याशी बनाया गया तो वह अध्यक्ष पद छोड़ देंगे. पाठक के नाम का ऐलान होने के बाद भी उन्होंने कहा कि वह अपनी बात पर अडिग हैं और चुनाव के बाद अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देंगे.डॉक्टर शर्मा अकेले नहीं है बल्कि ज्यादातर प्रमुख नेता पाठक से नाराज हैं हालांकि नाम घोषित होने के बाद से ही प्रवीण पाठक लगातार अपने नेताओं से मिलकर उनकी नाराजी दूर करने की कोशिशें में लगे हुए हैं लेकिन उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती समय की भी है क्योंकि उनका टिकट काफी विलंब से घोषित हुआ है और फिर जिले में कांग्रेस और स्वयं पाठक का भी अपना कोई खास नेटवर्क नहीं है .

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